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हे मेरे अधम, निम्न, मध्यम, उच्च आर्थिक कैटेगरी के सोशल मीडियाई मित्रो! आपको यह जानकर हार्दिक दुख होगा कि कल से मैं व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम, फेसबुक के ग्रुपों से कार्यभार मुक्त हो रहा हूं। यह बात दूसरी है कि राजनीति की मृत्युशैया पर लेटे होने के बाद भी कोई अपनी राजनीतिक हरकतों से कार्यभार मुक्त होना नहीं चाहता। मेरे कार्यभार मुक्त होने के पीछे किसी भी तरह की कोई सोशल मीडियाई सार्वजनिक वजह नहीं है। इसलिए मेरे मित्र इसे अन्यथा न लें। असल में सोशल मीडियाई ग्रुपों से मुक्त होने का कारण यह है कि मेरे इन ग्रुपों पर इतने अधिक आभासी मित्र हो गए थे कि उनको अब हैंडल करना मेरे बस से बाहर हो रहा था। उनके चलते मैं अपने घर के सदस्यों से अलग होने लगा था। अपने घर के सदस्यों से अब मुझे बातें करना मेरे लिए भार लगने लगा था। भद्रो! अब आपसे झूठ क्या बोलना, क्यों बोलना जबकि आज का दौर झूठ-फरेब का दौर है। असल में मैं अब अपने को ही नहीं संभाल पा रहा हूं तो आप जैसे गुणी मित्रों को और कैसे संभालूं? अब शरीर के अंगों और मुझमें तालमेल का अभाव गहरा होता जा रहा है। घर के सदस्यों और मुझमें तालमेल का अभाव तो उसी दिन से रहा है जिस दिन से हम घर के सदस्य हुए हैं।
