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बढ़ती महंगाई
गौरव अग्रवाल।
कोरोना की पहली दस्तक के लगभग 20 महीनों बाद घरों-बाज़ारों में एक बार फिर रौनक वापस लौटी है. इस फेस्टिव सीज़न के दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से भी एक गुड न्यूज़ आई. IMF के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था आने वाले दिनों में दुनिया में सबसे तेज़ी से फर्राटा भरेगी. लेकिन सवाल है कि क्या बढ़ती महंगाई इस मिठास को बिगाड़ रही है? इससे भी बड़ा सवाल ये सरकारी आंकड़ों में कम दिखने वाली महंगाई ज़मीन पर भी उतनी ही दिखती है.
कोरोना की दो लहरों से जूझने के बाद भारत की इकोनॉमी में सुधार दिखने लगा है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अनुमान जताया है कि भारत की ग्रोथ रेट अगले साल तक दुनिया में सबसे तेज रहेगी. IMF ने भारत के लिए साल 2021 में 9.5% और 2022 में 8.5% की आर्थिक ग्रोथ का अनुमान जताया है. रिजर्व बैंक ने भी वित्त वर्ष 2021-22 के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान 9.5% रखा है. अर्थव्यवस्था बढ़ने का सीधा असर आम आदमी की जिंदगी पर पड़ता है जैसे आमदनी में इज़ाफ़ा, गरीबी में कमी, शिक्षा में सुधार, सरकारी योजनाओं में तेजी और जीवन में सुधार.
हालांकि IMF के पिछले कुछ अनुमानों और GDP के आंकड़ों में अंतर भी देखने को मिला है
लेकिन केवल अर्थव्यवस्था के पहिये ही उतनी तेज़ी से नहीं भाग रहे. पेट्रोल-डीजल, सीएनजी-पीएनजी, खाघ तेल जैसी रोजमर्रा की चीजों के दामों को भी पंख लग गए हैं. जानकारों की मानें तो सितंबर की खुदरा महंगाई दर में कमी भी टिकाउ नहीं है और आगे बढ़ सकती है. जानकारों के मुताबिक इसके कई कारण हैं.
सिंतबर में कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स (अंडे, मांस, मछली, फलों और सब्जियों के दाम) में घटकर 0.68% पर आ गया जो अगस्त में 3.11% था. खासकर सब्जियों के दामों में 22% गिरावट देखने को मिली. बाकी फूड एंड बेवरेजेज सेगमेंट में इन्फ्लेशन 1.01% बढ़ा. फ्यूल और लाइट कैटेगरी में महंगाई 13.63% के ऊपरी लेवल पर रही. इसके अलावा दुनियाभर में स्टैगफ्लेशन वाली स्थिति बनने की चिंता बढ़ रही है. स्टैगफ्लेशन की स्थिति में आर्थिक वृद्धि दर कम लेकिन महंगाई दर ज्यादा रहती है.
इसके अलावा क्रूड और पेट्रोल-डीज़ल के दाम में बढ़ोतरी का असर दूसरी चीज़ों के उत्पादन और भाड़े पर भी पड़ेगा. इस वजह से भी दिसंबर से मंहगाई में तेज उछाल देखने को मिल सकती है. कई अर्थशास्त्री बढ़ती महंगाई को अर्थव्यवस्था का इंडिकेटर मानते हैं. उनके मुताबिक ये बताता है कि देश में डिमांड बढ़ रही है. लेकिन पेट्रोल-डीजल की बढ़ती महंगाई इससे ठीक उलट है. गाड़ियों की बिक्री से इसका सीधा संबंध है जो देश की जीडीपी में 7 से 7.5 फीसदी का योगदान देती है. कुल मिलाकर बढ़ती महंगाई क्या ग्रोथ में तेजी का सिगनल है या नहीं, ये समय और परिस्थितियों पर निर्भर करता है. फिलहाल अभी इसमें कोई सीधा संबंध नज़र नहीं आता.
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