- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- सूचना का अधिकार कानून:...
सूचना का अधिकार कानून को लेकर हाल ही में आई जानकारियों से शायद ही किसी को हैरत हुई होगी। सरकारी तंत्र को लेकर आम धारणा है कि राजनीतिक नेतृत्व के कड़े कदम की भी वह काट निकाल ही लेता है। सूचना के अधिकार से जुड़ी सूचनाएं भी साबित कर रही हैं कि तंत्र ने लोगों को सशक्त बनाने और प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता लाने वाले सूचना के अधिकार कानून को किनारे रखने की राह निकाल ली है। यही वजह है कि बीते 30 जून तक सूचना के अधिकार कानून से संबंधित 2,55,602 मामले लंबित पाए गए। ये मामले ऐसे हैं, जो गंभीर हैं और जिनके बारे में मांगी गई जानकारियां या तो अधिकारियों ने नहीं दीं या फिर टालू जानकारियां दीं। प्रथम या दूसरी अपील की नौबत तभी आती है, जब या तो अधिकारियों द्वारा सही और मांगी हुई जानकारी नहीं दी जाती, या फिर बहाने से उन्हें देना टाल दिया जाता है। देश में ढाई लाख से ज्यादा मामलों की सुनवाई का लंबित होना यह भी साबित करता है कि जिम्मेदार प्राधिकारी किस तरह सूचना के अधिकार कानून को ठेंगे पर रखने लगे हैं।