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- रोडवेज़ बनाम रन-वे :...
रवीश कुमार रन-वे के दौर में रोड-वेज़ की बात. दास्सों कंपनी के जहाज़ों के सामने डिपो की वीरता का बखान बेहद ज़रूरी है. सर्वप्रथम डिपो की परिभाषा. डिपो उस एयरपोर्ट को कहते हैं जहां पर ज़मीन पर उड़नेवाली वाली बसें निकलती हैं और वापस आती हैं. यहां पर हर दिन लाखों यात्री बस से उतरते हैं, बस में चढ़ते हैं. बड़े बड़े एयरपोर्ट बिक गए लेकिन डिपो नहीं बिका है. उत्तर प्रदेश के डिपो की कहानी सुनाने का मौका नहीं मिलता अगर आज कई ज़िलों के डिपो से बसों को प्रधानमंत्री के कार्यक्रम हेतु रवाना नहीं किया गया होता. इन सभी बसों के आगे बैनर लगे हैं. इन्हें कोड नंबर भी दिया गया है. इन सभी में गांव गांव से लोग लाए गए हैं. लोग भी और लाभार्थी भी. सुल्तानपुर की तरफ पहुंच रही इन बसों के कारण को कवर कर रहे थे क्योंकि जहां से ये बसें लाई गईं हैं वहां के यात्री सड़कों पर भटक रहे थे.