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- मजबूरी में सही कदम

पिछली तारीख से टैक्स लगाने का प्रस्ताव किसी रूप में तार्किक नहीं है। तत्कालीन यूपीए सरकार ने ये प्रावधान कर न सिर्फ गलत मिसाल कायम की थी, बल्कि उसके परिणामस्वरूप देश को भारी नुकसान हुआ। ये नुकसान सिर्फ आर्थिक नहीं है। बल्कि उतनी ही क्षति देश की छवि को पहुंची। इसलिए उस प्रावधान को खत्म करने के लिए बिल पारित कराना मौजूदा सरकार का सही कदम है। मगर ये बात ध्यान में रखनी चाहिए कि ये कदम इस सरकार ने एक सकारात्मक पहल के रूप में नहीं उठाया है। बल्कि अंतरराष्ट्रीय पंचाटों में भारत की हुई हार के बाद बनी मजबूरी में उठाया है। वरना, अगर यह सरकार की आस्था का प्रश्न होता, तो वह लगे हाथ उस प्रावधान को भी खत्म करती, जिसे खुद नरेंद्र मोदी सरकार ने 2017 में लागू किया था। उस प्रावधान के तहत किसी भारतीय नागरिक के खिलाफ 55 साल तक के पुराने मामले में टैक्स अधिकारी कार्रवाई शुरू कर सकते हैँ। जब यूपीए सरकार ने ये प्रावधान किया था, तो भाजपा ने उसे टैक्स आतंकवाद कहा था। मगर विदेशी कंपनियों के मामले में अगर ऐसा प्रावधान आतंकवाद है, तो आखिर देश के नागरिकों के लिए ऐसा कैसे नहीं है?
