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आरएसएस (RRS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने दावा किया है कि अगले 15 साल में अखंड भारत (Akhand Bharat) का सपना साकार हो जाएगा
यूसुफ़ अंसारी
आरएसएस (RRS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने दावा किया है कि अगले 15 साल में अखंड भारत (Akhand Bharat) का सपना साकार हो जाएगा. उनके ये दावा करते ही राजनीतिक हलकों के साथ ही मीडिया और सोशल मीडिया पर ज़ोरदार बहस शुरु हो गई है. हालांकि भागवत ने ये नहीं बताया कि 15 साल बाद बनने वाले अखंड भारत में कौन-कौन से देश शामिल होंगे. इसलिए इस दावे पर उठने वाले सवालों की फेहरिस्त काफी लंबी हो गई है. एक तरफ जहां अखंड भारत का सपना देखने वालों को अग्रिम बधाइयां मिल रहीं तो कई लोग इसे मुंगेरी लाल का हसीन सपना भी बता रहे हैं. बहरहाल मोहन भागवत के इस दावे की व्यावहारिकता पर बहस शुरू हो गई है.
सोशल मीडिया पर उठने वाले कुछ सवाल यें हैं. उस अखंड भारत में कौन-कौन से देश शामिल होंगे? तालिबान वाला अफ़ग़ानिस्तान भी होगा न? 15 साल तक इंतज़ार क्यों, 15 दिन में क्यों नहीं? अखंड भारत के लिए औरंगज़ेब जैसे शासक की ज़रूरत होगी! 15.5 फ़ीसदी मुसलमानों को नहीं सहने वाले क्या तब 45 फ़ीसदी मुसलमानों को सह पाएंगे? मोहन भागवत के इस ताज़ा बयान पर चल रही बहस में कहीं गंभीरता है, तो कहीं हास्य-व्यंग्य का पुट भी है. वहीं राजनीतिक तौर पर इसकी आलोचना भी हो रही है. कुल मिलाकर इस बयान ने एक और बहस छेड़ दी है. कुछ लोग इसे पेट्रोल-डीज़ल के तेज़ी से बढ़ते दाम और इसकी वजह से बढ़ती महंगाई से ध्यान हटाने की साज़िश भी मानते हैं. जो भी है माना जा रहा है कि भागवत का ये बयान धार्मिक मुद्दों पर समाज में पहले से ही बढ़ रही कटुता को और हवा दे सकता है.
संघ के लिए सर्वोपरि है अखंड भारत का एजेंडा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए अखंड भारत का एजेंडा हमेशा से सर्वोपरि रहा है. संघ हर साल 15 अगस्त को अखंड भारत संकल्प दिवस मनाता है. स्वतंत्रता दिवस के दिन आयोजित होने वाले इस आयोजन के दौरान संघ के स्वयंसेवक अखंड भारत के सपने को साकार करने का संकल्प लेते हैं. संघ के नेता अखंड भारत के बारे में जब तब खुल कर बात करते रहते हैं. लेकिन इस बार संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने इसे लेकर सबसे बड़ा बयान दिया है. हरिद्वार के एक कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा कि सनातन धर्म ही हिंदू राष्ट्र है. इतना ही नहीं उन्होंने कहा, वैसे तो 20 से 25 साल में भारत अखंड भारत होगा. लेकिन अगर हम थोड़ा सा प्रयास करेंगे, तो स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरविंद के सपनों का अखंड भारत 10 से 15 साल में ही बन जाएगा. इसे कोई रोकने वाला नहीं, जो इसके रास्ते में आएंगे वह मिट जाएंगे.
पहली बार बताई समय सीमा
दरअसल, 15 अगस्त 1947 को मिली आजादी को संघ परिवार खंडित आजादी मानता है. संघ प्रमुख मोहन भागवत और संघ के कई वरिष्ठ पदाधिकारी पहले भी कह चुके हैं, कि देश का विभाजन उनके हृदय में शूल की तरह चुभता है. संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने 2009 में एक टीवी इंटरव्यू के दौरान अखंड भारत के सपने पर अडिग होने की बात कही थी. दरअसल संघ का मानना रहा है कि जब पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी एक हो सकते हैं तो तो फिर अखंड भारत क्यों नहीं?
