सम्पादकीय

धार्मिक कवच में रैपिस्ट

Rani Sahu
12 Sep 2022 9:42 AM GMT
धार्मिक कवच में रैपिस्ट
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सोर्स- सरिता
धर्म प्यार, सद्भावना, सदाचार, सहयोग सिखाता है, यह प्रचार हर तरह के प्रवचनों में सुना जा सकता है. अमेरिका में गन लौबी जो बंदूक रखने के संवैधानिक अधिकार की रक्षा में लगातार लगी है, धार्मिक स्थलों पर बंदूकों से की जा रही हत्याओं के बावजूद टस से मस नहीं हो रही और उसे अमेरिका के तरहतरह के चर्चों का खुला समर्थन मिल रहा है. कुछ ही धर्मप्रचारक ऐसे हैं जो कहते हैं कि न्याय करने का काम ईश्वर का है, जबकि ज्यादातर इस बात का समर्थन करते हैं कि उन की बाइबिल उन्हें धर्म की रक्षा करने के लिए अस्त्र रखने की इजाजत देती है और अब पिस्टल तो क्या, अगर औटोमैटिक राइफल भी रखी जाए तो भी वह धर्म सम्मत है.
यह तब है जब बाइबिल में विश्वास रखने वाले अकसर धर्मसभाओं में निहत्थों, निर्दोषों, बच्चों, औरतों, वृद्धों, अपाहिजों पर बेदर्दी से गोलियां चलाते रहे हैं. 5 अगस्त, 2012 को अमेरिका के विस्कौन्सिन राज्य में गोरे कट्टरवादी ने सिख गुरुद्वारे पर बंदूकों से हमला कर 7 को मार दिया, 4 घायल हुए. 13 अगस्त, 2016 को न्यूयौर्क में एक इमाम को मसजिद के सामने मार डाला गया.
24 सितंबर, 2017 को अमेरिका के टैनिसी राज्य में एक चैनल में एक औरत को मारा गया, कई घायल हुए. पिट्ससबर्ग में 27 अक्तूबर, 2018 को यहूदियों के चर्च में 11 लोगों को एक गनमैन ने मार दिया. 27 अप्रैल, 2019 को 19 साला युवक ने यहूदी सिनागौड में एक को मारा. दिसंबर 2019 को एक युवक ने फ्रीवे चर्च में 2 को गोलियों से निशाना बना डाला. 2015 में अमेरिका के साउथ कैरोलिना में मैथोडिस्ट एपिस्कोपल चर्च में प्रेयर करने आए लोगों पर एक युवक ने 70 गोलियां चला डालीं जिस में 9 की मृत्यु हो गई. 2017 में बैप्टिस्ट चर्च के अंदर और बाहर जाते हुए भक्तों पर एक पूजापाठी गोरे युवा ने 700 गोलियां चला कर 26 को मार डाला, 20 को घायल किया.
इस तरह के हर हादसे पर चर्च, गुरुद्वारे, मसजिद व ???…सोचगौडा…? के प्रचारकों ने शांति की अपील की, सद्भाव की बात की पर किसी ने यह नहीं कहा कि इस तरह की हत्याओं के लिए ईश्वर दोषी है जिस ने अपने ही भक्तों को गोलियां चलाने वाली बंदूकें दीं.
यह सब याद किया जा रहा है इसलिए कि जिन 15 लोगों को बिलकिस बानो के रेप व उस के बच्चों की हत्याओं के लिए बड़ी मुश्किल से आजीवन कैद की सजा अहमदाबाद के 2002 के दंगों के बाद मिली थी उन्हें इस अगस्त में छोड़ दिया गया और उन्हें छोड़ देने के बाद उन का भव्य स्वागत किया गया, लड्डू बांटे गए और भगवा समर्थक यह कहते नजर आए थे कि अपराधी संस्कारी हैं और 15 से 18 वर्ष की जेल के बाद छोडऩे पर कोई हानि नहीं हुई.
जो फोटो प्रकाशित हुए उस से साफ लगता है कि इन का 15 साल जेल में अच्छाखासा ख़याल रखा गया और सब हृष्टïपुष्ट थे. चेहरे चमक रहे थे. नतीजा यह है धर्म चाहे ईसाई हो, हिंदू हो, बौद्ध हो या इसलाम हिंसा का पाठ पढ़ाता है, हिंसा को समर्थन देता है.
धर्म का घर में शांति लाने में कोई योगदान नहीं होता. दहेज हत्याओं के अकसर सजायाफ्ता दोषी खासे पूजापाठी होते हैं. लडक़े की चाह में कन्या भ्रूणहत्या करने वाले धार्मिक आदेशों के तहत पिंडदान करने के वास्ते लडक़े का जन्म देने को एक औरत को बारबार गर्भवती होने को मजबूर करते हैं और अगर लड़की पैदा हुई तो उसे मार तक देते हैं.
धर्म आपस में शांति का पाठ पढ़ाता है, यह बिलकिस बानो के मामले ने एक बार फिर गलत साबित कर दिया है. 1947 के विभाजन के दौरान लाखों हत्याएं धर्म के कारण ही हुईं और आज तक परिवार उन का दर्द भोग रहे हैं. हिटलर ने धर्म के नाम पर यहूदियों को गैस चैंबरों में मारने के लिए बड़ेबड़े भवन बनवाए और लगभग 60 लाख निहत्थों, निर्दोषों को मार डाला. हिटलर के सारे अफसर अपने धर्म का कट्टर पालन करते थे. रूसी आज यूक्रेन में हत्याएं कर रहे हैं जबकि रूसी व यूक्रेनी दोनों और्थोडौक्स क्रिश्चियन हैं पर उन के मठ अलग हैं. ऐसे में फिर यह कैसा प्यार है जो धर्म सिखाता है.
Rani Sahu

Rani Sahu

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