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पड़ोसी देश मालदीव में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 'पड़ोसी प्रथमÓ की नीति रंग लाती दिख रही है
विवेक ओझा।
पड़ोसी देश मालदीव में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 'पड़ोसी प्रथमÓ की नीति रंग लाती दिख रही है। दरअसल मालदीव के वर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम सोलेह ने वहां 'इंडिया आउट कैंपेनÓ पर प्रतिबंध लगा दिया है। सोलेह ने साफ तौर पर कह दिया है कि यह अभियान मालदीव की राष्ट्रीय सुरक्षा और साथ ही क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक खतरा है। वहीं दूसरी ओर भारत के नए 'चीफ आफ नेवल स्टाफÓ ने अपनी पहली विदेश यात्रा मालदीव से आरंभ की है। उनकी इस यात्रा के दौरान भारत और मालदीव के द्वारा पहला संयुक्त नेविगेशन चार्ट (नौगमन चार्ट) जारी किया गया है। इन दोनों घटनाक्रमों के प्रभावों पर चर्चा करने के पहले यह जरूरी हो जाता है कि मालदीव में 'इंडिया आउट कैंपेनÓ की पृष्ठभूमि समझ ली जाए।
मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलेह ने वहां के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के भारत विरोधी अभियानों को सफल न होने देने का मजबूत फैसला कर लिया है। मालदीव का कहना है कि उसके संविधान के तहत विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सब को मिली हुई है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि किसी महत्वपूर्ण पड़ोसी राष्ट्र के खिलाफ जहर उगला जाए और उसके खिलाफ षड्यंत्र किया जाए। इंडिया आउट कैंपेन को मालदीव ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और साथ ही लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन कहा है। इस मामले में मालदीव की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने हाल ही में निर्णय करते हुए कहा है कि 'इंडिया आउट कैंपेनÓ जैसे अभियान भारत के खिलाफ घृणा की भावना को भड़काते हैं।
दरअसल इंडिया आउट कैंपेन हाल ही में तब शुरू हुआ था जब मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन जो चीन समर्थक नेता माने जाते हैं। उनकी जेल से रिहाई हुई और उन्होंने अपने समर्थकों के साथ यह कहना शुरू किया कि इब्राहिम सोलेह सरकार नई दिल्ली के हाथों में एक कठपुतली है और मालदीव भारत सरकार को अपने समुद्री क्षेत्रों में नौसैनिक अड्डे बनाने की सुविधा देकर इस देश में भारत की सैन्य उपस्थिति को बढ़ावा दे रहा है। वहीं दूसरी तरफ मालदीव के वर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम सोलेह ने वर्ष 2018 में राष्ट्रपति बनने के साथ ही 'इंडिया फस्र्ट पालिसीÓ को अपनाया था। यहां इस बात का उल्लेख करना भी जरूरी है कि ब्रिटेन के औपनिवेशिक शासन से आजाद होकर वर्ष 1965 में मालदीव जब एक स्वतंत्र देश बना था, तो भारत पहला देश था जिसने मालदीव को राजनीतिक और राजनयिक मान्यता प्रदान की थी। इसी कारण वर्ष 1970 में ही मालदीव शासन ने 'इंडिया फस्र्ट पालिसीÓ को अपनाया था, लेकिन कालांतर में चीन समर्थक नेताओं के मालदीव की सत्ता पर काबिज होने के साथ ही इस नीति को झटका लगा।
इस बीच भारत ने हाल के समय में दृढ़ इच्छाशक्ति बना ली है कि किसी भी हालत में मालदीव को भारत विरोधी तत्वों से गुमराह नहीं होने दिया जाएगा। मालदीव के साथ संबंधों में इस स्तर के विश्वास को पैदा किया जाएगा ताकि मालदीव को अपना सच्चा हित भारत से जुडऩे में ही नजर आएगा।
