- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- प्रदूषण पर फटकार

प्रदूषण की निरंतर बढ़ती समस्या के प्रति सर्वोच्च न्यायालय की सख्ती सराहनीय है। अपने दायरे में रहते हुए ही न्यायालय ने सोमवार को प्रदूषण की बढ़ती समस्या पर जिस तरह की टिप्पणियां की हैं, उन पर जरूर गौर करना चाहिए। अव्वल तो न्यायालय ने प्रदूषण पर दिल्ली सरकार को जमकर फटकारा है। इस फटकार के पीछे जहां सरकार की उदासीनता या लापरवाही जिम्मेदार है, तो वहीं इसके पीछे न्यायालय की अपनी चिंता भी छिपी है। यह कोई पहला मौका नहीं है, जब न्यायालय ने किसी सरकार को प्रदूषण के प्रति गंभीरता बरतने के लिए अपने ढंग से प्रेरित किया है। प्रदूषण का इतिहास अगर हम देखें, तो जो भी सुधार विगत दशकों में होते दिखे हैं, उनके पीछे कहीं न कहीं सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका रही है। अत: न्यायालय जब भी सख्ती दिखाता है, तो लोगों की उम्मीदें बढ़ जाती हैं। कोई आश्चर्य नहीं, न्यायालय ने सरकारों को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए निर्माण, गैर-जरूरी परिवहन, बिजली संयंत्रों को रोकने और घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) लागू करने जैसे मुद्दों पर आपात बैठक बुलाने का निर्देश दिया है। कायदे से यह बैठक सरकारों को पहले ही बुला लेनी चाहिए थी, लेकिन यह हमारी प्रवृत्ति में शामिल है कि हम समस्याओं को किसी तरह टालते रहते हैं।
हिन्दुस्तान
