सम्पादकीय

हादसों का दायरा

Neha Dani
14 Jan 2023 2:10 AM GMT
हादसों का दायरा
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शायद बहुत सारे हादसे रोके जा सकते हैं और लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है।
महाराष्ट्र के नासिक में शुक्रवार की सुबह एक तेज रफ्तार बस और ट्रक की टक्कर में कम से कम दस लोगों की जान चली गई और बीस से ज्यादा लोग घायल हो गए। निश्चित रूप से यह आए दिन होने वाली सड़क दुर्घटनाओं की ही अगली कड़ी है, लेकिन ऐसी हर घटना यही बताती है कि किसी मामूली-सी चूक या लापरवाही की वजह से वाहनों में सवार वैसे लोगों की जान चली जाती है, जो अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए घर से निकले होते हैं। नासिक में हुए हादसे में खबरों के मुताबिक बस की रफ्तार काफी तेज थी। यानी केवल रफ्तार को काबू में रख कर बस का चालक सभी यात्रियों को सुरक्षित अपने घर या उनकी जरूरत की जगह पर पहुंचा सकता था।
एक रिवायत की तरह अब सरकार की ओर से दुर्घटना के कारणों की जांच कराने और पीड़ितों या हताहतों को राहत पहुंचाने के मकसद से मुआवजा देने घोषित की गई है। लेकिन सच यह है कि ऐसे हर मौके पर औपचारिक घोषणाओं में तात्कालिक मदद से आगे इस तरह की समस्या का कोई दीर्घकालिक समाधान नहीं निकलता। महाराष्ट्र में नासिक-औरंगाबाद राजमार्ग पर हुए ताजा हादसे के बाद यह जरूर कहा गया है कि अधिकारी शहर और जिले में दुर्घटना संभावित क्षेत्रों की पहचान के लिए काम कर रहे हैं।
यह एक विचित्र औपचारिकता है कि सरकार या संबंधित महकमों की नींद तभी खुलती है जब कोई बड़ी घटना हो जाती है और वह आम जनता के बीच चर्चा का मुद्दा बन जाती है। वरना क्या वजह है कि उन्नत अभियांत्रिकी के विकास के दौर में राजमार्ग जैसी जगहों पर सड़क बनाते हुए इस पर गौर करना जरूरी नहीं समझा जाता है कि किन-किन खास स्थानों पर और कैसी वजहों से हादसे हो सकते हैं। अगर वक्त पर ऐसी जगहें और वजहें चिह्नित कर ली जाएं, तो शायद बहुत सारे हादसे रोके जा सकते हैं और लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है।

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सोर्स: jansatta

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