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सुधीश पचौरी: एक अंग्रेजी चैनल ने 'लेस्टर' के दंगों की एक नई रिपोर्ट का हवाला देकर बताया कि 'लेस्टर' का दंगा पूर्वनियोजित था, वहां का मेयर एक दिन पहले ही एक इस्लामी जिहादी से मिला था! इसी बीच एक चैनल ने लाइन लगाई कि एक मुसलिम नेता ने फिर 'जहर उगला'!
कहा कि 'हिंदू कीड़े-मकोड़े… मुसलमानों ने हिंदुओं पर आठ सौ साल शासन किया है… मुगल धर्मनिरपेक्ष थे… ऐसी 'हेट स्पीच' (नफरती बोल) हो के निकल गई, लेकिन वक्ता पर किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की! इस पर भी एक अंग्रेजी चैनल यह सिद्ध करने में देर तक लगा रहा कि मोदी के राज में 'हेट स्पीच' बढ़ी है… 'हेट स्पीच' कई गुना बढ़ी है, लेकिन अफसोस कि 'हेट स्पीच' के खिलाफ देश में कोई कानून नहीं है। एक बोला कि जाति और धर्म को लेकर सबसे ज्यादा 'हेट स्पीच' होती हैं!
अपने यहां नफरती बोल बोलने वाले की निंदा नहीं की जाती, सिर्फ 'बोल' की निंदा की जाती है। कई बार तो कई 'नफरती बोल' विशेषज्ञ खुद बहसों में बुला लिए जाते हैं और कुछ बीच बहस में ही अपनी 'नफरत' बक देते हैं! ऐसी हैं बहसें हमारी! फिर एक दिन अमित शाह ने मध्य प्रदेश में हिंदी माध्यम से मेडिकल पढ़ाई के लिए तीन किताबों का लोकार्पण किया, तो हिंदी के खिलाफ ही 'नफरती बोल' आने लगे! फिर एक दिन नामी अमेरिकी 'वाल स्ट्रीट जर्नल' में छपे एक विज्ञापन ने बड़ी ही 'नफरती' खबर बनाई, जो कई अंग्रेजी चैनलों पर बहस का विषय बनी।
कई एंकरों ने इस अखबार में छपे पूरे पेज के उस विज्ञापन को दिखाया, जिसमें लिखा था 'भारत निवेश के लिए सबसे खतरनाक जगह है'… और कि 'मोदी भारत के लिए खतरनाक हैं'… इसके विज्ञापक का नाम रामचंद्र विश्वनाथ था, जो एक घोटाले के कारण भागा हुआ 'भगोड़ा' है। इसके प्रायोजक का नाम 'फ्रंटियर्स आफ फ्रीडम' था।
फिर एक दिन एक कांग्रेसी नेता की 'राहुल भक्ति' जागृत हो गई और वे कह उठे कि उनको राहुल में राम दिखते हैं! (बतर्ज शाहरुख का गाना कि 'तुम में रब दिखता है यारां मैं क्या करूं…) फिर एक और भक्त नेता ने भक्तिभाव से भर कर दूर की हांकी कि राम में 'रा' है, तो राहुल में भी 'रा' है! फिर एक और राहुल भक्त ने कहा कि राहुल तपस्वी की तरह चल रहे हैं… जब भाजपा वाले मोदी को विष्णु का अवतार बताते हैं, तो इससे क्या परेशानी?
सच! राहुल ते अधिक राहुल के दासा! भाजपा वाले इस पर भी कायदे की चुटकी न ले सके और सीधे हमला करने लगे कि ये राम का अपमान है… सिर्फ एक भाजपा हमदर्द ने सही कटाक्ष किया कि राम के प्रति प्यार अपने आप आता है मूंड मुंड़ाने से नहीं आता… फिर एक दिन जब उमर खालिद को अदालत ने जमानत नहीं दी, तो 'जिहाद बरक्स आजादी' वाली बहसें कई चैनलों में आ बैठीं।
कुछ कहिन के अदालत ने सही किया, कुछ बोले कि यह अन्याय है। दो एंकर असलियत बताते रहे और उस अदालती आदेश की एक-एक लाइन पढ़ कर साफ करते रहे कि किस तरह अदालत ने दो टूक शब्दों में कहा है कि 2019 के दिल्ली दंगे पूर्वनियोजित थे… दंगों में खालिद की भूमिका साफ नजर आती है… उसकी भूमिका 'वाट्सऐप्प चैटों' से भी प्रमाणित होती है।
यह दंगा सिर्फ दंगा नहीं था, बल्कि एक आतंकवादी हमला था… सीएए के पास होने से पहले ही उसके विरोध की तैयारी कर ली गई थी। उमर खालिद कइयों का सरगना था, कई सामाजिक कार्यकर्ता भी इसमें शामिल थे… फिर एक दिन सब चैनलों पर तेलंगाना के एक परीक्षा केंद्र से एक 'हेटीली' खबर आई। खबर के अनुसार एक परीक्षा केंद्र में परीक्षा देने से पहले हिंदू महिलाओं से कंगन, मंगलसूत्र उतरवाए गए।
कई चैनलों ने लाइन लगाई- 'बुर्का को 'हां', मंगलसूत्र को 'ना'! इसके बाद मोहन भागवत के 'जनसंख्या में असंतुलन होने से राष्ट्र के टूटने के खतरे' और 'जनसंख्या नियंत्रण की सार्वजनिक नीति बनाने की जरूरत' वाले बयान ने बढ़ती जनसंख्या की चुनौती को टीवी चर्चा में ला दिया। एक इस्लामिक नेता कहते दिखे कि यह अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना है!
आखिरकार वही हुआ जो होना था। खड़गे जी को जीतना था, वे जीते और थरूर को हारना था वे हारे और अगले दिन से ही थरूर को 'दोमुंहा' कहा जाने लगा। लेकिन शुक्रवार की दोपहर कांग्रेस के एक बड़े नेता ने सीधे गीता में ही 'सेक्युलर पलीता' लगा दिया। कह उठे कि गीता भी जिहादी है… कैसी 'सेक्युलर' व्याख्या! धन्य हैं सर जी! जो दो-चार हिंदू वोट कांग्रेस को मिलते, वो भी गए!