सम्पादकीय

शांति की राह

Gulabi
18 Nov 2020 4:15 AM GMT
शांति की राह
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लद्दाख क्षेत्र में तनाव दूर करने के लिए भारत-चीन के बीच कई स्तर पर बातचीत हुई है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत चीन सीमा पर तनाव कम करने के प्रयास जारी हैं। लगातार बातचीत से दोनों देशों के बीच कुछ सहमति अवश्य बनी है, फिर भी चीन पर एकदम विश्वास करना घातक हो सकता है। भारत सरकार को इस बात को समझना चाहिए और चीन पर दबाव बनाए रखना चाहिए।

लद्दाख क्षेत्र में तनाव दूर करने के लिए भारत-चीन के बीच कई स्तर पर बातचीत हुई है। भारत शांति का पक्षधर है, मगर अपनी संप्रभुता को खतरे में डाल कर कोई सौदा कैसे हो सकता है? ताजा दौर में कुछ आशा जगी है। भारत चीन पीछे हटने पर सहमत हुए हैं तनाव के बीच तो यह अच्छी बात है। इसी प्रकार वार्ताओं के जरिए ही शांति कायम की जा सकती है। भारत लगातार इस दिशा में प्रयास करे। चीन पर पूरी तरह विश्वास भी न करे, क्योंकि पीठ पीछे छुरा घोंपने की चीन की पुरानी आदत है।

'अमृतलाल मारू 'रवि', धार, मप्र

पुलिस का चेहरा

समाज में शांति और सौहार्दपूर्ण माहौल बनाए रखने की जिम्मेदारी पुलिस को सौंपी गई है। जब भी समाज में अराजकता फैलती है तो गाज पुलिस अधिकारियों पर गिरती है। सामाजिक समरसता बरकरार रखने में असफल पुलिसकर्मियों को या तो तबादले का प्रकोप झेलना पड़ता है या निलंबन का दंश। पुलिसकर्मियों की अकर्मण्यता का सारा दोष उनके लालच और महत्त्वाकांक्षाओं पर फोड़ दिया जाता है, लेकिन उनकी मूलभूत समस्याओं को जानने का प्रयास नहीं किया जाता। पुलिस के ऊपर शासन और नेताओं का दबाव तो है ही, कार्य का अतिरिक्त दबाव भी उनकी कार्यशैली को प्रभावित करता है।

ऐसे में पुलिस से शत-प्रतिशत निष्पक्ष कार्रवाई की उम्मीद करना बेमानी है। पुलिस सुधार केवल आज की जरूरत नहीं है, बल्कि आजादी के बाद से ही इसमें सुधार की गुंजाइश थी, जो समय के साथ और बढ़ती चली गई। पुलिस आयोग की सुधार संबंधी सिफारिशों को अब बगैर देर किए लागू किए जाने की आवश्यकता है, ताकि कानून व्यवस्था में उत्पन्न हुई विसंगतियों को दूर किया जा सके और कानून व्यवस्था सुचारू रूप से चलने लगे। सबसे ज्यादा है कि जिस आम जनता को न्याय दिलाने के लिए पुलिस है, उस आम जनता को पुलिस पर भरोसा हो, वह उन्हें अपना मित्र माने, न कि देखते ही उससे दूरी महसूस करे या डरे!

'शिवम सिंह, बबेरू, बांदा, उप्र

पाकिस्तान की चाल

पाकिस्तान सेना ने एक बार फिर से अपनी कायरतापूर्ण हरकत को अंजाम दीपावली पर एलओसी के पास केरन से उरी सेक्टर तक कई जगहों पर गोलीबारी करके दिया। लेकिन हमारे देश की सेना ने भी उसकी कायरतापूर्ण हरकत का जबाव ईंट के बदले पत्थर से देते हुए पाकिस्तान के कई सैनिकों को मौत के घाट उतार कर दिया। हालांकि पाकिस्तान की इस नापाक हरकत के कारण हमारी सेना के चार जवान शहीद हो गए और छह नागरिकों की भी मौत हो गई।

दरअसल, पाकिस्तान की सेना वहां के उन संकीर्ण सोच वाले कट्टरपंथियों के साये में रहती है, जो हमारे देश के प्रति हमेशा नफरत, वैर-विरोध और द्वेष की भावना रखते आए हैं। दूसरी ओर, हमारा देश हमेशा ही पाकिस्तान को प्यार और अहिंसा से आतंकवाद और कश्मीर समस्या के लिए बातों और समझौतों की राह चलते हुए समझाने की कोशिश करता आया है। लेकिन हमारे देश के प्रति पाकिस्तान ने जब-जब अपनी हरकतों की लक्ष्मण रेखा पार की है, तब-तब हमारे देश ने इसे सुधारने की कोशिश की है। अब भारतीय खुफिया एजेंसियों को उस पर कड़ी नजर रखनी चाहिए।

'राजेश कुमार चौहान, जालंधर, पंजाब

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