इस बीच अब्दुल्ला यामीन के राजनीतिक कैंप का प्रतिनिधित्व करने वाले घटक प्रोग्रेसिव कांग्रेस कोएलिशन ने राष्ट्रपति इब्राहिम सोलेह के इंडिया आउट कैंपेन पर प्रतिबंध लगाने वाली डिक्री को असंवैधानिक करार देते हुए निंदा की है। इन विरोधी दलों का कहना है कि इब्राहिम सोलेह ने मालदीव में भारतीय सैन्य बलों की बढ़ती उपस्थिति का विरोध करने वाली विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को निलंबित कर दिया है। अब्दुल्ला यामीन के समर्थकों का कहना है कि मालदीव के राजनीतिक इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि एक निर्वाचित राष्ट्रपति ने अपने लोगों की आवाज को अनसुना कर देश में विदेशी सैन्य बलों की उपस्थिति को मजबूती देने का निर्णय किया है। वहीं दूसरी ओर भारत समर्थक दल और नेता भी इस मामले पर सक्रिय हैं। अभी हाल ही में मालदीव की संसद में यहां के पूर्व राष्ट्रपति और संसद के पूर्व अध्यक्ष व भारत समर्थक नेता मोहम्मद नशीद ने कहा था कि अब्दुल्ला यामीन के निवास के बाहर इंडिया आउट के जो भी बैनर लगे हैं, उन्हें वहां से हटाया जाना चाहिए। मीडिया रिपोर्ट बताते हैं कि मालदीव पुलिस ने उसके बाद तुरंत ही ऐसे बैनर वहां से हटा भी दिए।
मालदीव की भारत समर्थक नीति : मालदीव भारत को एक जिम्मेदार और मुश्किल समय में सबसे पहले काम में आने वाले राष्ट्र के रूप में मानता है। मालदीव के शीर्ष नेतृत्व कई अवसरों पर इस बात का उल्लेख कर चुके हैं कि वर्ष 1988 में आपरेशन कैक्टस के जरिए भारत ने मालदीव को सैन्य सहायता प्रदान की थी। वर्ष 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी के बाद भारत पहला देश था जिसने त्वरित गति से मालदीव को मदद पहुंचाई थी और 2014 में जब मालदीव में गंभीर जल संकट की स्थिति हुई तो भारत ने आपरेशन नीर के जरिए हवाई मार्ग से मालदीव को जल उपलब्ध कराया। मालदीव की सरकार चीन की तुलना में भारत का अपने प्रति सद्भाव और सहयोग की भावना और उसका स्तर जानती है। मालदीव को पता है कि भारत ने अपने पड़ोसी प्रथम की नीति में मालदीव को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। भारत ने अपने सागर विजन, सागरमाला, प्रोजेक्ट मौसम में मालदीव को अभिन्न भाग के रूप में देखा है और इसके साथ ही भारत हाई इंपैक्ट कम्युनिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (शिक्षा, स्वास्थ्य, अवसंरचना आदि क्षेत्रों में) के जरिये लगातार मालदीव के सशक्तीकरण पर काम करता आया है और यही कारण है कि मालदीव की वर्तमान सरकार ने इंडिया फस्र्ट पालिसी को अपनाया है। जिसका मतलब है कि भारत की कंपनियों का मालदीव में निवेश बढ़े, भारत और मालदीव के मध्य समुद्री और प्रतिरक्षा साझेदारी बढ़े।
मालदीव के विकास में भारत एक सामरिक साझेदार के रूप में काम करे और मालदीव की अर्थव्यवस्था और उसके शासन तंत्र को मजबूती देने में भारत की सभी भूमिकाएं स्वागत योग्य होंगी। पहले स्थिति यह थी कि अब्दुल्ला यामीन के शासनकाल में चीनी निवेश को मालदीव में बढ़ाने के लिए कानून बनाए जाते थे, मालदीव में नौसैनिक अड्डे और कोस्टल राडार सिस्टम को लगाने में चीन को तरजीह दी जाती थी। मालदीव चीन से अधिक ऋण भी लेता था और यामीन के समय में ही मालदीव ने चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौता भी किया था यानी उस समय चाइना फस्र्ट पालिसी काम कर रही थी और अब जबकि मालदीव में चीन के प्रभाव में कमी आई है तो वहां भारत विरोधी तत्वों को यह बात हजम नहीं हो रही है और वह भारत के लिए हर प्रकार के षड्यंत्र को अंजाम देने का प्रयास कर रहे हैं।
कहा जाता है कि परसेप्शन मैनेजमेंट देशों की विदेश नीति खासकर भारत की विदेश नीति में अहम भूमिका निभाने लगा है। इस नीति के तहत भारत किसी दूसरे देश में इस प्रकार की कार्रवाइयों को अंजाम देता है, जिससे वहां की आम जनता वहां का समाज और सांस्कृतिक समुदाय भारत से भावनात्मक रूप से जुड़ सके और भारत की नीतियों और पहलों को समर्थन दे सके।
