सम्पादकीय

वसूली पर लगाम

Subhi
6 July 2022 4:46 AM GMT
वसूली पर लगाम
x
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि कोई भी होटल या रेस्तरां खान-पान के बिल पर सेवा शुल्क नहीं वसूलेगा। अगर वह ऐसा करता है

Written by जनसत्ता: केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि कोई भी होटल या रेस्तरां खान-पान के बिल पर सेवा शुल्क नहीं वसूलेगा। अगर वह ऐसा करता है तो यह गैरकानूनी होगा और ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। प्राधिकरण का यह फैसला होटल और रेस्तरां में जाने वाले करोड़ों ग्राहकों के लिए बड़ी राहत है। अभी तक ऐसे सख्त दिशानिर्देश के अभाव में रोजाना बड़ी संख्या में सेवा शुल्क से जुड़े विवाद सामने आ रहे थे। लेकिन समस्या का हल नहीं निकल पा रहा था।

वैसे इस दिशा में कवायद तो पिछले दो-तीन महीने से चल रही थी। पिछले महीने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने होटल और रेस्तरां मालिकों के संगठनों के साथ बैठक भी की थी और इस मुद्दे पर गंभीर रुख अपनाया था। तभी यह फैसला हो गया था कि ऐसे विवादों से निपटने के लिए मजबूत कानूनी तंत्र बनाया जाएगा और उसे लागू करवाया जाएगा। सरकार ने तभी साफ कर दिया था कि ग्राहकों से सेवा शुल्क के नाम पर जो मनमानी रकम वसूली जाती है, वह गैरकानूनी और गलत है।

अब जरूरत इस बात की है कि होटल और रेस्तरां मालिक ईमानदारी के साथ सीसीपीए के दिशानिर्देशों पर अमल करें। सीसीपीए ने साफ कहा है कि होटल या रेस्तरां में अगर कोई ग्राहक सेवक के काम और व्यवहार से खुश होकर उसे अपनी मर्जी से कुछ देना चाहे तो वह दे सकता है, लेकिन इसके लिए उसे होटल प्रबंधन या सेवक किसी भी रूप से उसे बाध्य नहीं कर सकता। यह भी कि होटल और रेस्तरां प्रबंधन किसी अन्य तरीके से या किसी मद में पैसा बढ़ा कर भी सेवा शुल्क की भरपाई नहीं कर सकेंगे। गौरतलब है कि अभी तक होटलों और रेस्तरांं में खाने के बिल के साथ ही सेवा शुल्क लगाया जा रहा था और फिर उस पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) भी।

अगर अब कोई होटल प्रबंधन ऐसा करता भी है तो ग्राहक उस बिल में से सेवा शुल्क की राशि हटाने के लिए कह सकेगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो वह संबंधित होटल के खिलाफ तत्काल शिकायत कर सकेगा। सेवा शुल्क को लेकर सीसीपीए ने जो व्याख्या की है, उसमें साफ कहा गया है 'टिप' ग्राहक और होटल प्रबंधन के बीच अनुबंधित बुनियादी न्यूयनतम सेवा से अलग सेवा के लिए है और ग्राहक भोजन करने के बाद ही उसकी गुणवत्ता के साथ सेवा का भी आकलन करने की स्थिति में आता है कि वह सेवक को खुश होकर कुछ देना चाहता है या नहीं।

दरअसल होटलों और रेस्तरांं में मनमाने तरीके से सेवा शुल्क वसूलने का मामला कई सालों से चल रहा था। लेकिन सरकार ने इस पर शायद ही गंभीरता दिखाई होगी। न ही इसे गैरकानूनी घोषित किया गया था। मामले उपभोक्ता अदालतों में जाते रहे। होटल और रेस्तरां मालिक इसका फायदा उठाते रहे और सेवा शुल्क के नाम पर पैसा वसूलते रहे। आमजन से जुड़े इस गंभीर मुद्दे पर सरकार ने जो रुख अब दिखाया है और सीसीपीए ने अब जाकर दिशानिर्देश जारी किए हैं, अगर यही पहले हो गया होता तो यह अवैध वसूली पहले ही रोकी जा सकती थी। वैसे भी उपभोक्ता संरक्षण के मामले में दुनिया में भारत की स्थिति कोई बहुत संतोषजनक नहीं है। उपभोक्ता मामलों की अदालतें किन हालात में काम कर रही हैं, यह छिपा नहीं है। लंबित मुकदमों की संख्या करोड़ों में है। जाहिर है, इन सबकी कीमत तो उपभोक्ता को ही चुकानी है।


Next Story