सम्पादकीय

लौटा दी बारात…

Gulabi
9 Dec 2021 5:42 AM GMT
लौटा दी बारात…
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सीएम सिटी की घटना है और अभी तक तो दूल्हे को गिरफ्तार कर लिया जाना चाहिए था
यह घटना करनाल की है जैसे कि दुल्हन डा. कोमल का कहना है कि सीएम सिटी की घटना है और अभी तक तो दूल्हे को गिरफ्तार कर लिया जाना चाहिए था। मौका था शादी का, खुशी का, लेकिन बदल गया मातम में और पहुंच गया थाने में मामला। ऐसा क्या हो गया? दुल्हन का कहना है कि अचानक से बीस लाख रुपए और कार की मांग पर मामला बिगड़ गया। मेरे पापा और ताऊ दूल्हे वालों के पांव पकड़ते रहे, लेकिन वे लात मारते रहे। इस दृश्य को देखकर मैंने इस शादी से ही इंकार कर दिया। वैसे दूल्हे नसीब सिंह का कहना है कि न कार मांगी, न कैश।
मुझे तो कार चलानी भी नहीं आती। एक ऑडियो कॉल पुलिस को सौंपी है जिसमें बातचीत में क्या करना है पूछ रहे हैं दुल्हन के पापा और दूल्हे नसीब सिंह का कहना है कि वह साबित करेगा कि दहेज नहीं मांगा था। शादी न करने की वजह कोई और हो सकती है। इसके उलट एक ऐसी सादी शादी भी इन दिनों चर्चा में है और इसमें दूल्हा अपनी दुल्हन को मोटरसाइकिल पर ही शादी के फेरों के बाद अपने घर ले जा रहा है। इससे भी पहले कैथल के एक कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर ने ग्यारह लाख रुपए का शगुन लेने से इंकार कर दिया था। ये बहुत भी पॉजिटिव और समाज में बदलाव की अच्छी खबरें हैं। चाहे दहेज न मांगा गया हो या फिर दहेज मांगने का विरोध किया गया हो।
ये शुभ संकेत हैं और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ को भी सार्थक कर रहे हैं। बेटी डा. कोमल पढ़ी-लिखी थी, तभी तो अपने पापा और ताऊ की बेइज्जती बर्दाश्त न कर सकी और शादी से इंकार करने में देर न लगाई। ऐसी ही साहसी लड़कियों की जरूरत है। तभी पढ़ाई-लिखाई का कोई मतलब है। पढ़ाई वह हो जो जि़ंदगी को समझने में मदद करे, सिर्फ नौकरी पाने के लिए डिग्रियां न हों। दहेज एक महामारी का रूप ले चुका है और इसे प्रदर्शन और मांग का रूप दे दिया गया है। यह बहुत गलत परंपरा या रीति रिवाज है। इस परंपरा और रिवाज को तोडऩे के लिए युवा वर्ग को ही आगे आना होगा और अपनी सोच भी बदलनी होगी।
-कमलेश भारतीय, साहित्यकार
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