सम्पादकीय

सुविधा की सड़क

Subhi
16 Dec 2021 1:40 AM GMT
सुविधा की सड़क
x
उत्तराखंड में चारधाम सड़क परियोजना को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आखिरकार इजाजत दे दी। अब उम्मीद की जानी चाहिए कि इस मसले पर सहमति बन जाएगी।

उत्तराखंड में चारधाम सड़क परियोजना को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आखिरकार इजाजत दे दी। अब उम्मीद की जानी चाहिए कि इस मसले पर सहमति बन जाएगी। चारधाम सड़क परियोजना के रूप में चल रहे 'आल वेदर राजमार्ग प्रोजेक्ट' को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। सवाल था कि अगर प्रस्तावित रूपरेखा के तहत सड़क का निर्माण किया जाता है, तो समूचे इलाके की पारिस्थितिकी पर इसका असर पड़ेगा।

मगर सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों पर विचार करने के बाद इस परियोजना को मंजूरी दे दी। अब सरकार लगभग बारह हजार करोड़ की इस परियोजना के तहत करीब नौ सौ किलोमीटर तक सड़क के चौड़ीकरण का काम शुरू कर सकेगी। इसके तहत सड़क को दोहरी लेन में बनाया और उसे दस मीटर तक और चौड़ा किया जाना है। एक स्वयंसेवी संगठन की मुख्य आपत्ति यही थी कि अगर इस राजमार्ग की चौड़ाई को इस स्तर तक बढ़ाया जाएगा तो स्थानीय स्तर पर कई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चार प्रमुख तीर्थों- यमुनोत्री, गंगोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ को सड़क मार्ग से जोड़ने के चलते अब इसे चारधाम परियोजना के नाम से जाना जाता है। लेकिन इसकी अहमियत इसलिए है कि देश की सुरक्षा के लिहाज से इसे बेहद संवेदनशील निर्माण के तौर पर देखा जा रहा है। खासकर पिछले कुछ समय से चीन का भारत के प्रति जो रवैया रहा है, उसमें हर स्तर पर सतर्कता बरतना यों भी वक्त की जरूरत है। चारधाम को जोड़ने के समांतर सरकार का मुख्य जोर इसी पहलू पर रहा है कि इस सड़क के जरिए भारत की पहुंच चीन तक और आसान हो जाएगी; किसी भी मौसम में भारतीय सेना चीन से सटी सीमाओं पर पहुंच सकेगी।
सरकार की दलील है कि सड़क की चौड़ाई इतनी करने की जरूरत है, जिससे टैंक जैसे बड़े हथियारों को आसानी से सीमा के नजदीक ले जाया जा सके। यानी चीन के रुख को देखते हुए अपनी रक्षा तैयारियों को चौकस और दुरुस्त रखना सरकार का मकसद है। शायद यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस पक्ष को अहम माना है। लेकिन पर्यावरण के लिहाज से इस मसले पर अलग चिंताएं हैं।
दरअसल, विकास और पर्यावरण से जुड़े सवालों का आपस में टकराव लंबे समय से कायम रहा है। विकास से जुड़ी गतिविधियों के लिए कई बार पर्यावरण को बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। बाद में खड़े होने वाले पर्यावरण संकट के समय अक्सर विकास के नाम पर की गई बेलगाम निर्माण गतिविधियों पर सवाल उठाया जाता है। इसीलिए अक्सर विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन कायम करने की मांग की जाती रही है। इसमें कोई संदेह नहीं कि चारधाम सड़क परियोजना चीन के संदिग्ध विस्तारवादी रवैये को देखते हुए सामरिक रूप से बेहद महत्त्वपूर्ण है।
लेकिन अगर इससे पर्यावरण या स्थानीय पारिस्थितिकी में कोई अप्रत्याशित जोखिम पैदा होता है, तो इस पक्ष पर भी गौर किया जाना चाहिए। सड़क चौड़ीकरण के लिए जो पेड़ काटे जाएंगे, पहाड़ों में विस्फोट होगा और मलबा फेंका जाएगा, उससे हिमालय की पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंच सकता है। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि उत्तराखंड पहले ही भूस्खलन और बाढ़ के खतरे के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जाता रहा है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की इजाजत के बाद सरकार को इस परियोजना पर आगे कदम बढ़ाने की सुविधा मिल गई है, फिर भी सामरिक अहमियत से इतर पर्यावरणीय सवालों की भी उसे अनदेखी नहीं करनी चाहिए।

Next Story