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- कोरोना से जंग में...
कोरोना वायरस के कारण उपजी कोविड महामारी ने आॢथक रूप से जहां विश्व को बहुत पीछे धकेल दिया है, वहीं नई सामाजिक चुनौतियां भी खड़ी कर दी है। शिक्षा, स्वास्थ्य आदि के स्तर पर पर भी कई समस्याएं पनपी हैं, लेकिन इस कोरोना आपदा का एक सांस्कृतिक पक्ष भी है। कोरोना महामारी से लड़ाई वैज्ञानिक एवं मेडिकल प्रोटोकॉल के आधार पर लड़ी जा रही है, पर दूसरी ओर अलग-अलग देश अपने-अपने विशिष्ट सांस्कृतिक धरातल पर भी इससे जूझ रहे हैं। इस संदर्भ में अमेरिका के मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में पिछले साल एक परिचर्चा हुई थी कि कोरोना वायरस से निपटने में अलग-अलग देशों की प्रतिक्रियाओं में वहां की राष्ट्रीय संस्कृति कैसे अभिव्यक्त होती हैं। व्हेन कल्चर मीट्स कोविड शीर्षक वाली इस परिचर्चा की एक सीमा यह थी कि इसमें प्रमुख ध्यान इस पर था कि कोरोना से संबंधित जो प्रोटोकॉल हैं, उन्हेंं लेकर विभिन्न देशों के लोगों का रुख किस तरह वहां की संस्कृति से प्रभावित रहा है। चीन में महामारी के दौरान मास्क पहनने के निर्देश का भलीभांति पालन किया गया। इसका कारण था कि तानाशाही शासन की संस्कृति में किसी तरह की छूट को बर्दाश्त नहीं किया जाता। जबकि लोकतांत्रिक अमेरिका या यूरोपीय देशों में इन निर्देशों को पालन करवाना उतना आसान नहीं। इस परिचर्चा की दूसरी सीमा यह थी कि पूरी चर्चा अमेरिका या यूरोपीय देशों के अतिरिक्त पूर्वी एशियाई देश चीन, जापान, कोरिया आदि तक सीमित रही। भारत जैसे प्राचीन संस्कृति पर कोई चर्चा नहीं हुई, जबकि भारत के सांस्कृतिक तत्वों ने कोरोना से लडऩे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।