- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- दोहराव, लेकिन जरूरी
जब से कोरोना महमारी आई है उसकी वजह से दुनिया में बढ़ती तबाही की रिपोर्टों की भरमार लगी हुई है। लेकिन जब सच वैसा ही है, तो आखिर उसे दोहराने से कब तक बचा जा सकता है? उन संस्थाओं की तारीफ करनी चाहिए कि वे ऐसी हकीकत को सामने लाने में जुटी हुई हैं, जो पीड़ा और अंधकारमय भविष्य से भरी महसूस होती है। अब अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया ने 20 साल में पहली बार बाल श्रम में बच्चों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि कोरोनो वायरस संकट से और अधिक किशोरों को का भविष्य बिगड़ने का खतरा है। बाल मजदूरों की संख्या 2016 के 15.2 करोड़ से बढ़कर 16 करोड़ हो गई है। यह दर्शाता है कि 2000 के बाद से हासिल प्रमुख लाभ पलट रहा है, जिसके तहत बाल मजदूरी घट रही थी। इस 0साझा रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर बड़े कदम नहीं उठाए गए, तो 2022 के अंत तक यह आंकड़ा 20.6 करोड़ तक जा सकता है।