सम्पादकीय

'रश्मि ठाकरे बेहतर संभाल सकती हैं CM का पद,'BJP के बाद अब शिवसेना से ही उठी आवाज, क्या करेंगे उद्धव?

Rani Sahu
4 Jan 2022 3:03 PM GMT
रश्मि ठाकरे बेहतर संभाल सकती हैं CM का पद,BJP के बाद अब शिवसेना से ही उठी आवाज, क्या करेंगे उद्धव?
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मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (CM Uddhav Thackeray) की पत्नी रश्मि ठाकरे (Rashmi Thackeray) एक अच्छी मुख्यमंत्री साबित हो सकती हैं

शमित सिन्हा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (CM Uddhav Thackeray) की पत्नी रश्मि ठाकरे (Rashmi Thackeray) एक अच्छी मुख्यमंत्री साबित हो सकती हैं. वे सिर्फ 'चूल आणि मुल' (चूल्हा-चौका और बच्चों की देखभाल) के काम के लिए नहीं हैं. परदे के पीछे वे लगातार सक्रिय रहती हैं. सीएम ठाकरे के कई बड़े फैसलों में उनकी अहम भूमिका रही है. ऐसे में अगर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया तो वो एक बेहतर मुख्यमंत्री बन सकती हैं. यह बयान इस बार किसी ओर पार्टी के नेता ने नहीं बल्कि शिवसेना से मंत्री अब्दुल सत्तार (Abdul Sattar) ने दिया है. मुख्यमंत्री को अपना संदेश देते हुए उन्होंने इतनी बड़ी बात भी कह दी और खुद को शिवसेना का एक छोटा कार्यकर्ता भी बता दिया.

