सम्पादकीय

लौटती दुश्वारियां : ओमिक्रॉन से पाकिस्तान में हलचल

Gulabi
3 Dec 2021 12:28 PM GMT
लौटती दुश्वारियां : ओमिक्रॉन से पाकिस्तान में हलचल
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ओमिक्रॉन से पाकिस्तान में हलचल
पाकिस्तान और दुनिया के अधिकांश देशों में जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य होने लगा था। टीकाकरण ने नागरिकों की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद की। लोग मास्क लगाने और कोविड संबंधी अन्य एहतियात बरतने में ढील देने लगे। बाजारों में भीड़ दिखाई देने लगी और स्कूल भी फिर से खुल गए। पाकिस्तान ने कोविड को नियंत्रित करने में अच्छा प्रदर्शन किया था। नतीजतन खेलों से जुड़े प्रतिनिधिमंडल बाहर जाने लगे और पाकिस्तान से भारत के लिए कुछ धार्मिक पर्यटन भी शुरू हो गए थे। हाल ही में दोनों देशों ने करतारपुर कॉरिडोर खोला, जिससे सिख श्रद्धालुओं को बहुत खुशी हुई।
पर कुछ ही दिनों पहले अचानक दक्षिण अफ्रीका ने बताया कि कोविड की नियमित जांच के दौरान उन्हें नवंबर की शुरुआत में एक नए वायरस का जीन मिला। फिर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बताया कि कोरोना के एक नए ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता चला है। अभी तक पाकिस्तान में इससे प्रभावित कोई मरीज नहीं मिला है, पर इन दिनों बड़ी संख्या में लोग सफर कर रहे हैं, इसलिए आशंका है कि इसका संक्रमण हो गया हो, पर लोगों को पता न हो। भारत में ओमिक्रॉन से संक्रमित दो मरीजों का पता चला है।
पाकिस्तान के योजना मंत्री और द नेशनल कमांड ऐंड ऑपरेशन सेंटर के प्रमुख असद उमर ने चेतावनी दी है कि यह वैरिएंट शर्तिया पाकिस्तान में आएगा और इसे नियंत्रित करने के लिए सिर्फ कुछ सप्ताह हैं। उन्होंने कहा कि यह स्ट्रेन पूरी दुनिया में फैलेगा। जैसा कि हमने देखा है कि जब एक वैरिएंट आता है, तो उसे रोकना असंभव होता है। इस खतरे को कम करने का सबसे तार्किक समाधान टीकाकरण है। ओमिक्रॉन पर तमाम देशों की पहली प्रतिक्रिया यह थी कि दक्षिण अफ्रीका से रिश्ते स्थगित कर दिए जाएं, और अधिकांश देशों ने वहां से उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया।
मेरे हिसाब से यह अनुचित है, क्योंकि जिस देश में अभी तक लगभग चार फीसदी नागरिकों का ही टीकाकरण हुआ है, वहां जल्दी से टीके की लाखों खुराक भेजने के बजाय उसे अलग-थलग करना दंडित करना है। उच्च आय वाले देशों में रहने वाली 60.18 प्रतिशत आबादी की तुलना में निम्न आय वाले देशों की केवल 3.07 प्रतिशत आबादी को टीके की एक खुराक लगाई गई है। ताजा खबरों के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीका की घोषणा से पहले ही ओमिक्रॉन वैरिएंट यूरोप में मौजूद था। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने तुरंत ट्वीट किया, 'मैं नए कोविड-19 यात्रा प्रतिबंधों से दक्षिणी अफ्रीकी देशों के अलगाव को लेकर चिंतित हूं। कम टीकाकरण के लिए अफ्रीका के लोगों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता, न ही स्वास्थ्य जानकारी साझा करने के लिए दक्षिण अफ्रीका को दंडित करना चाहिए।'
इसकी तुलना चीन के वुहान में पहली बार कोविड-19 के पाए जाने से कीजिए कि कैसे चीनी अधिकारियों ने इसे छिपाया और उन नागरिकों को दंडित किया, जिन्होंने इसके बारे में जानकारी साझा की थी। उसने डब्ल्यूएचओ के साथ इस बारे में जानकारी साझा करने से भी इन्कार किया था। ओमिक्रॉन का पता चलने से कुछ दिन पहले मैंने ट्वीट किया था कि यह आश्चर्यजनक है कि पाकिस्तान और इसक्षेत्र के अन्य देशों के विपरीत, लोग बुद्धिमान हैं और बीमारी को रोकने के लिए कोविड-19 टीकाकरण और अन्य एहतियातों का विरोध नहीं कर रहे। पश्चिम में टीकाकरण के खिलाफ हमने जो हिंसक विरोध देखा, वह दुखद था, क्योंकि वे शिक्षित लोग हैं।
इससे भी बड़ी विडंबना यह है कि दक्षिण अफ्रीका जैसे गरीब देशों के पास टीकाकरण के साधन नहीं हैं, जबकि अमेरिका जैसे देश बड़ी संख्या में वैक्सीन नष्ट करने को तैयार देखे गए, क्योंकि उनकी एक्सपायरी डेट नजदीक आ रही थी और टीका लगवाने कोई आ नहीं रहा था। जब गरीब लोग कोविड से मर रहे थे, तब अमीर देश टीकों की जमाखोरी कर रहे थे, जो अब अनुपयोगी पड़े हैं। कांगो में 0.09 फीसदी लोगों को, तो पापुआ न्यूगिनी में 1.15 प्रतिशत लोगों को ही वैक्सीन की पहली डोज लग पाई है। अब हर देश यह सुनिश्चित करना चाह रहा है कि जिन्होंने पहली दो खुराक नहीं ली है, उन्हें वह मिलनी चाहिए, जबकि तीसरी खुराक, जिसे बूस्टर डोज कहा जाता है, लेने की योजना शुरू हो चुकी है।
पाकिस्तान में बूस्टर डोज महीनों पहले गर्मियों के अंत से लगने शुरू हुए थे। यह विदेश जाने वाले छात्रों को दिया जा रहा था, क्योंकि कुछ देशों के वीजा के लिए आवेदन करने से पहले ऐसा करना अनिवार्य था। पर जैसे ही ओमिक्रॉन का पता चला, पाकिस्तान ने तेजी से कार्रवाई की और घोषणा की कि एक दिसंबर से मुफ्त में टीका दिया जाएगा। पर इसकी शुरुआत बीमार चिकित्सा कर्मचारियों और 50 वर्ष से ज्यादा उम्र के नागरिकों से हुई है।
जब कोविड-19 ने पहली बार दुनिया में दस्तक दी थी, तब पाकिस्तान और भारत के टीवी चैनलों पर डॉ. फाहिम यूनुस का जाना-पहचाना मुस्कराता चेहरा दिखता था। कुछ दिन पहले ही उन्होंने ट्वीट किया कि कोविड के कारण यात्रा प्रतिबंध न लगाना ही बेहतर है। उन्होंने सलाह दी है कि यात्रियों को उड़ान से 48 घंटे पहले पीसीआर टेस्ट कराना चाहिए, जिससे ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता लग जाएगा।
उनके पास टीकाकरण का प्रमाण होना चाहिए, जिससे दूसरों को संक्रमण होने का खतरा कम होगा। यात्रियों को केएन-95 मास्क भी लगाना चाहिए, क्योंकि इससे संचरण का खतरा कम होता है। उनका कहना है कि ओमिक्रॉन जैसे नए वैरिएंट के कारण लोगों और सरकारों का रवैया पिछले साल जैसा दहशत और हड़बड़ाहट भरा कतई नहीं होना चाहिए।
अमर उजाला
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