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By NI Editorial
जिस समय पश्चिम रूस पर मूल्य नियंत्रण थोपने की कोशिश में हैं, ओपेक+ का यह फैसला उनकी मंशा पर पानी फेरने वाला है। ह्वाइट हाउस ने बेलगा कहा है कि ओपेक मौजूदा अंतरराष्ट्रीय तनाव के बीच रूस के पक्ष में खड़ा हो रहा है।
अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने पूरी लॉबिंग की कि तेल उत्पादक देशों का संगठन ओपेक अपना रोजमर्रा उत्पादन घटाने की कोशिश ना करे। लेकिन अब ओपेक+रूस का रूप ले चुके इस संगठन ने उनकी इच्छा को सिरे से दरकिनार कर दिया। इसके पहले उत्पादन बढ़वाने की कोशिश में बीते जुलाई में खुद राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सऊदी अरब की यात्रा की थी और उस दौरान भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी थी। अब ओपेक+ ने रोज 20 लाख बैरल उत्पादन घटाने का फैसला किया है, ताकि कच्चे तेल के भाव को ऊंचा बनाए रखा जा सके। इसका लाभ रूस को भी मिलेगा। सभी तेल उत्पादक देशों की तरह ही उसे भी कम तेल का निर्यात कर अधिक आमदनी होगी। जिस समय पश्चिमी देश रूस पर मूल्य नियंत्रण थोपने की कोशिश में हैं, ओपेक+ का यह फैसला रूस की आय घटाने की उनकी मंशा पर पानी फेरने वाला है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ह्वाइट हाउस की प्रवक्ता केरीन ज्यां-पियरे ने बेलगा आरोप लगाया कि ओपेक अभी के अंतरराष्ट्रीय तनाव के बीच रूस के पक्ष में खड़ा हो रहा है। वैसे अमेरिकी रणनीतिकारों को इसका आभास अवश्य ही होगा कि सिर्फ सऊदी अरब और यूएई ही नहीं, बल्कि नाटो का सदस्य देश टर्की भी मौजूदा पूरे विवाद में रूस से सहानुभूति रखता नजर आया है।
इस समीकरण का एक और पहलू यह है कि इन देशों के चीन के साथ रिश्ते लगातार मजबूत हो रहे हैं। अमेरिका के लिए यह गहरी चिंता का विषय है, लेकिन इस घटनाक्रम में वह लाचार नजर आता है। अब एक अमेरिकी सांसद ने एक बिल लाने का एलान किया है, जिसमें सऊदी अरब को मिले अमेरिकी सुरक्षा कवच को हटाने का प्रावधान किया जाएगा। उधर अमेरिका ने कच्चे तेल की सप्लाई बढ़ाने के लिए वेनेजुएला के प्रति नरम रुख अपनाने का संकेत दिया है, जबकि उसने इस लैटिन अमेरिकी देश पर वर्षों से प्रतिबंध लगा रखे हैँ। ये तमाम घटनाक्रम संभवतः दुनिया में अमेरिका के घट रहे प्रभाव की तरफ इशारा करते हैँ। क्या अमेरिका इस चुनौती का सामना करने की वाजिब रणनीति बना पाएगा, यह अहम सवाल है।
Gulabi Jagat
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