सम्पादकीय

भ्रष्टाचार से मुक्त हुई राशन प्रणाली, पूरे देश में लागू हई वन नेशन वन राशन कार्ड योजना

Gulabi Jagat
26 Jun 2022 5:13 PM GMT
भ्रष्टाचार से मुक्त हुई राशन प्रणाली, पूरे देश में लागू हई वन नेशन वन राशन कार्ड योजना
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हई वन नेशन वन राशन कार्ड योजना
रमेश कुमार दुबे। मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी वन नेशन वन राशन कार्ड योजना पूरे देश में लागू हो गई। गत 21 जून को असम से इसका आरंभ हुआ। अब देश में उचित दर वाली सभी दुकानों को आनलाइन इलेक्ट्रानिक प्वाइंट आफ सेल यानी पीओएस डिवाइस से जोड़ दिया गया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लाभार्थी खाद्यान्न से वंचित न रह जाएं, इसके लिए राशन डीलरों को हाइब्रिड माडल की प्वाइंट आफ सेल मशीनें दी गई हैं। ये मशीनें आनलाइन मोड के साथ ही नेटवर्क न रहने पर आफलाइन भी काम करेंगी। अब लाभार्थी अपने डिजिटल राशन कार्ड के इस्तेमाल से देश में किसी भी उचित दर की दुकान से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत अपने कोटे का अनाज ले सकेंगे।
इससे फर्जी राशन कार्ड, लीकेज, दूसरे के नाम पर अनाज लेने जैसी समस्याएं खत्म हो जाएंगी। कोविड-19 महामारी के दौरान वन नेशन वन राशन कार्ड योजना ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के लाभार्थियों विशेषकर प्रवासी श्रमिकों को रियायती खाद्यान्न उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अगस्त 2019 में शुरू हुई इस योजना के तहत अब तक 71 करोड़ पोर्टेबल लेन-देन हुए हैं। इनमें से 27.8 करोड़ पोर्टेबल लेन-देन प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण योजना के तहत किए गए जिसे कोरोना काल में गरीबों को तुरंत लाभ देने के लिए शुरू किया गया है।
राजनीतिक रूप से देश का एकीकरण सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया था और अब आर्थिक रूप से देश को एक सूत्र में पिरोने का काम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर रहे हैं। वस्तु एवं सेवा कर, वन रैंक वन पेंशन, जनधन योजना, उज्ज्वला योजना की तरह अब एक देश एक राशन कार्ड के जरिये देश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली का एकाकार हो रहा है। इससे भ्रष्टाचार पर तो लगाम लगेगी ही, साथ ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने वाले गरीबों विशेषकर प्रवासी मजदूरों को सब्सिडी वाले राशन से वंचित नहीं होना पड़ेगा। वन नेशन वन राशन कार्ड में उपभोक्ताओं को अपनी मर्जी एवं पसंद की दुकानों से राशन खरीदने की छूट दी गई है भले वे उनके घर से दूर हों। इससे अच्छी सेवा न देने वाली उचित दर की दुकानों से उपभोक्ताओं का मोहभंग होने लगा है और वे दुकान बदलने लगे हैं।
पीडीएस में सुधार पर गठित वाधवा समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि उचित दर की दुकानें ही भ्रष्टाचार का केंद्र बिंदु हैं। दुकान मालिक, ट्रांसपोर्टर, नौकरशाह और नेताओं में साठगांठ है। इसी के चलते खाद्यान्न की कालाबाजारी होती है और योजना का लाभ असली लाभार्थियों को नहीं मिल पाता है। वाधवा समिति के अनुसार 42 प्रतिशत अनाज राशन की दुकानों से निकल कर कालाबाजारी के लिए पहुंच जाता है। पूर्वोत्तर राज्यों में तो 97 प्रतिशत तक अनाज बाजार में पहुंच जाता है। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2004 में हुए हजारों करोड़ रुपये के चर्चित खाद्यान्न घोटाले का उल्लेख प्रासंगिक है जिसमें घोटालेबाजों ने पीडीएस के खाद्यान्न से लदी मालगाड़ी को गोंडा से सीधे बांग्लादेश पहुंचा दिया था। इस मामले की सीबीआइ जांच जारी है।
पीडीएस में व्याप्त भ्रष्टाचार, भुखमरी आदि को देखते हुए मोदी सरकार ने वर्ष 2014 से ही राशन कार्ड का डिजिटलीकरण शुरू कर दिया था। अब तक सभी राशनकार्ड का डिजिटलीकरण किया जा चुका है। राष्ट्रीय स्तर पर राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी लक्ष्य हासिल करने के लिए यह जरूरी था कि विभिन्न राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जो भी राशन कार्ड जारी करें वे सभी एक मानक प्रारूप में हों। इसी को देखते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राशन कार्ड जारी करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मानक प्रारूप जारी किया गया। अब सभी राशन कार्ड इसी के अनुरूप हैं।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत 75 प्रतिशत ग्रामीण आबादी और 50 प्रतिशत शहरी जनसंख्या को केंद्र सरकार रियायती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध करा रही है।इसके लिए देश भर में 23.74 करोड़ राशन कार्ड जारी किए गए हैं। कुल संख्या को देखें तो केंद्र सरकार देश में 81 करोड़ से अधिक लोगों को सस्ते दाम पर खाद्यान्न मुहैया कराती है। इसके लिए वित्त वर्ष 2019-20 में 1,84,000 करोड़ रुपये की खाद्यान्न सब्सिडी दी गई थी, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़कर 2,94,718 करोड़ रुपये हो गई। वन नेशन वन राशन कार्ड योजना का अधिकतम लाभ उठाने के लिए सरकार ने मेरा राशन मोबाइल एप्लीकेशन भी शुरू किया है। यह अभी 13 भाषाओं में उपलब्ध है।
मोदी सरकार राशन प्रणाली को विविधीकृत करने की योजना पर भी काम कर रही है। इससे फसल विविधीकरण को बढ़ावा मिलने के साथ कुपोषण की समस्या भी दूर होगी। इसी के तहत सरकार ने राज्यों को छूट दे दी है कि वे पीडीएस और दूसरी कल्याणकारी योजनाओं में मोटे अनाजों का वितरण करें। इससे स्थानीय अनाजों की सरकारी खरीद और खपत बढ़ेगी तथा गेहूं-चावल के परिवहन पर होने वाली भारी-भरकम धनराशि की बचत होगी। उत्तर प्रदेश में तो इसकी शुरुआत हो चुकी है। वहां अंत्योदय एवं पात्र गृहस्थी कार्ड धारकों को गेहूं, चावल के साथ-साथ प्रति कार्ड एक किलो आयोडाइज्ड नमक, एक किलो दाल या साबुत चना, एक लीटर खाद्य तेल दिए जा रहे हैं।
वन नेशन वन राशन कार्ड योजना को मिली कामयाबी को देखते हुए मोदी सरकार इसके आंकड़ों को अन्य योजनाओं में लागू करने जा रही है। इसकी शुरुआत ई-श्रम पोर्टल से हो चुकी है। यह पोर्टल असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों को पंजीकृत करने और उन्हें सामाजिक सुरक्षा लाभ तक पहुंचने में मदद करने के लिए बनाया गया है। अब इसे वन नेशन वन राशन कार्ड योजना से भी जोड़ दिया गया है।
(लेखक केंद्रीय सचिवालय सेवा में अधिकारी हैं)
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