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सोर्स- जागरण
डा. जयंतीलाल भंडारी : इस समय जब पूरी दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-ताइवान तनाव और आपूर्ति शृंखला में अवरोधों की वजह से आर्थिक-वित्तीय चुनौतियों और बढ़ती महंगाई से त्रस्त है, तब भारत में अपनाई गईं विवेकपूर्ण आर्थिक रणनीतियों से आम आदमी को राहत मिलती दिखाई दे रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध पर पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत ने जिस तरह तटस्थ रुख अपनाया, उसके कारण भारत इस समय रूस से पर्याप्त छूट और रियायतों पर सस्ता कच्चा तेल प्राप्त कर रहा है।
तीन वर्ष पूर्व भारत ने एक्ट फार ईस्ट नीति की जो घोषणा की थी, उसी का नतीजा है कि भारत-रूस से रियायती दरों पर कच्चा तेल प्राप्त कर रहा है। उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के बीच तेल के कुल आयात में रूस की हिस्सेदारी पिछले वर्ष की इसी अवधि के 2.02 प्रतिशत से बढ़कर करीब 12.9 प्रतिशत हो गई है, जबकि अमेरिका की हिस्सेदारी पिछले वर्ष की इसी अवधि के 9.2 प्रतिशत से घटकर 5.4 प्रतिशत रह गई है।
इस समय भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है। यह भी महत्वपूर्ण है कि जब से भारत ने पर्याप्त छूट के साथ रूस से कच्चे तेल का आयात शुरू किया है, तब से भारत को इराक द्वारा भी कच्चे तेल की आपूर्ति में बड़ी छूट की पेशकश की जा रही है। जिस प्रकार रूस से प्राप्त सस्ते कच्चे तेल के कारण भारत में महंगाई पर नियंत्रण करना आसान हुआ है, उसी तरह रिजर्व बैंक द्वारा उठाए गए रणनीतिक कदम भी आर्थिक चिंताओं के मोर्चे पर देश के लिए राहतकारी साबित हुए हैं।
वस्तुतः महंगाई पर नियंत्रण के लिए रिजर्व बैंक नरम मौद्रिक नीति से पीछे हटकर नीतिगत ब्याज दरों में वृद्धि की रणनीति पर आगे बढ़ा है। रिजर्व बैंक बाजार से तरलता खींच रहा है। इसके अनुकूल परिणाम भी दिखाई दे रहे हैं। अगस्त में खुदरा महंगाई दर सात प्रतिशत के स्तर पर रही। इसी तरह थोक महंगाई दर अगस्त में 12.41 प्रतिशत रही, जबकि जुलाई माह में 13.93 प्रतिशत थी।
देश में पेट्रोल और डीजल में एथनाल का मिश्रण बढ़ाकर भी ईंधन की कीमतों में कमी लाने का प्रयास सफल हुआ है। 2014 में पेट्रोल में एथनाल मिश्रण बमुश्किल 1.4 प्रतिशत होता था, जबकि इस वर्ष 10.6 प्रतिशत एथनाल मिश्रण किया जा रहा है, जो लक्ष्य से कहीं ज्यादा है। 2025 तक पेट्रोल में एथनाल मिश्रण का लक्ष्य 20 प्रतिशत रखा गया है। यही वजह है कि एथनाल के उपयोग में तेल विपणन कंपनियों की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है। आठ वर्ष पहले देश में 40 करोड़ लीटर एथनाल का उत्पादन होता था, अब करीब 400 करोड़ लीटर एथनाल का उत्पादन हो रहा है।
इस समय वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बीच देश की आर्थिक रणनीति का एक अहम पड़ाव आरबीआइ द्वारा भारत के साथ डालर के संकट का सामना कर रहे रूस, इंडोनेशिया, श्रीलंका, ईरान के अलावा एशिया और अफ्रीका के कई देशों के बीच व्यापारिक सौदों का निपटान रुपये में किए जाने संबंधी महत्वपूर्ण निर्णय भी है। इस परिप्रेक्ष्य में उल्लेखनीय है कि भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय कारोबार को अगले कुछ ही दिनों में एक-दूसरे की मुद्राओं में किए जाने की संभावना है।
इसी तरह भारत अन्य देशों के साथ भी एक-दूसरे की मुद्राओं में भुगतान की व्यवस्था सुनिश्चित करने की डगर पर आगे बढ़ रहा है। इससे रुपये को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेनदेन के लिए अहम मुद्रा बनाने में मदद मिलेगी। इससे जहां व्यापार घाटा कम होगा, वहीं विदेशी मुद्रा भंडार घटने की चिंता भी कम होगी। इस वक्त वैश्विक आर्थिक एवं वित्तीय चुनौतियों तथा वैश्विक मांग में शिथिलता के बीच भारत में सरकार द्वारा अपनाई गईं आर्थिक रणनीतियां आम आदमी और अर्थव्यवस्था के लिए राहतकारी सिद्ध हुई हैं, लेकिन अभी भी खाद्य वस्तुओं की उच्च महंगाई दर देश के लिए एक चुनौती बनी हुई है। ऐसे में खुदरा महंगाई में तत्परता से और अधिक कमी लाने की जरूरत है।
खुदरा महंगाई को नियंत्रित कर इस वर्ष छह प्रतिशत और आगामी दो वर्षों में चार प्रतिशत तक लाने के लिए रेपो रेट में कुछ और वृद्धि करके अर्थव्यवस्था में नकदी प्रवाह को कम किया जाना उपयुक्त होगा। देश में अब कच्चे तेल के अधिक उत्पादन एवं कच्चे तेल के विकल्पों पर भी ध्यान देना होगा। इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ अन्य हाइब्रिड वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहन देना होगा। इलेक्ट्रिक कारों की तरह हाइब्रिड कारों पर भी जीएसटी घटाना लाभप्रद होगा। पेट्रोल-डीजल आधारित वाहनों के उपयोग को हतोत्साहित करते हुए ग्रीन ईंधन वाले वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित करना होगा। अभी रूस से कच्चे तेल के आयात में और वृद्धि की जरूरत है। यह भी जरूरी है कि घरेलू उत्पादन वृद्धि और स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहन देने के साथ आत्मनिर्भर भारत अभियान को तेजी से आगे बढ़ाकर व्यापार घाटे में कमी की जाए।
चूंकि अब कई देशों के साथ कुछ ही समय में व्यापार रुपये में होने लगेगा, अत: अभी जिस तरह डालर या यूरो में निर्यात करने वाले व्यापारियों को कमाई पर सरकार की तरफ से कर छूट दी जाती है, वैसी ही छूट रुपये में निर्यात करने वालों को भी देनी चाहिए। ऐसी स्कीम बनाई जानी चाहिए, जिससे रुपये में वैश्विक कारोबार पर कर छूट मिले। इससे व्यापार घाटे में कमी आएगी। इन उपायों को अपनाकर देश वैश्विक आर्थिक-वित्तीय चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना कर सकेगा और देश के करोड़ों लोगों को और अधिक राहत दी जा सकेगी।

Rani Sahu
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