सम्पादकीय

अपने-अपने दांव

Subhi
24 March 2021 2:42 AM GMT
अपने-अपने दांव
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दुनिया में नई लामबंदियां शुरू हो गई हैं। एक तरफ अमेरिका ने चीन को घेरने की अपनी योजना पर तेजी से अमल शुरू कर दिया है।

दुनिया में नई लामबंदियां शुरू हो गई हैं। एक तरफ अमेरिका ने चीन को घेरने की अपनी योजना पर तेजी से अमल शुरू कर दिया है। उसने एक साथ चीन और रूस दोनों के प्रति हमलावर रुख अपनाया है। नतीजा यह हुआ है कि चीन और रूस अब ज्यादा करीब आने को मजबूर हो गए हैं। पिछले हफ्ते अमेरिका और चीन के बीच अलास्का नाकाम रही। वहां अमेरिका और चीन के मतभेद कड़वाहट के साथ खुल कर सामने आ गए। दूसरी तरफ एक टीवी इंटरव्यू में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के 'हत्यारा' होने की राय से सहमति जता दी। चीन और रूस में इसकी तीखी प्रतिक्रिया होना लाजिमी है। तो रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने बीजिंग यात्रा शुरू की है, जिसे चीन हाई प्रोफाइल बना दिया है। उधर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक के लिए ब्रसेल्स पहुंच गए हैं।

चीन का मानना है कि ब्रसेल्स में ब्लिंकेन की बातचीत का मुख्य एजेंडा चीन विरोधी रणनीति बनाना है। तो लावरोव की बीजिंग यात्रा को इसी पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है। चीन के सरकार समर्थक अखबार ग्लोबल टाइम्स की ये टिप्पणी अहम है कि यूरेशिया क्षेत्र में कोई भी देश चीन और रूस के खिलाफ एक साथ लड़ने की बात नहीं सकता। दरअसल, कोई देश अलग- अलग भी उनका मुकाबला करने की स्थिति में नहीं हैं। आम मान्यता है कि ग्लोबल टाइम्स चीन सरकार की राय सामने रखता है। तो उसने चेताया है कि अमेरिका के साथ गठजोड़ करके चीन और रूस के साथ टकराव मोल लेने की किसी देश की कोशिश उसके लिए विनाशकारी साबित होगी। अमेरिका का भी उसमें निश्चित नुकसान होगा। साफ है कि लावरोव दो दिन की बीजिंग यात्रा सामान्य यात्रा नहीं है। इस पर दुनिया की निगाहें टिकी रहंगी। आधिकारिक रूप से कह गया है कि इस यात्रा के दौरान लावरोव चीन- रूस संबंधों को मजबूत करने के साथ- साथ साझा चिंता के अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मसलों पर भी बातचीत करेंगे। इस बीच दोनों देश ईरान और म्यांमार को लेकर क्या कहते हैं और मानव अधिकारों के सवाल पर पश्चिम में हो रही दोनों देशों की आलोचना पर उनका क्या रुख उभर कर सामने आता है, दुनिया की ये जानने में भी दिलचस्पी रहेगी।उसने एक साथ चीन और रूस दोनों के प्रति हमलावर रुख अपनाया है। नतीजा यह हुआ है कि चीन और रूस अब ज्यादा करीब आने को मजबूर हो गए हैं। पिछले हफ्ते अमेरिका और चीन के बीच अलास्का नाकाम रही। वहां अमेरिका और चीन के मतभेद कड़वाहट के साथ खुल कर सामने आ गए। दूसरी तरफ एक टीवी इंटरव्यू में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के 'हत्यारा' होने की राय से सहमति जता दी। चीन और रूस में इसकी तीखी प्रतिक्रिया होना लाजिमी है। तो रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने बीजिंग यात्रा शुरू की है, जिसे चीन हाई प्रोफाइल बना दिया है। उधर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक के लिए ब्रसेल्स पहुंच गए हैं।

चीन का मानना है कि ब्रसेल्स में ब्लिंकेन की बातचीत का मुख्य एजेंडा चीन विरोधी रणनीति बनाना है। तो लावरोव की बीजिंग यात्रा को इसी पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है। चीन के सरकार समर्थक अखबार ग्लोबल टाइम्स की ये टिप्पणी अहम है कि यूरेशिया क्षेत्र में कोई भी देश चीन और रूस के खिलाफ एक साथ लड़ने की बात नहीं सकता। दरअसल, कोई देश अलग- अलग भी उनका मुकाबला करने की स्थिति में नहीं हैं। आम मान्यता है कि ग्लोबल टाइम्स चीन सरकार की राय सामने रखता है। तो उसने चेताया है कि अमेरिका के साथ गठजोड़ करके चीन और रूस के साथ टकराव मोल लेने की किसी देश की कोशिश उसके लिए विनाशकारी साबित होगी। अमेरिका का भी उसमें निश्चित नुकसान होगा। साफ है कि लावरोव दो दिन की बीजिंग यात्रा सामान्य यात्रा नहीं है। इस पर दुनिया की निगाहें टिकी रहंगी। आधिकारिक रूप से कह गया है कि इस यात्रा के दौरान लावरोव चीन- रूस संबंधों को मजबूत करने के साथ- साथ साझा चिंता के अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मसलों पर भी बातचीत करेंगे। इस बीच दोनों देश ईरान और म्यांमार को लेकर क्या कहते हैं और मानव अधिकारों के सवाल पर पश्चिम में हो रही दोनों देशों की आलोचना पर उनका क्या रुख उभर कर सामने आता है, दुनिया की ये जानने में भी दिलचस्पी रहेगी।


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