सम्पादकीय

मजबूरी में सही कदम

Rounak Dey
9 Aug 2021 4:36 AM GMT
मजबूरी में सही कदम
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पिछली तारीख से टैक्स लगाने का प्रस्ताव किसी रूप में तार्किक नहीं है।

पिछली तारीख से टैक्स लगाने का प्रस्ताव किसी रूप में तार्किक नहीं है। तत्कालीन यूपीए सरकार ने ये प्रावधान कर न सिर्फ गलत मिसाल कायम की थी, बल्कि उसके परिणामस्वरूप देश को भारी नुकसान हुआ। ये नुकसान सिर्फ आर्थिक नहीं है। बल्कि उतनी ही क्षति देश की छवि को पहुंची। इसलिए उस प्रावधान को खत्म करने के लिए बिल पारित कराना मौजूदा सरकार का सही कदम है। मगर ये बात ध्यान में रखनी चाहिए कि ये कदम इस सरकार ने एक सकारात्मक पहल के रूप में नहीं उठाया है। बल्कि अंतरराष्ट्रीय पंचाटों में भारत की हुई हार के बाद बनी मजबूरी में उठाया है। वरना, अगर यह सरकार की आस्था का प्रश्न होता, तो वह लगे हाथ उस प्रावधान को भी खत्म करती, जिसे खुद नरेंद्र मोदी सरकार ने 2017 में लागू किया था। उस प्रावधान के तहत किसी भारतीय नागरिक के खिलाफ 55 साल तक के पुराने मामले में टैक्स अधिकारी कार्रवाई शुरू कर सकते हैँ। जब यूपीए सरकार ने ये प्रावधान किया था, तो भाजपा ने उसे टैक्स आतंकवाद कहा था। मगर विदेशी कंपनियों के मामले में अगर ऐसा प्रावधान आतंकवाद है, तो आखिर देश के नागरिकों के लिए ऐसा कैसे नहीं है?

फिर ये सवाल भी बना हुआ है कि जिसे भाजपा आतंकवाद समझती थी, उसे उसने अपने शासनकाल में सात साल तक क्यों जारी रखा? बहराहल, लाए गए ताजा बिल टैक्सेशन लॉज (अमेंडमेंट) बिल- 2021 के पारित होने के बाद पूर्व तारीख से टैक्स लगाने वाला विवादित कानून खत्म हो जाएगा। इसका सीधा असर ब्रिटिश कंपनी केयर्न एनर्जी और वोडाफोन से जुड़े भारत सरकार के टैक्स मामलों पर पड़ेगा। केयर्न एनर्जी अंतरराष्ट्रीय पंचाट में केस जीतने के बाद विदेशों में भारतीय संपत्तियों को जब्त कराने की कार्रवाई शुरू कर चुकी है। नए बिल में प्रस्ताव है कि जो रकम पिछली तारीख से बने टैक्स के रूप में भारत सरकार ने वसूली है, उसे वह ब्याज के बगैर लौटा देगी। अब देखने की बात होगी कि क्या कंपनियों को ये प्रावधान मंजूर होता है। वे यह मांग जरूर करेंगी कि जो रकम नए कानून के तहत अवैध वसूली मानी गई है, उस पर जो ब्याज बनता है, वह भी भारत सरकार लौटाए। इससे राजकोषीय समस्या और गहराएगी। बहरहाल, राजकोषीय सेहत किसी गलत कानून को बनाए रखने का तर्क नहीं हो सकती।


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