- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- चीनी उत्पादों को टक्कर...
x
सरकार अपने हिस्से की भूमिका का निर्वाह करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाने के लिए सक्रिय हो।
मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से प्रधानमंत्री ने एक बार फिर वोकल फार लोकल नारे को रेखांकित करते हुए देश की जनता से आग्रह किया कि त्योहारों के इस अवसर पर वह स्वदेशी उत्पादों का ही क्रय करे। निश्चित रूप से ऐसा ही होना चाहिए, ताकि स्वदेशी उद्योगों को बल मिले और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को आसानी से प्राप्त किया जा सके, लेकिन इसी के साथ यह समझा जाना चाहिए कि इस दिशा में सरकार और उद्योग जगत को भी बहुत कुछ करना होगा। इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि वोकल फार लोकल पर बल देने और देश को आत्मनिर्भर बनाने की तमाम बातें करने के बाद भी अभीष्ट की पूर्ति नहीं हो पा रही है।
चिंता की बात यह है कि भारतीय बाजारों में चीनी उत्पादों का दबदबा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। यह तब है जब चीनी उत्पादों पर निर्भरता घटाने के लिए कई कदम उठाए जा चुके हैं। यदि इन कदमों के बाद भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं तो इसका अर्थ है कि वोकल फार लोकल नारे को जमीन पर उतारने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए गए। अब जब प्रधानमंत्री ने एक बार फिर घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देने की बात की है तो फिर उनकी सरकार को यह देखना होगा कि भारतीय उद्योग उन वस्तुओं का निर्माण करने में सक्षम कैसे बनें जिनका आयात चीन से करने की बाध्यता समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है।
निश्चित रूप से भारतीय उद्योग तभी सक्षम बनेंगे जब उनके द्वारा बनाए जाने वाले उत्पादों की गुणवत्ता भी बेहतर होगी और उनकी लागत भी। वास्तव में ऐसा होने पर ही भारतीय उत्पाद चीनी उत्पादों का मुकाबला करने के साथ-साथ देश और विदेश में अपने लिए स्थान बना पाएंगे।
यह सही समय है कि एक ओर जहां उद्योग जगत चीनी उत्पादों को टक्कर देने के लिए आगे आए, वहीं सरकार भी छोटे-बड़े उद्यमियों को हरसंभव सहायता प्रदान करे। इन उद्यमियों को प्रोत्साहन के साथ आधारभूत ढांचा और तकनीक भी उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। इस आवश्यकता की पूर्ति किए बिना न तो वोकल फार लोकल का नारा सार्थक होने वाला है और न ही भारतीय बाजारों को चीन से आयातित उत्पादों के वर्चस्व से मुक्ति मिलने वाली है। यह मुक्ति पानी ही होगी, क्योंकि चीन भारत के खुदरा बाजार पर कब्जा करने की जो कोशिश एक लंबे समय से कर रहा है उसे नाकाम करने के हमारे प्रयास सफल होते हुए नहीं दिख रहे हैं। उचित यह होगा कि वोकल फार लोकल नारे पर जोर दे रही सरकार अपने हिस्से की भूमिका का निर्वाह करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाने के लिए सक्रिय हो।
Next Story