मजबूत होती इंडिया फस्र्ट पालिसी। भारत के नए चीफ आफ नेवल स्टाफ ने अपना पदभार ग्रहण करते ही अपनी पहली यात्रा मालदीव से आरंभ की है। 18 से 20 अप्रैल के दौरान हुई अपनी यात्रा में उन्होंने मालदीव के राष्ट्रपति, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और चीफ आफ डिफेंस फोर्स से मुलाकात की। भारत ने मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स कोस्ट गार्ड फ्लीट के रखरखाव और मरम्मत के लिए लगातार मदद देना जारी रखा है जिसका परिणाम है कि आज मालदीव भारत के साथ हिंद महासागर की सुरक्षा और विशेष रूप से उसकी समृद्धि को कायम रखने व उसे प्रोत्साहित करने के लिए एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में खड़ा दिखाई दे रहा है। भारत की किसी भी प्रकार की कूटनीति और आर्थिक सहायता या मदद देने की रणनीति के पीछे एक महत्वपूर्ण उद्देश्य पड़ोसी देश को एक जिम्मेदार राष्ट्र बनाना रहा है। कई अवसरों पर भारत को इसमें सफलता नहीं मिल पाई, परंतु भारत ने अपने इस प्रयास को नहीं छोड़ा और दक्षिण एशिया में अपने पड़ोसी राष्ट्रों के लिए मानव संसाधन विकास रणनीति को अपनी विदेश नीति के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में अपनाया जिसका मतलब यह है कि भारत अपने पड़ोसी देशों खासकर मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों समेत नेवी कोस्ट गार्ड और न्यायपालिका से जुड़े अधिकारियों को प्रशिक्षण देकर क्षमता निर्माण और कौशल विकास के लिए लगातार काम करता रहा है।
भारत के चीफ आफ नेवल स्टाफ की इस यात्रा के दौरान भारत और मालदीव के द्वारा पहला संयुक्त नेविगेशन चार्ट (नौगमन चार्ट) लांच किया गया है। इसके साथ ही भारत ने मालदीव नेशनल डिफेंस को मजबूती प्रदान करने के लिए हाइड्रोग्राफिक उपकरण भी इस बीच सौंप दिए हैं। चीफ आफ नेवल स्टाफ ने मालदीव के सामुद्रिक परिसंपत्तियों को देखने के लिए भी अलग-अलग स्थलों का भ्रमण किया जिससे यह साफ जाहिर होता है कि भारत और मालदीव समुद्री सुरक्षा संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं और यह हिंद महासागर और साथ ही दक्षिण एशियाई उपमहाद्वीप के सुरक्षा और विकास की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण कदम होगा। गौरतलब है कि भारत और मालदीव के बीच में हाइड्रोग्राफिक कोआपरेशन के लिए मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग पर हस्ताक्षर हो चुका है और इसीलिए मालदीव के समुद्री क्षेत्र में हाइड्रोग्राफिक सर्वे के लिए भारत के आइएनएस सतलुज को तैनात किया गया। मालदीव की सामुद्रिक परिसंपत्तियों को भारतीय नौसेना और मालदीप की नौसेना के कर्मचारियों द्वारा संयुक्त रूप से सुरक्षा प्रदान की जा रही है।
हिंद महासागर में भारत और मालदीव के साझा समुद्री हित हैं और दोनों को एक समान मुद्दे प्रभावित भी करते हैं। इसीलिए दोनों राष्ट्रों ने कई संस्थाओं के तत्वावधान में अपने संबंधों को मजबूती दी है, जैसे इंडियन ओशन नेवल सिंपोजियम और कोलंबो सिक्योरिटी कान्क्लेव। भारत ने मालदीव के साथ व्हाइट शिपिंग एग्रीमेंट किया है। मालदीव राष्ट्रीय सुरक्षा तटरक्षक बल द्वारा सिफावारु बंदरगाह का विकास, सहयोग व रखरखाव किया जा रहा है, जिसमें भारत मदद देगा। अप्रैल 2013 में मालदीव द्वारा किए निवेदन के तहत उसके द्वीपों व आर्थिक क्षेत्रों में नियंत्रण व निगरानी के लिए भारत उसके सुरक्षा बलों को मदद देगा। इसके अलावा, मालदीव की तटरक्षा क्षमता व सुविधाओं के विकास के लिए भारत मानवीय मदद व आपात राहत मुहैया करवाएगा। भारत मालदीव के दूसरे बड़े शहर अद््दू में सड़कें बनाने में भी मदद देगा। इस प्रकार के कुल आठ प्रोजेक्ट पर दोनों देश साथ काम करेंगे।
साभार : जागरण
Rani Sahu
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