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- धार्मिक पर्यटन सर्किट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ धाम दर्शनों में शरीक हिमाचल की धार्मिकता एक अच्छे इवेंट में बदल गई, लेकिन हमारे अपने मंदिरों की व्यवस्था पर इससे क्या फर्क पड़ा। कहने को हर सरकार और हिमाचल आने वाले वीआईपी मंदिरों की परिक्रमा में शंखनाद कर जाते हैं, लेकिन न तस्वीर बदली और न ही धार्मिक पर्यटन को अहमियत मिली। चार धाम सड़क परियोजना ने उत्तराखंड को देश की सर्वश्रेष्ठ धार्मिक डेस्टिनेशन बनाने का संकल्प लिया और इसी के परिणाम मुखातिब हैं। हिमाचल का धार्मिक संस्थान प्रबंधन ही राजनीतिक तलवे चाट रहा है, तो अर्चना भी नेताओं की होगी। हमारे सारे मंदिर स्थानीय परिदृश्य की महफिल में जिलों की सीमा के भीतर देखे जाते हैं, जबकि धार्मिक पर्यटन सर्किट के तहत इनका प्रारूप, प्लानिंग तथा महत्त्व बढ़ाना होगा। स्थानीय ट्रस्ट बनाकर जिस तरह इनका अब तक संचालन हुआ है, उसके कारण तमाम बड़े मंदिर राजनीति की कठपुतली बन गए हैं और विकास के नाम पर फिजूलखर्ची ही हो रही है या इन्हें भी नौकरी प्रदान करने का जरिया बनना पड़ा। कमाई में कीर्तिमान स्थापित करके भी दियोटसिद्ध मंदिर आर्थिक रूप से कमजोर इसलिए दिखाई देता है क्यांेकि वहां कमाई के सारे स्रोत अनावश्यक रूप से कर्मचारियों की अत्यधिक संख्या पर व्यय हो जाते हैं।
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