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उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी (RLSP) का आज यानी 3 मार्च को स्थापना दिवस है
उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी (RLSP) का आज यानी 3 मार्च को स्थापना दिवस है. उपेन्द्र कुशवाहा इन दिनों फिर से चर्चा में हैं कि उनकी पार्टी का विलय जेडीयू में होने वाला है. उपेन्द्र कुशवाहा की सीएम नीतीश कुमार से दो दफा मुलाकात भी हो चुकी है, लेकिन पिछले चार महीनों से चली आ रही ये बातें और मुलाकातें निष्कर्ष तक नहीं पहुंच सकी हैं. जेडीयू विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद अपने कोर वोट बैंक को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयासरत है. इसलिए उपेन्द्र कुशवाहा जो कि कुशवाहा समाज से आते हैं उन्हें जेडीयू अपने साथ लाने का मन बना चुकी है. इस काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कमर कस रखी है. दरअसल उपेन्द्र कुशवाहा और वशिष्ठ नारायण सिंह के बीच काफी समय से मधुर संबंध रहे हैं.
सूत्रों की मानें तो उपेन्द्र कुशवाहा संगठन में महत्वपूर्ण पद चाहते हैं. कुशवाहा अपने वफादार साथियों को जेडीयू के संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिलाना चाहते हैं. सूत्रों के मुताबिक उपेन्द्र कुशवाहा को जेडीयू की तरफ से मंत्री पद का ऑफर है, लेकिन उनकी नजर जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष पर है. दरअसल उपेन्द्र कुशवाहा मानते हैं कि आरसीपी सिंह के सामानांतर जगह मिलने से उन्हें उनके राजनीतिक हैसियत के मुताबिक सम्मान मिल सकेगा. कुशवाहा के नजदीकियों के मुताबिक उपेन्द्र कुशवाहा पॉलिटिकल व्यक्ति हैं और संगठन को बेहतर चलाने के लिए पॉलिटिकल आदमी का होना बेहद जरूरी है. दरअसल आरएलएसपी में कुशवाहा के करीबी नेता कुर्मी और कुशवाहा के बेहतर गठजोड़ (लव और कुश का समीकरण भी कहते हैं) के लिए इसे जरूरी मानते हैं.
आरएलएसपी के राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता फज़ल इमाम पार्टी के विलय की बात को एकदम खारिज नहीं करते हैं और कहते हैं कि उपेन्द्र कुशवाहा जी की मुलाकात सीएम नीतीश कुमार जी से हुई है और इस मुलाकात में सियासी चर्चाएं भी हुई होंगी, लेकिन पार्टी के विलय के मुद्दे पर पार्टी फोरम में अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है.
उपेन्द्र कुशवाहा क्यों बन गए हैं जेडीयू की जरूरत
दरअसल उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में रोहतास, कैमूर, बक्सर और मगध के क्षेत्रों में एक भी सीट नहीं जीतने के बावजूद अच्छा वोट हासिल करने में कामयाब रही है. माना जा रहा है कि जेडीयू कुशवाहा समाज का वोट पाने में सफल नहीं के बराबर रहा, इसलिए जेडीयू को इन इलाकों में भारी नुकसान उठाना पड़ा है. उपेन्द्र कुशवाहा महागठबंधन और एनडीए में शामिल होकर आजमा चुके हैं, वहीं विधानसभा चुनाव में आरएलएसपी का वोट आरएलएसपी को एक भी सीट जिता पाने में कामयाब नहीं हो पाया है. साल 2019 में एनडीए छोड़ने के बाद महागठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर उपेन्द्र कुशवाहा दो जगह से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि उन्हें एक भी सीट पाने में सफलता नहीं मिल सकी थी.
कुशवाहा समाज के एक और नेता आलोक मेहता जो कि आरजेडी में हैं उन्हें जेडीयू में लाने का खूब प्रयास किया गया. आलोक मेहता लालू प्रसाद यादव से विशेष नज़दीकी की वजह से आरजेडी को छोड़ना मुनासिब नहीं समझा है. जेडीयू इसलिए कोइरी समाज के एक लोकप्रिय नेता को अपने पाले में लाकर लव-कुश समीकरण को साधना चाहती है.
उपेन्द्र कुशवाहा और किसी विकल्प के लिए तैयार हैं?
कहा ये भी जा रहा है कि नीतीश कुमार उपेन्द्र कुशवाहा को अपने कोटे से मंत्री बना सकते हैं, वहीं उनके खास लोगों को पार्टी में सम्मानित जगहों पर भी बैठाया जा सकता है. दरअसल नीतीश कुमार कोटे के दो मंत्री पद खाली हैं जिनमें से एक उपेन्द्र कुशवाहा को पार्टी में शामिल करा देने के बाद दिए जाने की चर्चा है. लेकिन उपेन्द्र कुशवाहा अपने वफादार साथियों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं, इसलिए उनकी नजर राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष पर है. यही वजह है कि पिछले चार महीनों से चली आ रही बातें और मुलाकातें मकसद हासिल करने में अबतक कामयाब नहीं हो सकी हैं. आरएलएसपी का किसान चौपाल का कार्यक्रम 28 मार्च को खत्म हुआ है और पार्टी 3 मार्च को स्थापना दिवस भी मना रही है, लेकिन आरएलएसपी पार्टी का स्थापना दिवस इस बार अंतिम होगा इस बात की चर्चा जोरों पर है. विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक आरएलएसपी का जेडीयू में विलय दो से तीन सप्ताह में अंजाम तक पहुंच जाएगा. जेडीयू की प्रवक्ता सुहैली मेहता कहती हैं कि इस बारे में शीर्ष नेताओं की बात हो सकती है लेकिन उन्हें इस बात की सूचना औपचारिक तौर पर नहीं दी गई है.
Gulabi
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