सम्पादकीय

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की चिट्ठी पर डॉ. हर्षवर्धन के जवाब से बवाल, कांग्रेस-BJP के जिक्र से उठे सियासी सवाल

Gulabi
19 April 2021 1:17 PM GMT
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की चिट्ठी पर डॉ. हर्षवर्धन के जवाब से बवाल, कांग्रेस-BJP के जिक्र से उठे सियासी सवाल
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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चिट्ठी का जवाब स्वास्थ मंत्री हर्षवर्धन ने दिया

कार्तिकेय शर्मा। रामदीप मिश्रा। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चिट्ठी का जवाब स्वास्थ मंत्री हर्षवर्धन ने दिया. वैसे मनमोहन सिंह ने ये खत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा था और जवाब भी उनसे ही आना चाहिए था लेकिन चिट्ठी का जवाब आया हर्षवर्धन से. मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री को पांच सुझाव दिए थे और कहा था कि वो ये सुझाव रचनात्मक सहयोग के तहत दे रहे हैं, लेकिन हर्षवर्धन का जवाब दो टका सा रहा. चिट्टी पढ़ कर ऐसा नहीं लगा कि ये वही हर्षवर्धन जो मुस्करा कर हर सवाल का जवाब देते हैं और जिन्हें कभी ऊंची आवाज में नहीं सुना गया, बल्कि उन्हें तो दिल्ली का सबसे विनम्र राजनीतिज्ञ माना जाता है.


हर्षवर्धन ने सुझावों पर सकारात्मक चर्चा न करके उसका राजनीतिकरण कर दिया और पत्र में जवाब के नाम पर सीधे-सीधे कांग्रेस बीजेपी कर डाला. मनमोहन सिंह के सभी 5 सुझाव प्रशासनिक और तकनीक से जुढ़े थे. जैसे उन्होंने सुझाव दिया था कि केंद्र सरकार को राज्य सरकारों को फ्रंटलाइन वर्कर्स तय करने की इजाजत देनी चाहिए और वैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए लाइसेंसिंग एक्ट के तहत कदम उठाने चाहिए.


हर्षवर्धन के इसके जवाब में कहा कि कांग्रेस ने पार्टी ने अभी तक वैक्सीन बनाने वाली वैज्ञानिकों की तारीफ तक नहीं की और उल्टा उनके नेता छुप-छुपकर वैक्सीन भी लगवा रहे हैं. हर्षवर्धन ने ये तक कहा की कांग्रेस के नेताओं ने वैक्सीन प्रोग्राम को लेकर इतने सवाल उठाए कि उसका असर वैक्सीन प्रोग्राम पर पढ़ गया. उन्होंने ने पत्र में लिखा कि इस तरह की बयानों के चक्कर में देश की दूसरी लेहर में बहुत बढ़ोतरी हुई.

'तल्ख चिट्ठी लिखने का कोई मतलब नहीं'
इसके साथ-साथ उन्होंने कहा की हम आपके सुझावों को सकारात्मक रूप से स्वीकारतें हैं, लेकिन आप ये कोशिश करें की इन सुझावों को अपनी पार्टी को भी दें. हर्षवर्धन की इस चिट्ठी के बाद सोशल मीडिया में जम कर बवाल मचा. ज्यादातर लोगों का मानना था की इतनी तल्ख चिट्ठी लिखने का कोई मतलब नहीं था और वो तब जब वो आपको लिखी ही नहीं गई थी, लेकिन ये पत्र बीजेपी और विपक्ष के बीच रिश्तों की कहानी बयां करती है. इससे साफ पता लगता है कि दूसरी बाद भी सत्ता जीतने बाद भी बीजेपी विपक्ष की साथ गरिमापूर्ण व्यवहार करने में सक्षम नहीं है.


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