सम्पादकीय

RIP Lata Mangeshkar: ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंखों में भर लो पानी...

Rani Sahu
6 Feb 2022 11:37 AM GMT
RIP Lata Mangeshkar: ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंखों में भर लो पानी...
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अपनी मधुर आवाज से पूरी दुनिया को अपना दीवाना बना देने वाली लता मंगेशकर आज हमारे बीच नहीं रहीं

विशाल ठाकुर

अपनी मधुर आवाज से पूरी दुनिया को अपना दीवाना बना देने वाली लता मंगेशकर आज हमारे बीच नहीं रहीं. आज सुबह मुंबई में उनका निधन हो गया. अपने चहेतों के बीच प्यार से लता दीदी के नाम से जानी जाने वाली वह अजीम शख्सियत 92 वर्ष की थीं.
बीते एक महीने से वह कोरोना संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती थीं. ज्यादा तबीयत खराब होने पर उन्हें बीते दिनों आईसीयू में भी भर्ती कराना पड़ा था, जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी. फिर खबर आई कि उनकी तबियत में सुधार आ रहा रहा है, लेकिन नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था.
लता मंगेशकर को स्वर कोकिला के नाम से भी जाना जाता है. उनकी मधुर और दिल को छू लेने वाली वो आवाज बेशक आज हमारे बीच मौजूद नहीं है, लेकिन अपने प्यार और स्नेह भाव के चलते वह करोड़ों देशवासियों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगी. लता जी के जाने से न केवल पूरी फिल्म इंडस्ट्री, बल्कि समूचे देश में भी शोक की एक लहर है.
वह केवल फिल्म बिरादरी के वरिष्ठतमों में से ही नहीं थीं, बल्कि देश में भी उनकी उपस्थिति किसी रत्न से कम नहीं आंकी जा सकती. यही वजह है कि उनके निधन की खबर सुनते ही देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित तमाम बड़े बड़े राजनेताओं और दिग्गजों ने उनके निधन पर अपनी शोक संदेवना प्रकट की है.
लता मंगेशकर हिन्दी सिनेमा जगत की चकाचौंध के बीच अलग से चमकते उस ध्रुव सितारे की तरह थीं, जिसने अपनी आवाज, सादगी और कठिन परिश्रम से लोगों का दिल जीता. उन्होंने हर तरह के नगमें गाये और इस तरह गाये कि रूमानियत से लेकर देशभक्ति तक हर हर भाव श्रोताओं ने अपने दिलों के भीतर तक महसूस किया.
सन 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध से पूरा देश तनाव और सदमे का दंश झेल रहा था. हमारे सैनिकों की शहादत से लोग आहत थे. उस मुश्किल घड़ी में उनका प्रसिद्ध गीत ऐ मेरे वतन के लोगों जरां आंख में भर लो पानी… ने जख्मी दिलों पर मरहम और शहीदों को श्रद्धांजलि देने का काम किया.
कहा जाता है कि इस गीत को सुनकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की आंखें भी नम हो गईं थीं. कवि प्रदीप का लिखा और सी रामचंद्र द्वारा संगीतबद्ध यह गीत लता जी ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के रामलीला मैदान में भारतीय सैनिकों को समर्पित किया था. यह गीत अपने आप में इतना मार्मिक है कि आज भी इसे सुनकर लोग अपने आंसू नहीं रोक पाते.
उनके बारे में यह कहना अतिशोक्ति नहीं कि वह देश के हर आम-ओ-खास की आवाज थीं. सात दशकों से भी लंबे समय तक फिल्म संगीत के न जाने कितने ही गीतकारों, फिल्मकारों, लेखकों, शायरों और गायकों के साथ उनकी संगीतमय यात्रा किसी धरोहर या पवित्र ग्रंथ से कम नहीं है.
विश्व प्रसिद्ध वायलिन वादक येहुदी मेनुहिन ने उनके बारे में कहा था- 'काश मेरी वायलिन आपकी गायकी की तरह बज सके.'
गायिका बनने से पहले उन्होंने फिल्मों में भी काम किया था. उनकी पहली फिल्म 'पाहिली मंगलागौर' (1942) थी. फिर सन 1943 में उन्होंने 'माझे बाल, चिमुकला संसार' और सन 1944 में 'गजभाऊ' में भी अभिनय किया. लेकिन अभिनय में ज्यादा बात बनी नहीं और फिर वह मुंबई आ गईं, जहां उन्होंने उस्ताद अमानत अली खान से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली. यहां आने के दो साल बाद 1947 में आई फिल्म 'आपकी सेवा में', के लिए उन्होंने एक गीत गाया जो खास नजर में नहीं आया.
फिर एक लंबी और थका देने वाली मेहनत के बाद उन्हें फिल्म 'मजबूर' (1948) में गीत- दिल मेरा तोड़ा, कहीं का ना छोड़ा… गीने का मौका मिला, जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसके ठीक एक साल बाद बांबे टाकीज की फिल्म 'महल' आई. बतौर निर्देशक कमाल अमरोही की यह पहली फिल्म थी, जिसके गीत आयेगा, आयेगा, आयेगा आने वाला… की प्रसिद्धि से लता मंगेशकर के करियर को पंख लग गये और वह घर घर की आवाज बन गईं.
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