तीन दशक तक संघर्ष करने के बाद राम मंदिर का सपना पूरा हुआ. इसी तरह से वर्षों के संघर्ष के बाद कश्मीर से 370 की विदाई हुई. इसका अर्थ है कि कोई भी काम असंभव नहीं है. संघ के लिए अखंड भारत की कल्पना सांस्कृतिक है. अयोध्या के मंच से प्रधानमंत्री मोदी भी सांस्कृतिक पुनर्जागरण की बात कर चुके हैं. लेकिन ये पहली बार है जब संघ के सरसंघचालक ने अखंड भारत के निर्माण की समय सीमा बताई है. उसके स्वरूप को बारीकी से समझाया है. लिहाज़ा भागवत के इस बयान के गहन विश्लेषण के साथ ही इसे बारीकी से समझने की ज़रूरत है.
क्या कहा है संघ प्रमुख मोहन भागवत ने?
मोहन भागवत ने कहा, भारत उत्थान की पटरी पर आगे बढ़ चला है. इसके रास्ते में जो आएंगे वह मिट जाएंगे, भारत अब उत्थान के बिना रुकने वाला नहीं है. भारत उत्थान की पटरी पर सरपट दौड़ रहा है, सीटी बजा रहा है और कह रहा है उत्थान की इस यात्रा में सब उसके साथ आओ और उसको रोकने का प्रयास कोई न करें, जो कोई भी रोकने वाले हैं, वह साथ आ जाएं और अगर साथ नहीं आते तो रास्ते में न आएं, रास्ते से हट जाएं.
उन्होंने आगे कहा, हम अलग-अलग हैं, हम विभिन्न हैं. लेकिन हम अलग नहीं हैं, एक होकर हम देश के लिए अगर जीना मरना शुरू कर दें और जिस गति से भारत उत्थान के मार्ग पर चल रहा है, तो मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि भारत को अखंड भारत होने में 20 से 25 साल का समय ही लगेगा और अगर हम अपनी गति को तीव्र कर लें तो यह समय आधा हो जाएगा और यह होना भी चाहिए, उन्होंने कहा कि हम अहिंसा की बात कहेंगे पर हाथों में डंडा भी रखेंगे, क्योंकि यह दुनिया शक्ति को ही मानती है.
संघ प्रमुख ने कहा कि एक हज़ार साल से भारत के सनातन धर्म को समाप्त करने के प्रयास लगातार किए गए. लेकिन वह मिट गए, पर हम और सनातन धर्म आज भी मौजूद है. उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां दुनिया के हर प्रकार के व्यक्ति की दुष्ट प्रवृत्ति समाप्त हो जाती है. वह भारत में आकर या तो ठीक हो जाता है या फिर मिट जाता है.
भागवत के बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रिया
भागवत के बयान पर यूं तो हर पार्टी ने प्रतिक्रिया दी है. लेकिन सबसे तीखी प्रतिक्रिया शिवसेना और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन की तरफ़ से आई है. शिवसेना नेता संजय राऊत ने मोहन भागवत से कहा कि आप 15 सालों में नहीं 15 दिन में अखंड भारत बनाइए. अगर कोई अखंड भारत की बात करते हैं तो उसे सबसे पहले पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) को हिंदुस्तान में जोड़ना पड़ेगा. इसके बाद 1947 में विभाजन के बाद अलग हुए पाकिस्तान को भी जोड़ना होगा. इसे भी लीजिए. अखंड भारत की सीमाएं कभी कंधार तक थीं, उसे भी लीजिए. श्रीलंका को भी लीजिए. इसके बाद अखंड हिंदुस्तान, महासत्ता बना लीजिए. इसके लिए किसी ने रोका नहीं है.
