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- राज्यों में चुनावों की...
स्वतन्त्र भारत के चुनावी इतिहास में संभवतः ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब चुनावों की घोषणा करने वाला कोई मुख्य चुनाव आयुक्त इनके जारी रहते ही अवकाश प्राप्त कर लेगा। जिन पांच राज्यों केरल, तमिलनाडु, असम, प. बंगाल व पुड्डुचेरी (अर्ध राज्य) के चुनावों में मतदान की तालिका घोषित करने वाले चुनाव आयुक्त श्री सुनील अरोड़ा आगामी 13 अप्रैल को तब अवकाश प्राप्त कर लेंगे जब प. बंगाल में चुनाव चल रहे होंगे और इनके चार चरण शेष रह रहे होंगे जबकि सभी चुनावों के परिणाम 2 मई को घोषित किये जायेंगे। इससे यह तो साबित होता ही है कि भारत की विधि व्यवस्था में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन व्यक्ति किस संवैधानिक संस्था का मुखिया है बल्कि इस बात से फर्क पड़ता है कि सम्बन्धित संस्था अपनी भूमिका किस तरह निभाती है। चुनावों की तालिका घोषित करते हुए प. बंगाल में आठ चरणों में व असम में तीन चरणों में मतदान कराने की घोषणा हुई जबकि तमिलनाडु, पुड्डुचेरी व केरल में एक ही दिन एक चरण में 6 अप्रैल को मतदान कराना तय हुआ। इसे लेकर कुछ राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग की जिस तरह आलोचना की है वह लोकतन्त्र में शोभनीय नहीं कहा जा सकता। खास कर प. बंगाल में आठ चरण में मतदान कराये जाने की चुनाव आयोग की तालिका पर भाजपा के अलावा प. बंगाल के शेष सभी राजनीतिक दल अंगुली उठा रहे हैं। एेेसा करके वे अपनी ही कमजोरी को साबित कर रहे हैं क्योंकि लोकतन्त्र में मतदाता सर्व प्रमुख होता है और उसे इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि मतदान कितने चरणों में हो रहा है, उसे तो केवल अपनी बारी आने पर एक वोट डालना ही होता है।