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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यह केंद्र सरकार की सार्थक पहल ही कही जायेगी कि किसी वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग की अनुमति मिलने से पहले ही देश के विभिन्न भागों में इसे लगाने की तैयारी का पूर्वाभ्यास किया गया। निस्संदेह जब देश वैक्सीनेशन अभियान के करीब पहुंच ही गया है तो सघन आबादी वाले विशाल देश में इस अभियान से जुड़े तमाम पहलुओं का आकलन जरूरी हो जाता है।
अच्छी बात है कि देश में कोरोना संक्रमण का ग्राफ लगातार गिर रहा है और मृत्यु दर में कमी आई है। लेकिन चूक की किसी भी गुंजाइश को नहीं स्वीकारा जा सकता। वह भी ऐसे वक्त में जब कोरोना वायरस ने रूप बदलकर ब्रिटेन व अन्य यूरोपीय देशों को फिर से भयभीत किया है। बहरहाल, वैक्सीन लगाने का पूर्वाभ्यास और उससे जुड़ी तैयारियों की निगरानी अच्छी पहल है, जिसके तहत देश के चार राज्यों के आठ जिलों में वैक्सीन लगाने की तैयारी का अभ्यास किया गया। निस्संदेह, इस दौरान जो खामियां नजर आएंगी, उनके निराकरण से आने वाले समय में टीकाकरण अभियान को सुचारु रूप से चलाने में मदद मिलेगी।
भौगोलिक विविधताओं व भिन्न जनसंख्या घनत्व वाले देश में टीकाकरण अभियान बेहतर ढंग से चलाना बड़ी चुनौती है। यह सुखद है कि अभियान के लिये उत्तर से पंजाब, पूर्व से असम, दक्षिण से आंध्र तथा पश्चिम भारत से गुजरात के दो-दो जिलों का चयन किया गया है। यूं तो भारत ने पोलियो समेत कई टीकाकरण अभियानों को सफलतापूर्वक चलाया है और इसके लिये कारगर तंत्र विकसित किया है
लेकिन एक शताब्दी के बाद आयी कोरोना जैसी महामारी एक नयी चुनौती है, जिसके लिये एक कारगर तंत्र बेहद जरूरी है, जबकि देश का सार्वजनिक चिकित्सा तंत्र खस्ताहाल में है, जिसकी बानगी कोरोना से लड़ाई के दौरान सामने आई। निस्संदेह, यह करोड़ों जिंदगियां बचाने का प्रश्न भी है। वैक्सीन के अनुकूल वातावरण-तापमान उपलब्ध कराने के साथ ही उसका न्यायसंगत वितरण भी जरूरी है।