सम्पादकीय

CCI का सही फैसला

Subhi
27 Oct 2022 3:16 AM GMT
CCI का सही फैसला
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देश के एंटी ट्रस्ट रेगुलेटर कॉम्पिटिशन कमिशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने मंगलवार को गूगल पर 936.44 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। इससे स्टार्टअप्स को राहत मिलेगी, जिनके लिए गूगल प्लेस्टोर कमिशन की वजह से कारोबार में बने रहना मुश्किल हो गया था।

नवभारत टाइम्स: देश के एंटी ट्रस्ट रेगुलेटर कॉम्पिटिशन कमिशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने मंगलवार को गूगल पर 936.44 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। इससे स्टार्टअप्स को राहत मिलेगी, जिनके लिए गूगल प्लेस्टोर कमिशन की वजह से कारोबार में बने रहना मुश्किल हो गया था। कुछ स्टार्टअप्स ने तो इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि उभरती हुई कंपनियों को अब 'डिजिटल उपनिवेशवाद' से बचाया जा सकेगा। असल में, दो साल पहले गूगल ने सभी प्लेस्टोर ट्रांजेक्शंस के लिए 30 प्रतिशत कमिशन लगाया था। इसका दुनियाभर में ऐप डिवेलपर्स ने विरोध किया। कुछ ऐप डिवेलपर्स भारत में सीसीआई के पास शिकायत लेकर पहुंचे। उनका आरोप था कि इस कमिशन की वजह से डिजिटल स्टार्टअप्स के बंद होने का खतरा है। सीसीआई ने इन आरोपों की जांच कराई। यह भी पता लगाया कि गूगल अपने बिलिंग प्रोसेस में दूसरी कंपनियों के पेमेंट ऑप्शंस तो ब्लॉक नहीं कर रही? इसमें गूगल की गलती पाई गई।

सीसीआई ने इन-ऐप बिलिंग और पेमेंट प्रोसेसिंग में गड़बड़ी का दोषी पाए जाने पर यह जुर्माना लगाया है और कंपनी को आगे ऐसी गड़बड़ियां ना करने की हिदायत दी। इससे पहले 20 अक्टूबर को भी सीसीआई ने गूगल पर एंड्रॉयड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम के जरिए बाजार में दबदबे का बेजा फायदा उठाने को लेकर 1337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। तब उसने कंपनी को करीब एक दर्जन ऐसे उपाय बताए थे, जिनसे उसका एंटी कॉम्पिटिशन रुख बदला जा सकता है। सीसीआई के पास गूगल के खिलाफ और भी कई शिकायतें पहुंची हैं, जिनकी जांच की जा रही है।

माना जा रहा है कि कम से कम दो और मामलों में सीसीआई गूगल के खिलाफ आदेश दे सकता है। गूगल ने हालांकि इस ताजा जुर्माने पर अभी तक कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी है। उसका कहना है कि वह सीसीआई के इस आदेश की समीक्षा कर रही है। जाहिर है, इसे कानूनी तौर पर चुनौती देने का उसका अधिकार कायम है और अगर वह चाहे तो इसका इस्तेमाल कर सकती है। लेकिन जहां तक सीसीआई का सवाल है तो वह अपने कार्यक्षेत्र और दायित्वों को लेकर बिलकुल स्पष्ट है। उसकी यह जिम्मेदारी है कि वह देश में कॉम्पिटिशन विरोधी माहौल न बनने दे।

आज देश में टेक्नॉलजी के क्षेत्र में तमाम कंपनियां सामने आ रही हैं। स्टार्टअप्स की संख्या के लिहाज से भारत दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है। ऐसे में अगर गूगल जैसी कंपनियां अपनी ताकत का बेजा इस्तेमाल करती हैं तो इससे समूचे स्टार्टअप इकोसिस्टम पर बुरा असर पड़ेगा। यह देश की ग्रोथ और इनोवेशन को भी नुकसान पहुंचाएगा। डिजिटल इकॉनमी के दौर में इसे मंजूर नहीं किया जा सकता। दूसरे देश भी ऐसी हरकतों के खिलाफ सख्त कदम उठा रहे हैं। दक्षिण कोरिया, अमेरिका और यूरोपीय संघ में ऐसी कोशिशें हुई हैं या हो रही हैं। ऐसे में भारत में सीसीआई की इस पहल का स्वागत होना चाहिए।


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