सम्पादकीय

खेरसान से वापसी

Subhi
14 Nov 2022 5:30 AM GMT
खेरसान से वापसी
x
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नौ नवंबर को खेरसान से अपने सैनिकों का हटाने का आदेश दिया था। यह कोई मामूली घटना इसलिए नहीं है क्योंकि जंग के नौ महीने बाद पहली बार ऐसा हुआ जब रूस ने इस तरह से अपने कदम खींचे हैं।

Written by जनसत्ता; रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नौ नवंबर को खेरसान से अपने सैनिकों का हटाने का आदेश दिया था। यह कोई मामूली घटना इसलिए नहीं है क्योंकि जंग के नौ महीने बाद पहली बार ऐसा हुआ जब रूस ने इस तरह से अपने कदम खींचे हैं।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के इस दावे कि सैनिकों ने खेरसान क्षेत्र पर फिर से कब्जा कर लिया है और अपना झंडा फहरा दिया है, इस बात का संकेत माना जाना चाहिए है कि आने वाले दिनों में युद्ध के मैदान में यूक्रेन का पलड़ा भारी हो सकता है। खेरसान से रूसी सैनिकों की वापसी के बाद रूस के कब्जे वाले यूक्रेन के दूसरे इलाकों पर भी इसका असर पड़ना तय है।

इस लिहाज से देखा जाए तो यह रूस की एक तरह से अघोषित हार है। इसमें कोई संदेह नहीं कि उसकी सैन्य ताकत यूक्रेन के मुकाबले कई गुनी है, पर हकीकत यह है कि उसकी मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं। भले रूस मिसाइलों से हमले कर यूक्रेन को तबाह कर रहा हो, लेकिन जमीनी लड़ाई में उसके सैनिक यूक्रेनी सेना के सामने टिक नहीं पा रहे। वरना कोई कारण नहीं कि रूसी सैनिक खेरसान खाली करते।

गौरतलब है कि डेढ़ महीने पहले ही रूस ने यूक्रेन के चार इलाकों लुहांस्क, दोनेत्स्क, खेरसान और जेपोरीजिया पर न केवल कब्जा कर लिया था, बल्कि इन इलाकों को रूस में मिलाने का एलान कर दिया था। ऐसा कर रूस ने एक तरह से यूक्रेन पर जीत का संदेश देने की कोशिश की थी। इन इलाकों पर कब्जों के लिए रूस ने बाकायदा जनमत संग्रह करवाने का दावा किया था।

लेकिन कौन नहीं जानता कि यह सब दिखावा था। जिन इलाकों में उसके सैनिकों ने बंदूकों की नोंक पर लोगों को घरों में कैद कर रखा था, वहां कैसे माना जा सकता है कि निन्यानवे फीसद आबादी रूस में विलय पर मुहर लगाई होगी? हालांकि रूस का कहना है कि वह अपनी समस्याओं के कारण पीछे हटा है। उसके लिए सबसे बड़ा संकट इस बात का खड़ा हो गया है कि सर्दियों में सैनिकों को रसद कैसे पहुंचाएगा। लेकिन उसकी इस बात में दम इसलिए नहीं नजर आता क्योंकि रूस की सेना तो हमेशा से प्रतिकूल मौसम में लड़ने की अभ्यस्त रही है। उसके पास दुनिया के अत्याधुनिक हथियार हैं। फिर क्यों रूस खेरसान से भागा?

युद्ध के शुरुआती महीनों में रूस को लग रहा था कि जिस तरह वह कीव सहित यूक्रेन के बड़े शहरों को मिसाइलों और बमों से तबाह कर रहा है, उससे जल्द ही वह कीव पर कब्जा कर लेगा। पर यूक्रेन को जिस तरह से पश्चिमी देशों, खासतौर से अमेरिका से हर तरह की सैन्य मदद मिली, उससे यूक्रेन की सेना जंग के मैदान में डटी है और रूसी सैनिकों को खदेड़ रही है।

हालांकि खेरसान को रूसी सैनिकों ने तबाह कर दिया है, और इस शहर के पुनर्निर्माण में यूक्रेन को लंबा वक्त लग जाएगा, लेकिन यूक्रेन का फिर से वहां कब्जा किसी बड़ी जीत से कम नहीं है। खेरसान से लौटने के बाद रूस को समझ जाना चाहिए कि इस जंग में उसे बहुत कुछ हासिल नहीं होने वाला, सिवाय निर्दोष नागरिकों-सैनिकों की मौत और शहरों की तबाही के।


Next Story