सम्पादकीय

सड़क सुरक्षा से होगी जीवन की रक्षा

Rani Sahu
13 Dec 2021 6:59 PM GMT
सड़क सुरक्षा से होगी जीवन की रक्षा
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सड़क सुरक्षा को लेकर आज मानव जाति लापरवाह होती जा रही है

सड़क सुरक्षा को लेकर आज मानव जाति लापरवाह होती जा रही है। हमारे ग्रंथों में लिखा गया है कि मानव जीवन सबसे अनमोल होता है, कई पुण्यों के बाद हमें ये शरीर प्राप्त होता है। इसलिए हमें जीवन को सही अर्थों में जीना चाहिए। विज्ञान के इस युग में मनुष्य ने विकास के इस पथ पर चलते-चलते जीवन के लिए संकट के बादल भी घने कर लिए हैं। इसमें विज्ञान का कसूर नहीं, मनुष्य की अपनी लापरवाही है। एक ऐसी ही लापरवाही आजकल दुर्घटना का सबसे बड़ा कारण है। और वो लापरवाही है सड़क दुर्घटना। जी हां, आजकल दिन प्रतिदिन सड़क हादसे बढ़ते जा रहे हैं। मनुष्य सड़कों पर बिल्कुल लापरवाह होकर चल रहा है जिसके कारण सड़क हादसों से कई लोग काल के ग्रास बनते जा रहे हैं। और सबसे बड़ी बात यह है कि इन हादसों के शिकार अधिकतर युवा होते हैं क्योंकि जोश में होश खोना युवाओं के लिए आम बात हो गई है। वे गाडि़यां बहुत ही अधिक तेजी से चलाते हैं और अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं या फिर जीवन भर के लिए अपाहिज हो जाते हैं। ऐसे लोगों के घर वालों पर जो बीतती है उसका अंदाजा कोई भी नहीं लगा सकता।

