सम्पादकीय

जोखिम की उड़ान

Subhi
31 Oct 2022 5:07 AM GMT
जोखिम की उड़ान
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जिन जगहों पर रेल से पहुंचने में दो दिन लगते हैं, वहां एक ही दिन में पहुंच कर वापस भी आया जा सकता है। इसलिए कामकाजी व्यस्तता बढ़ने की वजह से अब बहुत सारे लोगों के लिए हवाई यात्रा अधिक सुविधाजनक महसूस होती है।

Written by जनसत्ता; जिन जगहों पर रेल से पहुंचने में दो दिन लगते हैं, वहां एक ही दिन में पहुंच कर वापस भी आया जा सकता है। इसलिए कामकाजी व्यस्तता बढ़ने की वजह से अब बहुत सारे लोगों के लिए हवाई यात्रा अधिक सुविधाजनक महसूस होती है। हवाई यात्रा के प्रति लोगों के बढ़ते रुझान को देखते हुए तमाम विमानन कंपनियों ने अपने बेड़े और सेवाओं में तेजी से विस्तार किया है। छोटे-छोटे शहरों तक हवाई सेवाएं शुरू हो चुकी हैं। हवाई यात्रा में यात्री सुरक्षा का इंतजाम उनकी साख से जुड़ा होता है।

मगर इधर कुछ महीनों से इसी साख में बट्टा लगता नजर आ रहा है। एक महीने में कई हवाई जहाजों को सुरक्षा कारणों से आपातकालीन स्थिति में उतारना पड़ा है। ताजा मामला इंडिगो के दिल्ली से बंगलुरु जा रहे विमान में चिंगारी फूटने के चलते उड़ान भरने से रोकने का है। गनीमत है कि इसमें कोई बड़ा हादसा होने से टल गया और सभी मुसाफिरों को सुरक्षित उतार लिया गया। बताया जा रहा है कि हवाई पट्टी पर दौड़ते समय विमान में तकनीकी खराबी आई और उसके बाएं हिस्से में चिंगारी फूट पड़ी।

ऐसी ही घटना पिछले दिनों पटना हवाईअड्डे से उड़ान भर चुके स्पाइस जेट के विमान में हुई थी, जब उसके डैनों में चिंगारी फूटी और लपट बन गई। जब विमान हवा में उड़ रहा था, तब उसके डैने से उठती आग की लपट को हवाईअड्डे के आसपास के रिहाइशी इलाकों के लोगों ने देखा और उसके बाद उस विमान को आपातकालीन स्थिति में उतारा गया। इस तरह उसमें भी कोई बड़ा हादसा होने से बच गया।

पिछले कुछ समय में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें सबसे अधिक स्पाइस जेट के विमान शामिल थे। कुछ मामलों में डीजीसीए ने स्पाइस जेट के खिलाफ कड़ा रुख भी अपनाया है। अब इंडिगो में भी वैसी ही घटना हो गई। इसे लेकर विमान सेवाओं में यात्री सुरक्षा पर सवाल गहरे होने लगे हैं। निस्संदेह डीजीसीए इस मामले की जांच करके संबंधित विमानन कंपनी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का प्रयास करेगा, मगर इससे मुसाफिरों का जो विश्वास डिगा है, उसकी भरपाई में लंबा वक्त लगेगा।

यों तो जब भी किसी विमान को उड़ान भरने की इजाजत दी जाती है, तो उसके तमाम तकनीकी पक्षों की गंभीरता से जांच की जाती है। फिर भी किन्हीं विषम परिस्थितियों में हादसे की आशंका बनी रहती है। चूंकि विमान जमीन से काफी ऊंचाई पर उड़ान भर रहे होते हैं, इसलिए ऊपर किसी भी तरह की तकनीकी खराबी बड़े हादसे का सबब बन सकती है। इसके मद्देनजर चालक दल की कुशलता से लेकर विमान की स्थिति आदि को बहुत बारीकी से जांचा-परखा जाता है। विमानों के बाहरी हिस्से में आग लगने की घटनाएं कई वजहों से हो सकती हैं।

किसी पक्षी के उसके प्रोपेलर में फंस जाने, उसके डैने से टकरा जाने या किसी अन्य वस्तु के उससे टकराने से भी आग लगने की घटना हो सकती है। हवाईअड्डों पर इन बातों का पूरा ध्यान रखा जाता है। ऊपर पहुंचने के बाद ऐसी किसी वस्तु के टकराने का खतरा नहीं रहता। मगर हैरानी है कि कैसे हवाई पट्टी पर ही दौड़ते हुए विमानों में चिंगारी फूटने की घटनाएं हो गर्इं। अगर हवाईअड्डों पर ही ऐसी टकराने वाली स्थितियों को रोकने में लापरवाही बरती गई, तो यह बहुत गंभीर बात है।


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