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- प्रतिबंध और विकल्प
Written by जनसत्ता: उत्तर प्रदेश में सिंगल यूज यानी एक बार उपयोग किए जाने वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। जगह-जगह प्रशासन के आला अफसर लोगों को शपथ दिलाते दिख रहे हैं कि वे प्लास्टिक थैलियों का इस्तेमाल बंद करें। पर इसका कोई खास असर नहीं दिख रहा। कहीं चोरी-छिपे, तो कहीं खुलेआम पालीथिन का इस्तेमाल किया जा रहा है।
हालांकि सरकार ने प्लास्टिक थैलियों पर प्रतिबंध पहले भी लगाया था, लेकिन तब भी इस मामले में सफलता नहीं मिल पाई थी। बरसात की शुरुआत में ही सरकार द्वारा जिलों के विकास को लेकर किए गए दावों की कलई खुल कर सामने आ रही है। प्लास्टिक थैलियों की वजह से नालियां जाम हो जाती हैं। इसलिए इस पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया गया। मगर सरकार इसके विकल्प के बारे में सोचना शायद भूल गई, जिसके चलते अब भी लोग धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
कहना गलत न होगा कि इसके लिए पूरी तरह से जनता को गलत भी नहीं ठहराया जा सकता। पालीथिन बंद होने के बाद जो विकल्प उनके सामने हैं, वे शायद हर आदमी के वश की बात नहीं और हर जगह उपल्बध भी नहीं। ऐसे में सरकार को पालीथिन बंद करने के साथ ही उसके विकल्प पर भी ध्यान देना चाहिए था, जो हर जगह छोटी-बड़ी दुकानों पर उपलब्ध हो और सस्ता भी हो। आजकल किसी भी बदलाव को आर्थिक पैमाने से नापा जाता है। अगर जेब पर थोड़ा भी भार महसूस हुआ, तो लोग मन बदल लेते हैं।
कानून से कोई बड़ा नहीं है। सामान्य से सामान्य व्यक्ति से लेकर उच्च पद पर आसीन व्यक्ति भी कानून के दायरे में आते हैं। यूपी की योगी सरकार ने अवैध निर्माण और अतिक्रमण सहित राज्य में असामाजिक तत्त्वों की दादागीरी को बुलडोजर से ध्वस्त किया है। इस मुहिम को गति देते हुए बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने भी करीब सत्तर अवैध मकान मालिकों को नोटिस थमाया। पिछले दिनों तोड़-फोड़ भी की गई। इसके विरोध में लोग हाथों में पत्थर लेकर उतर आए। इसके विरोध में लोगों ने आंदोलन भी शुरू कर दिया है। मगर अवैध निर्माण को सरकार कैसे नजरअंदाज कर सकती है। इस तोड़-फोड़ के बाद भू-माफिया की दुकानें बंद हो जाएंगी।