सम्पादकीय

राम रहीम और कैदे बामुश्क्कत: क्यों इतना आसान है धर्म के नाम पर लोगों को बरगलाना?

Neha Dani
25 Oct 2021 12:36 PM GMT
राम रहीम और कैदे बामुश्क्कत: क्यों इतना आसान है धर्म के नाम पर लोगों को बरगलाना?
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चलिए अब इसी बात पर आते हैं।

ऐसा कोई भी व्यक्ति जो स्वयं से ऊपर ही नहीं उठ पाता हो वह भगवान कैसे हो सकता है? भगवान ने तो किसी भी ग्रंथ में स्वयं के लिए कुछ नहीं मांगा। ऐसा कहा जाता है कि भगवान तो सिर्फ भाव के भूखे होते हैं। तो फिर खुद को खुदा मानने वाले सच्चे कैसे हुए?

यह बात हमेशा ध्यान रखिए कि आपकी समस्याओं का हल आपको खुद के भीतर से ही मिलता है। यह भी कहा जाता है कि ईश्वर भी उसकी मदद करते हैं जो अपनी मदद स्वयं करता है। तो बजाय किसी और पर हल के लिए आश्रित होने के ईश्वर पर और खुद पर भरोसा कीजिए। ढोंगी बाबाओं पर नहीं।
सीबीआई की विशेष अदालत ने आखिरकार राम रहीम के लिए उम्रकैद की सजा मुकर्रर कर डाली। राम रहीम को यह सजा साक्ष्यों के आधार पर मिली। हमारी न्याय व्यवस्था का यह सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है कि अधिकांश अपराधी उचित साक्ष्य न होने की दशा में निरपराध घोषित हो, फ्री घूमते हैं और फिर अपराध करने को स्वतंत्र हो जाते हैं। कानूनी प्रक्रिया का अपना अलग एक तरीका है। यहां लाखों केसेस पहले ही पेंडिंग हैं। जज कम हैं और अव्यवस्था ज्यादा।
सबसे बड़ी बात कानूनी जानकारी आम इंसान के बूते से बाहर की कठिन भाषा में है। ये सारी चीजें मिलकर आम आदमी को कोर्ट के नाम से ही डरा और घबरा देती हैं। इसलिए लोग शिकायत करने और न्याय पाने से दूर रहते हैं, जबकि न्यायपालिका एक बहुत ही मजबूत आधार है।
राम रहीम केस में आम लोगों ने ही शिकायत भी की, गवाही भी दी और सबूत भी दिए। इस तरह से यह आम आदमी की जीत है। वह आम आदमी जो सहज विश्वास करता है, कानून में आस्था रखता है, आज भी अपनी अंतरात्मा की सुनता है और भगवान पर अटूट आस्था रखता है।
बहरहाल, राम रहीम जेल में ही रहेगा और वीडियो भी नहीं बना पाएगा। जैसी कि उसने जज साहब से गुजारिश की थी और जो ठुकरा दी गई। नो मोर प्रवचन, नो मोर एक्सप्लॉयटेशन प्लीज।
खैर, इस केस ने लोगों की आंखें खोलने का काम तो किया है कि आंख मूंदकर ऐसे बाबाओं पर विश्वास करना कितना घातक हो सकता है। सवाल यह है कि आखिर वह क्या चीज है जो लोगों को ऐसे लोगों पर अंधश्रद्धा करने से रोक नहीं पाती?
ये केवल एक राम रहीम की बात नहीं है। अभी आसाराम भी इसी तरह के आरोपों में अंदर हैं और केस चल रहा है। इसके पहले भी कई केसेस ऐसे बाबाओं पर चल चुके हैं। ये केवल एक धर्म विशेष का मामला भी नहीं, क्योंकि समय समय पर मस्जिद से लेकर गिरिजाघरों तक से ऐसे शोषण की दिल दहलाने वाली कहानियां सामने आती रही हैं। कहीं न्याय मिल पाया तो कहीं बात दबा दी गई। प्रश्न फिर भी वही है कि लोग धर्म की आड़ में शोषण करने वाले ऐसे लोगों की बातों में आते कैसे हैं? चलिए अब इसी बात पर आते हैं।


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