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- रिश्ते और समझौते:...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ऐसे वक्त में जब पड़ोसी देश बांग्लादेश अपनी अाजादी की 49वीं वर्षगांठ मना रहा है, भारत के साथ शिखर वार्ता के खास मायने हो जाते हैं। बांग्लादेश ने दोहराया भी है कि उसकी आजादी में भारत का बड़ा योगदान है। इसी के मद्देनजर कट्टरपंथियों को जवाब देते हुए प्रधानमंत्री बनी शेख हसीना ने विजय दिवस के मौके पर कहा कि मुक्ति युद्ध में सभी धर्मों के लोगों के बलिदान का साझा इितहास है।
यहां सभी धर्मों के लोगों को अपने धार्मिक रिवाजों का पालन करने की आजादी है। बहरहाल, बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच हुई वर्चुअल शिखर वार्ता बेहद उपयोगी रही। प्रधानमंत्री मोदी ने जहां बांग्लादेश को 'पड़ोस प्रथम' नीति का प्रमुख स्तंभ बताया, वहीं शेख हसीना ने भारत को सच्चा मित्र बताया। इस दौरान हुए सात समझौते दोनों देशों के बेहतर होते रिश्तों का पर्याय हैं।
सबसे महत्वपूर्ण साढ़े पांच दशक बाद रेल संपर्क बहाल करने की पहल है। निस्संदेह कोरोना काल में दोनों देशों की सार्थक भागेदारी रही है, जिसे अब और आगे बढ़ाया गया है। दोनों देशों के बीच चिलाहाटी हल्दीबाड़ी रेल संपर्क बहाल करने से जहां पश्चिम बंगाल और असम से बांग्लादेश के लिये आवाजाही सरल होगी, वहीं इससे कारोबार के लिये भी सुविधा होगी। इस दौरान आर्थिक अनुदान से जुड़े समझौतों के अलावा वन्य जीवों के संरक्षण से जुड़े प्रोटोकॉल, कृषि क्षेत्र में सहयोग को लेकर भी समझौते हुए हैं।
अतीत में बांग्लादेश में भारत के खिलाफ कट्टरपंथी उभार और भारतीय अलगाववादियों के खिलाफ कदम उठाने में शेख हसीना सरकार ने सार्थक पहल की है। इतना ही नहीं, शेख हसीना ने वर्ष 2018 में दुर्गा पूजन के अवसर पर ढाका के मशहूर ढाकेश्वरी मंदिर के लिये डेढ़ बीघा जमीन तोहफे में देकर सरकार की धर्मनिरपेक्षता की नीति को ही पुख्ता किया है।
हाल के दशक में बांग्लादेश ने अप्रत्याशित रूप से आर्थिक विकास किया है, जिसके चलते संयुक्त राष्ट्र की विकास की निगरानी करने वाली एजेंसियां उसे अल्पविकसित राष्ट्र से विकासशील देश के रूप में मान्यता देने के बाबत विचार कर रही हैं। खासकर रेडिमेड गारमेंट्स के मामले में वह चीन के बाद दूसरे नंबर पर आ गया है। विकास दर में उसने पाकिस्तान को पछाड़ दिया है। ऐसे में कारोबारी सहयोग की नजर से वह भारत के लिये उपयोगी साबित हो सकता है। हालिया शिखर वार्ता इस मायने में महत्वपूर्ण है कि इससे चीन के बढ़ते विस्तार को रोकने में मदद मिलेगी। हाल के दिनों में चीन बांग्लादेश में अपने साम्राज्यवादी मंसूबों को लगातार अंजाम दे रहा है, जिससे भारत के लिये कई तरह से चुनौती पैदा हो सकती है।
चीन जहां एक ओर 'वन बेल्ट, वन रोड' परियोजना के तहत आर्थिक मदद कर रहा है, वहीं बांग्लादेश की कई आर्थिक परियोजनाओं को मदद मुहैया करा रहा है। इसमें पद्मा नदी पर चार अरब डॉलर की मदद से बनने वाली ब्रिज रेल लाइन परियोजना भी शामिल है। इसके साथ उसने बांग्लादेश को 38 अरब डॉलर का कर्जा देने की भी बात कही है।
हालांकि, इस देश में इस बात को लेकर भी चिंता जतायी जा रही है कि चीन गरीब मुल्कों को अपने कर्ज के कुचक्र में फंसा रहा है, जिसकी चपेट में बांग्लादेश भी आ सकता है। हालांकि, जैसा शेख हसीना ने कहा भी है कि भारत बांग्लादेश का सच्चा मित्र है, यह अहसास बांग्लादेशी नागरिकों को भी है।
आजादी की लड़ाई में भारत के योगदान के अलावा दोनों देशों की समृद्ध साझी सांस्कृतिक विरासत भी है, जो धार्मिक रुझानों से इतर दोनों देशों की संस्कृति को जोड़ती भी है। इसी उदार संस्कृति के चलते बांग्लादेश ने अप्रत्याशित प्रगति करके दुनिया को चौंकाया है। वहीं दूसरी ओर कट्टरपंथी पाकिस्तान लगातार अपनी साख भी खो रहा है और विकास से भी दूर जा रहा है। बांग्लादेश बाल मृत्यु दर, लैंगिक समानता और औसत उम्र के मामले में भारत को पछाड़ चुका है और इस वर्ष उसके जीडीपी आधारित प्रतिव्यक्ति आय में भारत से आगे रहने के अनुमान हैं।