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- मंदिर आय का सही निवेश

राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में मंदिरों की आय के सदुपयोग को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार के सुझाव प्रशंसनीय हो सकते हैं, लेकिन हिमाचल के संबंध में मंदिरों के प्रबंधन पर कहीं अधिक तवज्जो देने की जरूरत है। मंदिरों की आय पर पहला हक श्रद्धालुओं की सुविधाएं बढ़ाने से उस श्रद्धा के नाम होगा, जिसके चलते अस्सी फीसदी पर्यटक हिमाचल आते हैं। विडंबना यह है कि धार्मिक पर्यटन को केवल मंदिर व्यवस्था मान लिया गया है या इसकी क्षमता का सही मूल्यांकन ही नहीं हुआ। शांता कुमार मंदिरों की आय को तीन लाख करोड़ मानते हैं, तो इसमें हिमाचल के सौ-डेढ़ सौ करोड़ तो दिखाई भी नहीं देते या हमने इस क्षमता को केवल एक सीमित गतिविधि के तौर पर ही देखा है। हिमाचल अगर तय कर ले कि मंदिर आय अगले कुछ सालों में दो हजार करोड़ तक पहुंचानी है, तो प्रमुख धार्मिक स्थलों को आर्थिक केंद्रों के रूप में विकसित करना होगा। यह वर्तमान ढर्रे में असंभव इसलिए है, क्योंकि हर मंदिर अपने-अपने ट्रस्ट के मार्फत केवल क्षेत्रीय राजनीतिक वर्चस्व में फंसा है। इस तरह आय-व्यय का हिसाब अनावश्यक कर्मचारियों की अप्रत्यक्ष नियुक्तियों तक सिमट गया है।
सोर्स- divyahimachal
