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कोरोना की तीसरी लहर की उतार के बाद अब एक बार फिर जिंदगी पटरी पर लौटती दिख रही है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना से जुड़ी तकरीबन सभी बंदिशें खत्म की जा रही हैं। सोमवार से नाइट कर्फ्यू नहीं रहेगा, प्राइवेट गाड़ियों के अंदर मास्क पहनना अनिवार्य नहीं होगा। स्कूल-कॉलेज भी दोबारा शुरू हो रहे हैं। इन सबका मतलब यह है कि दुकानें, रेस्तरां, बाजार वगैरह देर रात तक खुले रहेंगे, लोग सहजता से घरों से निकलेंगे और खुलेपन के साथ जिंदगी की धड़कनों को महसूस करेंगे। यह सिर्फ दिल्ली की बात नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तमाम राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों से कहा है कि वे अपने यहां सामाजिक, अकादमिक, धार्मिक, खेल और मनोरंजन संबंधी गतिविधियों पर लगी पाबंदियां कम करने पर विचार करें।
इसके पीछे वजह है कोरोना के मामलों में देश भर में आई कमी। रविवार को पूरे देश में 24 घंटों में आए नए केसों की संख्या 10, 237 दर्ज की गई। कुल संक्रमण के बरक्स एक्टिव केसों का अनुपात 0.25 फीसदी है और रिकवरी रेट भी बढ़कर 98.54 फीसदी हो गया है। दुनिया के स्तर पर भी कोरोना के नए मामलों में कमी देखी जा रही है। यह निश्चित रूप से सुकून की सांस लेने का समय है। लेकिन यही समय यह याद रखने का भी है कि कोरोना वायरस एक ऐसा दुश्मन साबित हुआ है, जो बार-बार लौट आता है। जब भी और जहां भी यह माना गया कि कोरोना महामारी पर हमने काबू पा ली, थोड़े ही दिनों बाद वहां इसकी वापसी हुई। और यह नाम मात्र की वापसी कहीं नहीं रही।
बल्कि अक्सर यह पहले से ज्यादा गंभीर चुनौती के रूप में सामने आई। ऐसे में आज अगर हम इससे उपजे प्रतिबंधों से मुक्ति का आनंद लेना चाहते हैं तो जरूर लें, जिन कारोबारों ने इस दौरान लगातार नुकसान झेला, स्वाभाविक ही वे उसकी भरपाई करना चाहेंगे। लेकिन याद रखें कि कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी का मतलब इसकी समाप्ति नहीं है। कुछ समय बाद इसकी नई लहर आने की आशंका बनी हुई है। विशेषज्ञों के मुताबिक बहुत संभव है कि अगले चार-पांच महीनों में ही इसके नए वेरिएंट के रूप में नई लहर आ जाए।
कोई नहीं जानता नई लहर कितनी कम या ज्यादा घातक होगी। ऐसे में यह जरूरी है कि प्रतिबंधों में ढील का मतलब सावधानी में कमी न मान लिया जाए। दिल्ली सरकार ने ठीक ही स्पष्ट किया है कि सार्वजनिक और भीड़ भरे स्थानों पर मास्क पहनना और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना अब भी आवश्यक है। मास्क न पहनने पर लगने वाला जुर्माना भी 1000 रुपये से घटाकर 500 रुपये किया गया है। यानी मास्क न पहनना अब भी दंडनीय अपराध है। मगर दंड से ज्यादा महत्वपूर्ण है आम नागरिकों का दायित्वबोध। वही हमें संभावित लहरों से बचाएगा।
नवभारत टाइम्स