सम्पादकीय

रोहित शर्मा: एक क्रिकेटर...जिसमें सहवाग जैसी क्रांति, गावस्कर जैसा संयम

Rani Sahu
5 Sep 2021 6:46 AM GMT
रोहित शर्मा: एक क्रिकेटर...जिसमें सहवाग जैसी क्रांति, गावस्कर जैसा संयम
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सही मायनों में देखा जाए तो रोहित शर्मा की असली कर्म-भूमि इंग्लैंड ही है। आखिरकार, विदेशी ज़मीं पर डेढ़ दशक से एक अदद टेस्ट शतक का उनका इंतज़ार इंग्लैंड में ही ख़त्म हुआ

विमल कुमार। सही मायनों में देखा जाए तो रोहित शर्मा की असली कर्म-भूमि इंग्लैंड ही है। आखिरकार, विदेशी ज़मीं पर डेढ़ दशक से एक अदद टेस्ट शतक का उनका इंतज़ार इंग्लैंड में ही ख़त्म हुआ, जहां टेस्ट मैचों में उनका औसत फिलहाल 57.66 का है। वैसे तो दो साल पहले सफेद गेंद से ही सही, रोहित ने दिखा दिया था कि यहां के मैदान उन्हें खूब भाते हैं। उन्होंने 2019 वर्ल्ड कप में 81.00 के औसत से रन बटोरे थे, लेकिन ओवल टेस्ट में जिस शॉट का सहारा रोहित शर्मा ने शतक पूरा करने के लिए लिया, वो आपको वीरेंद्र सहवाग जैसे क्रांतिकारी ओपनर की याद दिला देगा। शतक तो क्या दोहरा और तिहरा शतक भी सहवाग छक्के से ही पूरा करते थे।

हालांकि, सिर्फ एक शॉट के ज़रिये रोहित की पारी को बयां करना ग़लत होगा क्योंकि पूरे दौरे पर और ख़ासकर इस पारी के दौरान रोहित ने पूर्व दिग्गज ओपनर सुनील गावस्कर की एकाग्रता का परिचय भी दिया है। अब सोचिये कि क्या कोई और खिलाड़ी अपनी बल्लेबाजी में आपको सहवाग और गावस्कर जैसे दो अलग-अलग रेंज वाले खिलाड़ियों की झलक दिखा सकता है।
मानो रोहित ने अब ठान लिया है कि..
वैसे, अगर देखा जाए तो लगता है कि रोहित ने अब ठान ही लिया है कि इस साल वे अपनी बतौर टेस्ट क्रिकेट की छवि को बदलकर ही रहेंगे।इसलिए 2021 में इंग्लैंड के कप्तान जो रुट (1419 रन) के बाद सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले रोहित शर्मा (906) ही हैं। इतना ही नहीं पहली बार वे विराट कोहली जैसे दिग्गज को पछाड़कर आईसीसी की टेस्ट रैंकिग में 5वें नंबर तक पहुंच चुके हैं। रोहित ने टेस्ट क्रिकेट में खुद को बेहतर करने के लिए पिछले दो साल में कितनी मेहनत की है इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि करीब दो साल पहले अक्टूबर 2019 में रोहित शर्मा टॉप 50 खिलाडियों में भी शुमार थे और 54वें नंबर पर रहे थे।
वैसे, रोहित के करियर को पलटकर देखेंगे तो आप पाएंगे कि वो टी-20 क्रिकेट में विराट कोहली से पहले आए और वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का हिस्सा भी बन गये। इसके अगले साल जब वो वनडे क्रिकेट के लिए ऑस्ट्रेलिया पहुंचे तो पूर्व दिग्गज कप्तान इयान चैपल ने उनकी तुलना 1991 में पर्दापण करने वाले युवा सचिन तेंदुलकर से कर दी। सिर्फ दो साल के अंदर ही रोहित के अंदर आने वाली महानता की झलक हर किसी ने देख ली थी। हर किसी को लगा कि भारत को सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर का उत्तराधिकारी मिल गया है, लेकिन इसके बाद 15 साल तक टेस्ट क्रिकेट में रोहित को कामियाबी नहीं मिली। हालांकि, वनडे क्रिकेट में दो दोहरे शतक, मुंबई इंडियंस को रिकॉर्ड पांच बार आईपीएल ट्रॉफी जिताना और ना जाने कितने टी-20 मैचों में पासा पलटना... रोहित के अंदर छुपी प्रतिभा को बताने के लिए काफी था। इस बीच टेस्ट क्रिकेट की शुरुआती दो पारी में उन्होंने शतक भी बनाए। बावजूद इसके कमी खलती रही और भारत के बाहर रोहित के बल्ले से शतक नहीं निकले।
घरेलू पिचों के ब्रैडमैन विदेश में बन जाते थे बैडमैन!
रोहित क्रिकेट इतिहास के महानतम बल्लेबाज़ डॉन ब्रैडमैन (98.22 का औसत और 18 शतक) के बाद सबसे ज़्यादा औसत (83. 55) रखने वाले बल्लेबाज़ हैं, लेकिन विदेश में तो वे रविंद्र जडेजा जैसे खिलाड़ी के रिकॉर्ड के आसपास भी नहीं दिखते थे। ऐसा लगा था कि पिछले ऑस्ट्रेलिया टूर पर रोहित खुद पर उठने वाले हर सवाल का जवाब दे डालेंगे, लेकिन दौरे से पहले ही वे विवादों के घेरे में आ गये जब कप्तान कोहली और कोच ने सार्वजनिक तौर पर इस बात पर बवाल मचा दिया कि रोहित ने टेस्ट की बजाए आईपीएल को प्राथमिकता दी। इसके चलते वे पहले दो टेस्ट खेल नहीं पाए। ऑस्ट्रेलिया में रोहित ने 26, 52, 44, और 7 रन की पारियों खेलीं लेकिन उससे काम कहां चलता।
गावर से लेकर गावस्कर तक रोहित के शतक से प्रफुल्लित
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान डेविड गावर ने एक बार मुझसे बात-चीत में ये माना कि लाल गेंद की क्रिकेट में अपना दबदबा साबित करना सफेद गेंद के मुकाबले ज़्यादा चुनौतीपूर्ण है, लेकिन इसका कतई मतलब नहीं है कि आप रोहित की प्रतिभा या फिर उनके क्लास में खोट निकालें। लंदन में गावर रोहित की इस पारी को देखने के बाद फूले नहीं समा रहें होंगे कि चलो कम से कम इस खिलाड़ी ने एक शुरुआत तो कर ही ली। लेकिन, ऐसी सोच रखने वाले सिर्फ गावर या गावस्कर ही नहीं बल्कि दुनिया भर में रोहित के करोड़ों फैंस भी होंगे।


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