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- भारत की अनदेखी करने...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में अपनी बहराइच रैली में भारत के इतिहास लेखन को सुधारने का महत्वपूर्ण मुद्दा यह कहकर उठाया कि देश का इतिहास वह नहीं है, जो भारत को गुलाम बनाने और गुलामी की मानसिकता रखने वालों ने लिखा। इसी मौके पर प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि महाराजा सुहेलदेव को इतिहास में वह स्थान नहीं मिला, जिसके वह हकदार थे। आज भारतीय इतिहास के पुनर्लेखन की अत्यंत ही आवश्यकता है, क्योंकि मुख्यधारा का भारतीय इतिहास लेखन बहुत ही संकीर्ण और तथ्यों के बजाय प्रोपेगेंडा पर ज्यादा टिका हुआ है, लेकिन इतिहास के पुनर्लेखन में छह महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देना आवश्यक है। इतिहास लेखन के साथ पहली परेशानी परिप्रेक्ष्य की है। इतिहास को जनमानस के दृष्टिकोण से लिखा जाना चाहिए, न कि शासकों के। यह एक त्रासदी है कि भारत के इतिहास को विदेशी राजवंशों के इतिहास के रूप में लिखा गया और यहां के लोग मात्र फुटनोट्स में रह गए। विशेष रूप से मध्ययुगीन युग इतिहास तुर्क, अफगान, मुगलों आदि की राजनीति और युद्धों के बारे में है, न कि उनके विरुद्ध भारतीयों के प्रतिरोध के बारे में।