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वायरस से संक्रमित रोगियों
एक ऐसे समय जब कोरोना वायरस के बदले हुए प्रतिरूप ओमिक्रोन को लेकर दुनिया भर में एक तरह के भय का माहौल है तब केंद्र सरकार की ओर से दी गई यह जानकारी राहत देने वाली है कि देश में इस वायरस से संक्रमित रोगियों में कोई गंभीर लक्षण नहीं दिखे हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि अभी ओमिक्रोन से संक्रमित रोगियों की संख्या दो दर्जन के करीब ही है। इस सबको देखते हुए यह आवश्यक है कि संक्रमण के प्रसार को रोकने के नाम पर ऐसे कोई कदम न उठाए जाएं जो आवागमन के साधनों को बाधित करें अथवा आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियों को थामने का काम करें।
हां, इसकी आवश्यकता अवश्य है कि लोग संक्रमण से बचे रहने के लिए सतर्क रहें। यह ठीक नहीं कि सार्वजनिक स्थलों और सामाजिक-सांस्कृतिक एवं राजनीतिक समारोहों में अपेक्षित सतर्कता का परिचय नहीं दिया जा रहा है। चिंता की बात यह भी है कि मास्क का उपयोग लगातार कम होता दिख रहा है। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि लोगों ने मास्क की महत्ता को पूरी तरह भुला दिया है। सरकारों को चाहिए कि वे लोगों को इसके लिए नए सिरे से सचेत करें कि अभी कोरोना संक्रमण से बचे रहने के लिए सतर्कता का परिचय देना आवश्यक है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने संसद में यह भी जानकारी दी कि अभी तक 86 प्रतिशत पात्र लोगों को कोरोना टीके की पहली डोज दी चुकी है और इन सभी को दूसरी खुराक भी जल्द से जल्द देने का अभियान चल रहा है। यह अच्छा है कि उन्होंने आश्वासन दिया कि टीकाकरण के लक्ष्य को समय रहते हासिल कर लिया जाएगा, लेकिन उचित यह होगा कि बूस्टर डोज के बारे में जितनी जल्दी संभव हो फैसला लिया जाए। यह इसलिए आवश्यक है, क्योंकि जिन लोगों ने इस वर्ष के प्रारंभ में ही टीके की दूसरी खुराक ले ली थी उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होने अथवा खत्म होने का अंदेशा है।
यह अंदेशा उन लोगों में ज्यादा है जो अधिक आयु के हैं। यह ठीक है कि सरकार की ओर से यह कहा गया है कि बूस्टर डोज को लेकर वैज्ञानिक प्रमाण के आधार पर फैसला लिया जाएगा, लेकिन यह काम बिना किसी देरी के होना चाहिए। दुनिया के अनेक देशों ने बूस्टर डोज की आवश्यकता को महसूस किया है और इसकी अनुमति भी दे दी है। यह समझना कठिन है कि जब अभी तमाम लोगों का टीकाकरण होना शेष है और एक बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिन्होंने टीके की दूसरी खुराक समय पर नहीं ली तब कोविशील्ड का उत्पादन करने वाले सीरम इंस्टीट्यूट को मांग के अभाव में अपना उत्पादन कम करना पड़ रहा है।
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