सम्पादकीय

गंभीर हुई शरणार्थी समस्या

Gulabi
15 Dec 2020 3:03 AM GMT
गंभीर हुई शरणार्थी समस्या
x
इस साल 2019 की तुलना में और अधिक लोगों को पलायन करने के लिए मजबूर किया गया।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जब अपनी समाप्ति की तरफ बढ़ रहा है, तब ये चिंताजनक तथ्य सामने आया है कि इस साल 2019 की तुलना में और अधिक लोगों को पलायन करने के लिए मजबूर किया गया। इस वर्ष विस्थापित हो कर जीने वाले लोगों की संख्या आठ करोड़ को पार कर गई है। 2019 के अंत तक सात करोड़ 95 लाख लोग विस्थापित हो चुके थे। उनमें करीब तीन करोड़ शरणार्थी शामिल थे। यह विश्व आबादी का लगभग एक फीसदी हिस्सा है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) के आंकड़ों से ये जानकारी मिली है। युद्ध, यातना, संघर्ष और हिंसा से बचने के लिए लोग जान बचाकर घर छोड़ कर भागते हैं। उन्हें अक्सर शिविरों में बहुत ही कठिन भरी जिंदगी बितानी पड़ती है। इसी साल मार्च महीने में संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने कोरोना महामारी के बीच दुनिया भर में युद्ध विराम की अपील की थी। लेकिन उनकी बात पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।


यूएनएचसीआर के मुताबिक स्थिति और भी निराशाजनक हो गई है। ये हाल तब तक बना और बढ़ता रहेगा, जब तक कि विश्व के नेता युद्ध नहीं रोकते हैं। 2020 की पहली छमाही के प्रारंभिक आंकड़ों से पता चला है कि सीरिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, मोजाम्बिक, सोमालिया और यमन में युद्ध और हिंसा के कारण ताजा विस्थापन हुआ। अफ्रीका के केंद्रीय साहेल क्षेत्र में भी नया विस्थापन देखने को मिला। वहां हिंसा, बलात्कार और हत्याएं बढ़ीं हैं, जिससे लोग घर छोड़ कर भाग रहे हैं। जबरन विस्थापन की संख्या पिछले एक दशक में करीब दोगुनी हो चुकी है। इसकी वजह यही है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय शांति सुनिश्चित करने में विफल रहा है। यूएन की एजेंसी का कहना है कि कोरोना वायरस संकट ने मानव जीवन के हर पहलू को बाधित किया है। इससे जबरन विस्थापित और बिना देश वाले लोगों के लिए मौजूदा चुनौती और गंभीर हो गई है। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कुछ उपायों के कारण शरणार्थियों के सुरक्षित जगहों पर पहुंचना और कठिन हो गया है। कोरोना वायरस की पहली लहर के दौरान अप्रैल में 168 देशों ने पूरी तरह से या आंशिक रूप से अपनी सीमाएं सील कर दी थीं। समस्या को गंभीर बनाने में इस हाल का भी योगदान रहा। क्या 2021 में दुनिया की प्राथमिकता में अभागे शरणार्थी आएंगे, यह अहम सवाल है।


Next Story