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
रिजर्व बैंक की कमेटी ने संस्तुति की है कि देश को पूंजी के मुक्त आवागमन की छूट देनी चाहिए। यानी विदेशी निवेशक भारत में स्वच्छंदता से आ सकंे और भारतीय निवेशक अपनी पूंजी को स्वच्छंदता से भारत से बाहर ले जाकर निवेश कर सकें, ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए। कमेटी का कहना है कि इसके चार लाभ हैं। पहला यह कि देश में पूंजी की उपलब्धि बढ़ जाएगी। यह सही है कि यदि विदेशी पूंजी का भारत में आना सरल हो जाएगा। जो निवेशक विदेशी भारत में निवेश करेंगे उनके लिए समय क्रम में अपनी पूंजी को निकाल कर अपने देश वापस ले जाना आसान हो जाएगा। लेकिन यह दो धारी तलवार है। यदि विदेशी निवेशकों के लिए भारत में पूंजी लाना आसान हो जाएगा तो उसी प्रकार भारतीयों के लिए भी अपनी पूंजी को बाहर ले जाना भी आसान हो जाएगा। रिजर्व बैंक के ही आंकड़े बताते हैं कि पिछले 3 वर्षों में हमारा पूंजी खाता ऋणात्मक रहा है, यानी जितनी विदेशी पूंजी अपने देश में आई है उससे ज्यादा पूंजी अपने देश से बाहर गई है। इससे प्रमाणित होता है कि पूंजी का मुक्त आवागमन विपरीत दिशा में ज्यादा चल रहा है। जैसे दो टंकियों के बीच में एक वॉल लगा हो तो पानी उस तरफ ज्यादा जाएगा जहां पानी का स्तर कम होगा। इसी प्रकार विदेशी और भारतीय पूंजी के बीच में वॉल को खोल दें तो किस तरफ पूंजी का बहाव होगा, यह इस पर निर्भर करेगा कि पूंजी का आकर्षण किस तरफ अधिक है। कमेटी का दूसरा कथन है कि पूंजी के मुक्त आवागमन से अपने देश में पूंजी की लागत कम हो जाएगी और ब्याज दर कम हो जाएगी।
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