अचानक रश्मि ठाकरे को लेकर यह बयान एक बड़ा सवाल उठाता है. क्या मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे खुद को सक्रिय राजनीति से अलग करना चाहते हैं? इसका जवाब इतना आसान नहीं है. हाल ही में गरदन और पीठ में दर्द से जुड़ी सर्जरी (Cervical Spine Surgery) की वजह से वे काफी दिनों से ऐक्टिव नहीं थे. उन्होंने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी भाग नहीं लिया. अब 1 जनवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वे सबसे सामने आए और कहा जा रहा है कि कोरोना क्राइसिस के मद्देनजर वे एक-दो दिनों में कोई बड़ी घोषणा करने के लिए फिर हाजिर होने वाले हैं.
उद्धव ठाकरे सक्रिय राजनीति से अलग होना चाह रहे हैं?
नए साल में अब तक शिवसेना की पहल से दो बड़ी घोषणाएं हुई हैं. उद्धव ठाकरे ने एक अहम मीटिंग कर के मुंबई में 500 स्क्वायर फुट तक के घरों के प्रॉपर्टी टैक्स को माफ कर दिया. दूसरी बड़ी घोषणा उनके बेटे पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने की. उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि 1 जनवरी से सभी सरकारी गाड़ियां इलेक्ट्रिक इंजनों से चलने वाली ही खरीदी या भाड़े पर ली जाएंगी. प्रदूषण को रोकने के लिए और स्वच्छ पर्यावरण के लिए यह बहुत बड़ी घोषणा है. अगर उद्धव ठाकरे सक्रिय राजनीति से खुद को अलग करना चाहते तो बड़े फैसले में शामिल नहीं होते. फिलहाल शिवसेना का कोई भी नेता यह कहने को तैयार नहीं है कि उद्धव ठाकरे सक्रिय नहीं हैं. यह दावा सिर्फ बीजेपी की ओर से किया जा रहा है. फिर भी यह बात अब कोई ढंकी छुपी नहीं रह गई है कि मुख्यमंत्री के नाम पर सारे फैसले अब तक तो उप मुख्यमंत्री अजित पवार ही ले रहे हैं. अब शायद मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है तो स्थिति बदले,
आदित्य ठाकरे को लगातार प्रोमोट किया जा रहा है
उद्धव ठाकरे की 1 जनवरी वाली मीटिंग के संवाद को याद करें तो उन्होंने इस मीटिंग में अपने बेटे की जम कर तारीफ करते हुए कहा कि उनके खराब स्वास्थ्य के समय आदित्य ठाकरे ने अपने ऊपर जिम्मेदारियां लीं और उनका काम हल्का किया. इससे यह समझ आता है कि अगर वे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की वजह से सक्रिय राजनीति से खुद को थोड़ा अलग करना चाह भी रहे हैं तो अपने उत्तराधिकारी के तौर पर आदित्य ठाकरे को देख रहे हैं ना कि रश्मि ठाकरे को.
आदित्य ठाकरे लगातार कई बड़े मामलों में फ्रंट फुट पर खेल रहे हैं. मुंबई में 15 से 18 साल के किशोरों के वैक्सीनेशन मुहिम का उद्घाटन उन्होंने ही किया. मुंबई के संरक्षक मंत्री होने के नाते उन्होंने बीएमसी द्वारा मुंबई के स्कूलों को बंद रखने का फैसला लिए जाने से पहले ही इस बात का संकेत दे दिया था. इसके अलावा थोड़ा और पीछे जाएं तो जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुंबई के दौरे पर आईं तो वे अस्पताल में जाकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मिल सकती थीं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वहां भी आदित्य ठाकरे सांसद संजय राउत के साथ खुद मुख्यमंत्री के प्रतिनिधी के तौर पर ममता बनर्जी से मिले और उनका स्वागत किया.
आखिर क्यों आदित्य ठाकरे नहीं, रश्मि ठाकरे का नाम सामने आया
ऐसे में सवाल उठता है कि आदित्य ठाकरे के अधिक सक्रिय होने या उन्हें सक्रिय किए जाने की बात जब शिवसेना के अंदर और बाहर सबको पता है तो क्या शिवसेना नेता और मंत्री अब्दुल सत्तार को यह नहीं पता है? फिर उन्होंने आदित्य ठाकरे का नाम ना लेकर रश्मि ठाकरे का ही नाम क्यों लिया?
इसका जवाब यह है कि आदित्य ठाकरे को प्रोमोट तो किया जा सकता है, लेकिन अभी वे युवा हैं. उन्हें लंबी पारी खेलनी होगी. उन्हें शिवसेना में तो आगे किया जा सकता है. लेकिन महाविकास आघाडी के गठबंधन की राजनीति में एक हद से आगे वे फिलहाल जाने की स्थिति में नहीं हैं. ज्यादा से ज्यादा बिहार वाला एक्सपेरिमेंट दोहराया जा सकता है, यानी जिस तरह तेजस्वी यादव नितिश कुमार सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाए गए थे, उसी तरह आदित्य ठाकरे उपमुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं. ऐसे में अजित पवार को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. लेकिन यहां पेंच यह है कि शिवसेना अपने कोटे से मुख्यमंत्री का पद क्यों जाने देगी? और शरद पवार भी अजित पवार को मुख्यमंत्री बनते हुए देखना चाहें, इस पर राजनीति के जानकारों को शक ही है. वैसे पवार की राजनीति का कुछ पता नहीं. कई बार उनके द्वारा जब खेला हो जाता है, तब भी किसी के समझ वह नहीं आता है.
रश्मि ठाकरे के पक्ष में अब्दुल सत्तार ने क्या कहा, क्यों कहा?
रश्मि ठाकरे के पक्ष में अब्दुल सत्तार ने कहा कि,' रश्मि ताई के काम करने का तरीका बेहद निपुणता और दक्षता वाला है. आज वे पर्दे के पीछे काम कर रही हैं. पर्दे के सामने नहीं आतीं. लेकिन उन्हें महाराष्ट्र की राजनीति के बारे में बहुत कुछ पता है. वे साहब (सीएम उद्धव ठाकरे) के साथ रहती हैं. आदित्य साहब कैसे काम करते हैं, बड़े साहब कैसे काम करते हैं, उनका सही नियोजन करती हैं. किस तरह से महिलाओं को सशक्त किया जाए. महिलाओं को सिर्फ चौका-चूल्हा और बच्चों की देखभाल की बजाए सक्षम कैसे बनाया जाए, इसके लिए उन्होंने काफी काम किया है. उद्धव ठाकरे आदेश दें तो कुछ भी हो सकता है. वे उनको जिम्मेदारी दे सकते हैं. फिलहाल वे सामना की मुख्य संपादिका के तौर पर भी अच्छा काम कर रही हैं. लोकतंत्र के रास्ते से लोगों तक कैसे पहुंचा जा सकता है, यह वो अच्छी तरह समझती हैं. राज्य में एक आदर्श महिला के रूप में उनकी छवि है.'
इसके अलावा अब्दुल सत्तार ने एक और अहम बात कही है. उन्होंने एक बार फिर बीजेपी और शिवसेना के बीच गठबंधन की उम्मीद जताई है. उन्होंने कहा कि यह काम बीजेपी के दो बड़े लोग और शिवसेना के उद्धव ठाकरे मिल कर सकते हैं. बीजेपी से उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का नाम लिया.
जब बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने यही सलाह दी थी तो भड़की थी शिवसेना
लेकिन रश्मि ठाकरे को मुख्यमंत्री पद दिए जाने की संभावनाओं पर बात करते हुए शिवसेना से पूर्व सांसद भरत कुमार राउत ने Tv9 भारतवर्ष डिजिटल से बात करते हुए कहा कि, ' यह सच है कि मुख्यमंत्री बनने से पहले उद्धव ठाकरे किसी राजनीतिक पद पर नहीं रहे. ना ही कभी उन्होंने कोई चुनाव लड़ा था. इसके बावजूद वे राजनीति में सक्रिय थे. लेकिन रश्मि ठाकरे का तो राजनीति से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं रहा है. ना ही उन्होंने कभी इस तरह की अपनी कोई इच्छा जताई है. उनका ना कभी कोई बयान आता है, यानी उनका राजनीति से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है. शिवसेना नेता ने ऐसा बयान देकर कंफ्यूजन पैदा किया है. इस तरह के बयानों से शिवसेना को नुकसान होगा.'
इस बीच खबर यह भी है कुछ दिनों पहले अब्दुल सत्तार दिल्ली होकर आए हैं. वहां उनकी कुछ बड़े नेताओं से मुलाकात भी हुई है. पर इसकी उनकी तरफ से कोई पुष्टि नहीं की गई है. उनका बयान जरूर सामने आ गया. रश्मि ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की सलाह बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटील भी दे चुके हैं. तब उस वक्त शिवसेना नेता और मुंबई की मेयर किशोरी पेडणेकर ने आपत्ति उठाते हुए कहा था कि देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस भी सार्वजनिक जीवन में बहुत सक्रिय हैं. तो उन्हें क्यों नहीं नेता प्रतिपक्ष बना देते? अब जब पार्टी के अंदर से ही एक मंत्री ने यह मांग कर डाली है तो शिवसेना का इस पर क्या रेस्पॉन्स आता है, यह देखने वाली बात होगी.
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