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- सियासत पर हावी है मजहब...
'राजमहल की अटारियों में जनता की पीड़ा का आर्त्तनाद सुनाई नहीं देता।' राजनीति के संदर्भ में यह प्रसंग भारत में तक्षशिला विश्वविद्यालय के महान् शिक्षक, राजनीतिक विज्ञान व अर्थशास्त्र के पुरोधा, प्रखर राजनीतिज्ञ, कुशाग्र बुद्धि आचार्य चाणक्य का है। यदि भारत के गौरवशाली प्राचीन इतिहास पर नजर डालें तो ज्ञात होगा कि भारतवर्ष में हजारों वर्ष पूर्व महाभारत के दौर में महान् विचारक, बुद्धिजीवी व कुशल नीतिवान महात्मा विदुर भी हुए। उनके द्वारा राजनीति पर रचित ग्रंथ 'विदुर नीति' व राजधर्म के सिद्धातों से परिपूर्ण ज्ञान का दुनिया आज भी लोहा मानती है। आचार्य चाणक्य द्वारा लिखित 'चाणक्य नीति' शास्त्र व 'अर्थशास्त्र' तथा विदुर नीति के सूत्र व सिद्धांत आज भी उतने ही उपयोगी व प्रासंगिक हैं जितने सदियों पूर्व थे। लेकिन देश की मौजूदा सियासत अलग दिशा में मुखातिब हो चुकी है। हमारे उन महापुरुषों के राजनीतिक आदर्श, नियम व सिद्धांत विलुप्त हो चुके हैं। वर्तमान राजनीतिक वातावरण में शिष्टाचार, सौहार्द जैसी लोकतांत्रिक मर्यादाओं का अभाव नजर आता है। इस बात को कहने में कोई हैरत नहीं है कि वर्तमान में राजनीति ही देश का राष्ट्रीय खेल बन चुका है।