कई बार कारण कुछ और भी रहते हैं, परंतु लापरवाही हमेशा ही सबसे ऊपर रहती है क्योंकि गाडि़यां कभी खुद दुर्घटना नहीं करती, दुर्घटना तभी होती है जब वो चल रही होती है। फिर चाहे गलती आपकी हो या सामने वाले की। इसलिए सड़क पर चलते समय हमेशा सजग रहें, वाहन गति हमेशा ही नियंत्रित होनी चाहिए। कभी खराब सड़क, खराब मौसम भी हादसे का कारण बनते हैं तो उस समय भी चालक की सूझबूझ बहुत जरूरी रहती है। सड़क सुरक्षा की तरफ सरकार भी कई महत्त्वपूर्ण कार्य कर रही है जैसे लोगों को जागरूक करना। लापरवाही से गाड़ी चलाने वालों पर शिकंजा कसना, उनके लाइसेंस रद करना, जुर्माना करना इत्यादि। इसके अलावा भी कई तरह के अभियान सड़क सुरक्षा हेतु चल रहे हैं, जैसे सड़क सुरक्षा सप्ताह हर जिले में मनाया जा रहा है, जिसमें पुलिस विभाग द्वारा स्कूल, कॉलेज में बच्चों को सड़क हादसों से बचने तथा हमेशा यातायात के नियमों का पालन करना इत्यादि सिखाया जाता है। सरकारी आंकड़ों की तरफ नजर दौड़ाएं तो आप हैरान हो जाएंगे। मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे के अनुसार हर साल सड़क हादसों में लगभग 137000 लोग अपनी जान गंवा देते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार अकेले 2019 में ही 151000 लोग सड़क हादसों में मारे गए थे। भारत में हर रोज 413 छोटी-बड़ी सड़क दुर्घटनाएं होती हैं जिनमें हर दिन 1000 के लगभग लोग दुर्घटनाग्रस्त होते हैं जिसमें कई अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। यह एक बहुत बड़ा आंकड़ा है। यह इतना खतरनाक है कि कोरोना जैसी महामारी भी इसके आगे कुछ नहीं है।
और ये सिर्फ वह आंकड़े हैं जो रजिस्टर्ड होते हैं जिनका पता किसी रिकॉर्ड से लग जाता है। इसके अलावा वो दुर्घटनाएं जो किसी रिकॉर्ड में नहीं, वो अलग से हैं। तो आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि सड़क सुरक्षा कितनी महत्त्वपूर्ण है। हर वर्ष भारत की जीडीपी का 3 से 5 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाओं में ही खर्च हो जाता है। सड़क हादसे में किसी की जान न जाए, इसके लिए भारत के कानून में भी प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2016 में लागू किए गए कानून के अनुसार यदि सड़क में कोई व्यक्ति हादसे का शिकार हो जाए तो ये आम आदमी का नैतिक कर्त्तव्य है कि उसे अस्पताल तक पहुंचाए। यदि समय पर किसी व्यक्ति को निकटतम अस्पताल या ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया जाए तो उसकी जान बच सकती है। इसे स्वर्णिम घंटा यानी गोल्डन आवर कहा जाता है जिसमें हम किसी भी मासूम की जि़ंदगी को बचा सकते हैं। इस कानून के तहत मदद करने वाले व्यक्ति को कानूनी तौर पर सुरक्षित किया जाता है और उसे अनचाही पूछताछ से नहीं गुजरना पड़ता और इसमें पुलिस आपकी कोई पूछताछ नहीं करेगी, आपको किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। अधिकतर लोग इसीलिए किसी की मदद नहीं करते थे क्योंकि उन्हें पुलिस के कई सवालों का सामना करना पड़ता था तथा उस घटना में उसे गवाही के तौर पर प्रयुक्त किया जाता था। अब इसमें एक बड़ा फेरबदल हुआ है। इससे भी अधिक इसमें आपको अपनी पहचान बताने की भी आवश्यकता नहीं होती। आजकल इस पर भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है, जिससे पुराने कानून से ऊपर उठ कर हम किसी की जान बचाने में भागीदार बन सकते हैं। सड़क दुर्घटनाओं का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। अगर हम अपने पहाड़ी राज्य हिमाचल की ही बात करें तो कई वाहन दुर्घटना के शिकार होते हैं। ऊंची पहाडि़यों से नीचे गिर जाते हैं या कहीं पहाड़ों का मलबा हादसे का कारण बनता है। कई बार ऐसा देखने में आता है कि बहुत से युवक बाइक पर दुर्घटना के शिकार होते हैं जिसका मुख्य कारण ओवर स्पीड ही देखा गया है। हम सभी को इन हादसों से सबक लेना चाहिए। अपना और अपने परिवार का ध्यान रखना होगा।
इसलिए यह भी आवश्यक होता है कि वाहन खरीदते समय भी हम ध्यान रखें। ऐसे वाहन खरीदें जिससे जान का नुकसान कम हो। इसलिए वाहन कम्पनी को भी वाहन मजबूत बनाने के निर्देश देने जरूरी हैं क्योंकि कई बार ऐसा भी देखा गया है कि हादसा छोटा होता है, परंतु नुकसान अधिक होता है जिसका कारण है कि वाहन को बनाने में लगा मैटीरियल मजबूत नहीं होता। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए सड़क हादसों से थोड़ा बचाव किया जा सकता है। सड़क सुरक्षा के नियम सख्ती से लागू होने चाहिए। दोपहिया चलाते समय हमेशा हेलमेट पहनना और गाड़ी चलाते समय सीट बैल्ट का प्रयोग जरूरी है। बच्चों को 18 वर्ष के बाद ही वाहन चलाने को देने चाहिए, वो भी पूरे नियम अच्छे से समझाने के बाद। पुलिस की भूमिका हर बार बहुत महत्त्वपूर्ण रहती है। हादसों से पहले ही पुलिस को सड़क सुरक्षा के नियम सख्ती से लागू करने चाहिए। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि पुलिस तो अपना काम करती है, परंतु चालान से बचने के लिए बहुत से लोग अपनी पहुंच दिखाते हुए नेताओं से फोन करवा कर बचने का प्रयास करते हैं जिससे समाज में नियमों के प्रति कोई डर नहीं रहता और सरेआम नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती हैं। इस तरीके के अनैतिक व्यवहार से सड़क सुरक्षा की बात सोचना भी बेमानी होगी। आइए, हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन भी करेंगे और दूसरों को भी प्रेरित करेंगे ताकि यह अनमोल मानव जीवन हमेशा अनमोल ही रहे।
आशीष बहल
लेखक चुवाड़ी से हैं
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