- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- साइकिल की सवारी
साइकिल को लेकर इस तरह का रुझान पहली बार देखा जा रहा है। दरअसल, व्यायाम के अलग-अलग तौर-तरीकों के बीच साइकिल चलाने को एक ऐसा व्यायाम माना जाता है, जिसमें शरीर के सभी अंगों को खुल कर काम करने का मौका मिलता है और इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। चूंकि कोरोना से बचाव का एक लोकप्रिय उपाय यह बताया गया है कि जिस व्यक्ति के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होगी, वह इस रोग का सामना उतनी ही आसानी से कर पाएगा। इसलिए हाल के दिनों में लोग अपनी सेहत को लेकर भी जागरूक हुए हैं। इसमें साइकिल एक मददगार साधन साबित हो रही है। सच यह भी है कि कोरोना के संक्रमण का खतरा बना हुआ है, लोगों को बिना जरूरत के बाहर निकलने से बचने की सलाह दी जा रही है, इसलिए लोग व्यायाम के साथ-साथ जरूरी सामान लाने के लिए या किसी काम से कम दूरी का सफर साइकिल से ही तय कर लेते हैं।
जाहिर है, मौजूदा दौर में साइकिल बहुत सारे लोगों के लिए बहुस्तरीय सुविधा का जरिया साबित हो रही है। यों दुनिया के कई देशों में पहले ही साइकिल को सेहत के साथ-साथ प्रदूषण से बचाव के एक उपयोगी सवारी के रूप में देखा जाता रहा है। लेकिन हमारे यहां कई बार मोटरसाइकिल, कार या इसी कोटि के निजी वाहनों को लेकर एक खास तरह का आकर्षण पाया जाता है। कई बार ऐसे वाहन शायद जरूरत कम और अपनी हैसियत दर्शाने का जरिया ज्यादा है। लेकिन अब अगर सेहत की फिक्र में लोग साइकिल की ओर आकर्षित हो रहे हैं तो यह एक सकारात्मक रुझान है। साइकिल प्रदूषण के विरुद्ध पर्यावरण को स्वच्छ और सेहत को दुरुस्त रखने के साथ-साथ गरीब तबकों के जीवनयापन का जरिया भी है। मगर यह ध्यान रखने की जरूरत है कि बड़े वाहनों और व्यस्त सड़कों पर साइकिल चलाना जोखिम का काम है। इसलिए जरूरत इस बात की है कि सरकार इस प्रवृत्ति को बढ़ावा दे, लेकिन साइकिल की सवारी को सुरक्षित और आसान बनाने के लिए सभी सड़कों पर इसके लिए अलग लेन बनवाए।