सम्पादकीय

प्रदूषण पर फटकार

Rani Sahu
15 Nov 2021 6:35 PM GMT
प्रदूषण पर फटकार
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प्रदूषण की निरंतर बढ़ती समस्या के प्रति सर्वोच्च न्यायालय की सख्ती सराहनीय है

प्रदूषण की निरंतर बढ़ती समस्या के प्रति सर्वोच्च न्यायालय की सख्ती सराहनीय है। अपने दायरे में रहते हुए ही न्यायालय ने सोमवार को प्रदूषण की बढ़ती समस्या पर जिस तरह की टिप्पणियां की हैं, उन पर जरूर गौर करना चाहिए। अव्वल तो न्यायालय ने प्रदूषण पर दिल्ली सरकार को जमकर फटकारा है। इस फटकार के पीछे जहां सरकार की उदासीनता या लापरवाही जिम्मेदार है, तो वहीं इसके पीछे न्यायालय की अपनी चिंता भी छिपी है। यह कोई पहला मौका नहीं है, जब न्यायालय ने किसी सरकार को प्रदूषण के प्रति गंभीरता बरतने के लिए अपने ढंग से प्रेरित किया है। प्रदूषण का इतिहास अगर हम देखें, तो जो भी सुधार विगत दशकों में होते दिखे हैं, उनके पीछे कहीं न कहीं सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका रही है। अत: न्यायालय जब भी सख्ती दिखाता है, तो लोगों की उम्मीदें बढ़ जाती हैं। कोई आश्चर्य नहीं, न्यायालय ने सरकारों को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए निर्माण, गैर-जरूरी परिवहन, बिजली संयंत्रों को रोकने और घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) लागू करने जैसे मुद्दों पर आपात बैठक बुलाने का निर्देश दिया है। कायदे से यह बैठक सरकारों को पहले ही बुला लेनी चाहिए थी, लेकिन यह हमारी प्रवृत्ति में शामिल है कि हम समस्याओं को किसी तरह टालते रहते हैं।

खैर, हमें उम्मीद करनी चाहिए कि आने वाले दिनों में सुप्रीम कोर्ट की इस फटकार का असर दिखेगा। अफसोस की बात है, लगभग हर वर्ष इस मौसम में न्यायालय की प्रतिकूल टिप्पणियों के बावजूद प्रदूषण की समस्या को बहुत हल्के में लिया जा रहा है। नतीजा सामने है, प्रदूषण बढ़ता चला जा रहा है। अब न्यायालय में प्रदूषण पर 17 नवंबर या उसके बाद सुनवाई होगी, उससे पहले ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकारों को ठोस पहल के साथ सामने आना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं कि दिल्ली में प्रदूषण की जो स्थिति है, उसमें लॉकडाउन जैसे उपाय पर फैसला सरकारों को बहुत सोच-समझकर करना चाहिए। वर्क फ्रॉम होम जहां तक संभव हो, लागू किया जा सकता है, लेकिन विशेषज्ञ बेहतर बता पाएंगे कि छोटे लॉकडाउन से कितना फायदा होगा। हम अभी पिछले लॉकडाउन के दुष्प्रभावों से ही उबर नहीं पाए हैं। अगली सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय मजबूर होकर कोई फैसला करे, उससे पहले ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से जुड़ी सरकारों को अपना जवाब तैयार रखना चाहिए।
वैसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण को लेकर सरकारों को न्यायालय की फटकार का असर दिखने लगा है। हरियाणा सरकार ने 17 नवंबर तक के लिए कुछ जिलों में स्कूल बंद करने का फैसला किया है। अनेक उपाय हैं, जो प्रदूषण घटाने में कारगर हो सकते हैं। 15 साल से ज्यादा पुराने डीजल व पेट्रोल वाहनों की कड़ाई से जांच करना, निर्माण कार्य पूरी तरह रोकना, कचरा व पराली जलाने पर रोक लगाना और सड़कों की सफाई के लिए जल छिड़काव को अनिवार्य बनाना चाहिए। सरकारों के लिए यह जरूरी है कि वे प्रदूषण के प्रति लोगों को जागरूक करें और उन्हें जिम्मेदार बनाएं। एक-एक व्यक्ति के सहयोग के बिना प्रदूषण की समस्या का अंत नहीं किया जा सकता। इस दिशा में सरकारों को पर्याप्त सख्ती बरतने के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि उदासीनता अब जानलेवा होती जा रही है।

हिन्दुस्तान

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