सम्पादकीय

भारत में नहीं आएगी मंदी

Subhi
4 Aug 2022 3:05 AM GMT
भारत में नहीं आएगी मंदी
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिल्कुल सही कहा है कि भारत के आर्थिक मंदी में फंसने या स्टैगफ्लेशन (सुस्त ग्रोथ और ऊंची महंगाई दर) का खतरा नहीं है। उन्होंने महंगाई पर लोकसभा में बहस के दौरान सोमवार को यह बात कही। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि वैश्विक और घरेलू चुनौतियों के बावजूद दुनिया के बड़े देशों में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार सबसे तेज रहेगी। निर्मला ने जिन वैश्विक चुनौतियों का जिक्र किया, उनमें जीडीपी ग्रोथ में कमी, यूक्रेन युद्ध, बेकाबू महंगाई जैसी बातें शामिल हैं।

नवभारत टाइम्स; वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिल्कुल सही कहा है कि भारत के आर्थिक मंदी में फंसने या स्टैगफ्लेशन (सुस्त ग्रोथ और ऊंची महंगाई दर) का खतरा नहीं है। उन्होंने महंगाई पर लोकसभा में बहस के दौरान सोमवार को यह बात कही। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि वैश्विक और घरेलू चुनौतियों के बावजूद दुनिया के बड़े देशों में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार सबसे तेज रहेगी। निर्मला ने जिन वैश्विक चुनौतियों का जिक्र किया, उनमें जीडीपी ग्रोथ में कमी, यूक्रेन युद्ध, बेकाबू महंगाई जैसी बातें शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने इसी वजह से पिछले हफ्ते 2022 में वैश्विक ग्रोथ के अनुमान को इसी साल अप्रैल के पिछले अनुमान से 0.4 फीसदी घटाकर 3.2 फीसदी कर दिया। उसने कहा कि अमेरिका की ग्रोथ 2.6 फीसदी रह सकती है, जबकि चीन की 3.2 फीसदी। ये दोनों दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी हैं, इसलिए इनमें सुस्ती आने से वैश्विक ग्रोथ पर बुरा असर पड़ेगा। यूं तो आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2023 में भारत की ग्रोथ के अनुमान को 8.2 फीसदी से घटाकर 7.4 फीसदी कर दिया, फिर भी यह दूसरे बड़े देशों की तुलना में कहीं तेज ग्रोथ है। वित्त वर्ष 2024 में भी आईएमएफ को भारत की ग्रोथ 6.1 फीसदी रहने की उम्मीद है, जब वैश्विक ग्रोथ कहीं कम होगी। यानी भारत पर मंदी की आंच नहीं आने जा रही, लेकिन उसके सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं। पहली, विकसित देशों की तरह भारत भी महंगाई दर में बढ़ोतरी की चुनौती का सामना कर रहा है। लेकिन पिछले महीने इसमें मामूली कमी आई और यह 7 फीसदी के करीब है। अमेरिका में यह चार दशकों के शिखर पर है।

इसी वजह से वहां ब्याज दरों में तेज बढ़ोतरी हो रही है। जब भी ऐसा होता है, भारत जैसे इमर्जिंग मार्केट्स से विदेशी निवेशक पैसा निकालते हैं, जिससे इन देशों की करंसी पर दबाव बनता है। रुपया हाल ही में डॉलर के मुकाबले रेकॉर्ड लो लेवल पर चला गया था, लेकिन इधर डॉलर इंडेक्स कमजोर हो रहा है, जिससे रुपये में रिकवरी आई है। डॉलर की निकासी और महंगाई दर को कम करने के लिए भारत में रिजर्व बैंक भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है। अच्छी बात यह है कि इधर कुछ दिनों में शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों ने खरीदारी शुरू की है। रुपये में रिकवरी और अच्छी जीडीपी ग्रोथ के कारण यह सिलसिला आगे तेज हो सकता है। भारत की दूसरी बड़ी दिक्कत कच्चे तेल की महंगाई है, लेकिन यह भी 100 डॉलर से नीचे आ गया है। तेल की सबसे अधिक खपत अमेरिका और चीन में होती है। अगर वहां की इकॉनमी सुस्त पड़ती हैं तो इससे आने वाले वक्त में कच्चा तेल और सस्ता होगा। जो भारतीय इकॉनमी के लिए राहत की खबर होगी। लेकिन इसके साथ सरकार को कंजम्पशन बढ़ाने पर भी ध्यान देना होगा, जिसमें पिछले कुछ वक्त से कमजोरी बनी हुई है। इसके साथ ग्रोथ तेज करने के लिए निवेश की जो योजना सरकार ने बनाई है, उस पर तेजी से अमल करना होगा।


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