सम्पादकीय

शास्त्री जी को याद करें

Gulabi
2 Oct 2021 5:29 AM GMT
शास्त्री जी को याद करें
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दो अक्तूबर को दो महान आत्माओं ने हमारी पावन धरती पर जन्म लिया। एक

दो अक्तूबर को दो महान आत्माओं ने हमारी पावन धरती पर जन्म लिया। एक गांधी जी और एक गांधीवादी शास्त्री जी। एक को हम रह-रह कर याद करते हैं, परंतु दूसरे को भूले-बिसरे यदा-कदा जि़क्र कर लिया करते हैं। जैसे ही दो अक्तूबर आने वाला होता है, गांधी जयंती को मनाने के लिए विभिन्न विभागों को आदेश आते हैं कि इस दिन को कैसे मनाया जाना है। इस गहमा-गहमी के बीच अपने ही देश के एक और महान आदमी को हम या तो भूल जाते हैं या वे हाशिए पर चले जाते हैं। ऐसे पत्र या आदेश हमारी नज़रों से कम ही गुज़रते हैं जिसमें हमारे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्मदिन को मनाने का आग्रह किया गया हो। क्या हम देश के इस महान आदर्श को भूल तो नहीं रहे हैं? दो अक्तूबर को लाल बहादुर शास्त्री को भूलते-भूलते याद करना या औपचारिकता समझ कर श्रद्धांजलि मात्र देना उनके प्रति हमारी उदासीनता का बड़ा उदाहरण है।


इस बात में संदेह नहीं कि गांधी जी विश्व इतिहास के पटल पर बड़ा नाम व स्थान रखते हैं, परंतु शास्त्री जी भी किसी बड़े या महान पुरुष से कम नहीं है। बेशक गांधी का कद बड़ा हो सकता है, परंतु शास्त्री जी का योगदान भी कम महत्वपूर्ण नहीं। यहां बात तुलना की नहीं बल्कि अपने आदर्श पुरुषों को सम्मान देने की है। दोनों महान पुरुषों ने अपने देश को बनाने में योगदान दिया है। शास्त्री जी देश के प्रधानमंत्री थे और ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने अपनी सादगी, उच्चचरित्र व स्वार्थहीनता की अनोखी मिसाल पेश की। प्रधानमंत्री के पद पर होने के बावजूद कभी इस पद का दुरुपयोग अपने और अपने परिवार के लिए नहीं किया। जब आवश्यक हो गया तो उन्होंने निजी तौर पर 5000 का लोन लिया। शास्त्री जी की अकस्मात मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने इस लोन को पेंशन से चुकता किया। मृत्यु के समय शास्त्री जी के पास धोती, कुछ कुर्ते और कुछ किताबें थी। सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी की मूर्त आदर्श पुरुष व भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री जी को शत-शत नमन। क्यों न उनके जन्मदिन को भी गांधी जयंती की तरह जोश से मनाया जाए।


-जगदीश बाली, शिमला
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