ये देश के लिए गर्व की बात है. लेकिन इससे पहले कश्मीरी पंडितों की घर वापसी बहुत सुरक्षित तरीके सुनिश्चित की जाए. अखंड भारत पर हम संघ प्रमुख का जरूर साथ देंगे. कोई राजनीतिक पार्टी वैचारिक दृष्टि से उनकी विरोधी हो मगर फिर भी आपका समर्थन करेगी. उन्होंने कहा कि बाला साहेब ठाकरे और वीर सावरकर का भी ये सपना था. शिवसेना के सुर में सुर मिलाते हुए ओवैसी ने पूछा कि अखंड भारत पर बीते 8 सालों में क्या हुआ. उन्हें उस इलाके पर बात करनी चाहिए जिस पर चीन कब्जा करके बैठा है. इन इलाकों में भारतीय फौज गश्त नहीं कर सकती. आखिर वह किस आधार पर 15 सालों में 'अखंड भारत' बनाने की बात कह रहे हैं.
मुस्लिम संगठनों को आपत्ति
भागवत के ताज़ा बयान पर मुस्लिम संगठनों को सख़्त आपत्ति है. हालांकि अभी वो खुल कर नहीं बोल रहे. उनका कहना है कि संघ प्रमुख ने 15 साल में भारत को अखंड भारत बनाने और इसमें सनातन धर्म के बोलबाला होने की बात करके सीधे-सीधे मुसलमानों पर निशाना साधा है. हाथ में लाठी लेकर अहिंसा का संदेश देने की बात हो या फिर हज़ार साल से सनातन धर्म को मिटाने की कोशिश की बात हो. भारत में आने वालों के यहां को तौर तरीक़े अपनाने या फिर मिट जाने की बात.
इन सभी के ज़रिए साफ तौर पर मुसलमानों और उनकी आस्था पर चोट की गई है. जब संघ प्रमुख आम लोगों को सनातन धर्म के वर्चस्व के लिए काम करने को कहते हैं तो उनका मक़सद मुसलमानों की चूड़ियां टाइट करने से होता है. हाल की घटनाएं इसका उदाहरण हैं. संघ से जुड़े लोग हिजाब के मुक़ाबले भगवा गमछा गले में डालकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. धार्मिक जुलूस के दौरान मस्जिदों के सामने उकसाई नारेबाज़ी, मस्जिदों पर भगवा झंडा फहराने और अज़ान के समय हनुमान चालीसा का पाठ जैस, कार्यक्रम मुसलमानों पर दबाव बनाने और सनातन धर्म का वर्चस्व क़ायम करने के लिए ही किए जा रहे हैं.
दरअसल, आज का भारत सीमित भूभाग वाला देश है. लेकिन भारत कभी बहुत बड़ा भूभाग वाला था. यह सिर्फ कश्मीर से कन्याकुमारी और असम से गुजरात ही तक सीमित नहीं था. बल्कि अखंड भारत में अफगानिस्तान, भूटान, म्यांमार, तिब्बत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड शामिल थे. लेकिन कुछ देश काफी पहले भारत से अलग हो चुके हैं. जबकि पाकिस्तान और बांग्लादेश आजादी के वक्त भारत से अलग देश बने. संघ अखंड भारत की अपनी परिकल्पना में इन तमाम देशों को एक बार फिर भगवा झंड़े के नीचे देखता है. लेकिन निकट भविष्य तो क्या अगली दो-तीन शताब्दियों तक ऐसा होना संभव नहीं दिखता है. इन देशों के परिसंघ तक की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं दिखती. लिहाज़ा भौगोलिक रूप से अखंड भारत का सपना अगले 10-15 साल में पूरा होने का मोहन भागवत का दावा पूरी तरह से व्यावहारिक नहीं है. हां, सनातन धर्म के वर्चस्व की तरफ भारत क़दम बढ़ा चुका है. इस जन ज्वार को रोकना वाक़ई मुश्किल लगता है.
Rani Sahu
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