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- महिलाओं का सम्मान :...
इसमें कोई शक नहीं कि महिलाओं को लेकर हर किसी को यह ध्यान रखना चाहिए कि वे क्या कह रहे हैं। महिलाओं का सम्मान हमारा कर्त्तव्य होना चाहिए लेकिन दु:ख की बात यह है कि महिलाओं से छेड़छाड़ की और अन्य यौन अपराधों की घटनाएं न सिर्फ बढ़ रही हैं बल्कि आज भी अदालतों में चालीस लाख से ज्यादा केस चल भी रहे हैं। पिछले दिनों एक निचली अदालत में केस आया कि किस प्रकार एक महिला से किसी ने छेड़छाड़ की तो उस पीडि़त महिला से छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को जमानत चाहिए थी। सुनवाई के दौरान आरोपी को कहा गया कि क्या वह पीडि़ता को बहन मानकर राखी बंधवा सकता है। यह मामला मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से जुड़ा था। दरअसल हाईकोर्ट ने छेड़छाड़ के इस मामले में आरोपी के समक्ष शर्त रख दी कि अगर उसे जमानत चाहिए तो उसे पीडि़ता से राखी बंधवानी होगी। इस शर्त को लेकर महिला वकीलों ने कहा कि यह फैसला शत-प्रतिशत कानून के खिलाफ है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट एक्शन में आई और दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने देश की तमाम अदालतों को मशविरा दिया है कि महिलाओं के केस में निर्णय सुनाते समय पुरानी रूढ़ीवादी ख्याली और दकियानूसी सोच वाली राय किसी पर ना थाैंपी जाये। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने छेड़छाड़ के आरोपी को राखी बंधवाने की शर्त पर जमानत देने का मध्य प्रदेश हाई काेर्ट का फैसला भी खारिज कर दिया। सचमुच सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला देश में एक उदाहरण है और सोशल मीडिया तथा देश के अनेक सामाजिक और महिला संगठन इसका स्वागत कर रहे हैं।