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आम आदमी पर पड़ेगी महंगाई की मार
रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ा युद्ध चाहे जिस नतीजे पर पहुंचे, दुनिया भर में महंगाई बढ़ना तय है। इस युद्ध ने कोविड महामारी से उबर रही वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष एक नया संकट खड़ा कर दिया है। यूक्रेन पर रूस के हमले के साथ ही कच्चे तेल के मूल्यों में वृद्धि का जो सिलसिला कायम हुआ, वह थमने का नाम नहीं ले रहा है। विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम 120 डालर प्रति बैरल का स्तर पार करते दिख रहे हैं। यदि यूक्रेन संकट का शीघ्र हल नहीं निकला तो कच्चे तेल के दामों में और भी बढ़ोतरी हो सकती है। चूंकि भारत पेट्रोलियम पदार्थो का बड़ा आयातक है इसलिए उसे भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
पेट्रोलियम पदार्थो के मूल्यों में वृद्धि का मतलब है महंगाई बढ़ना। एक ओर जहां इस महंगाई को थामने के लिए सरकार को तत्काल प्रभाव से उपाय करने होंगे, वहीं आम जनता को भी उसका सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। महंगाई बढ़ने का कारण केवल पेट्रोलियम पदार्थो के मूल्यों में वृद्धि ही नहीं, बल्कि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की ओर से रूस पर लगाए जा रहे प्रतिबंध भी हो सकते हैं। जैसे सरकार इन प्रतिबंधों के असर से बचने की तैयारी कर रही है, वैसे ही उसे पेट्रोलियम पदार्थो के दामों में उछाल से बचने के लिए सक्रिय होना होगा। यह कठिन काम है, लेकिन कुछ तो उपाय करने ही होंगे।
आवश्यक केवल यह नहीं कि आयातित पेट्रोलियम पदार्थो पर निर्भरता कम करने के उपाय खोजे जाएं, बल्कि यह भी है कि उसकी खपत कम करने के कदम उठाए जाएं। ऐसे कदम तभी सफल होंगे, जब जनता का सहयोग मिलेगा। आवागमन के लिए सार्वजनिक परिवहन के साधनों का अधिकाधिक उपयोग समय की मांग है। इसकी भी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि ट्रैफिक जाम, अतिक्रमण आदि के कारण वाहन या तो धीमी गति से या फिर रुक-रुक कर चलते हैं। इससे ईंधन की बहुत बर्बादी होती है। इसे तुरंत तो नहीं रोका जा सकता, लेकिन ऐसे कदम तो उठाए ही जा सकते हैं, जिससे इस बर्बादी पर यथासंभव रोक लगे। इसके साथ ही ऐसे भी जतन किए जाने चाहिए, जिससे इलेक्टिक वाहनों के चलन को बढ़ावा मिले।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
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